बस्ती, 04 सितम्बर 2020
छुट्टा जनवरों की समस्या को नगरपालिका प्रशासन गंभीरता से नही ले रहा है। आये दिन लोग जानवरों के हमले से घायल हो रहे हैं और कई लोगों की मौत भी हो चुकी है। पुरानी बस्ती से लेकर कचहरी तक करीब करीब 300 की संख्या में छुट्टा सड़कों पर घूम रहे जानवरों ने शहरवासियों का जीना हराम कर दिया है। हाल ही में पुरानी बस्ती में श्याम कालोनाइजर्स के मालिक श्याम गुप्ता को सांड ने पटकर कर मार डाला।
नगरपालिका की संवेदनहीनता इसके बावजूद भी कायम है। बस्ती उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल की ओर से समस्या कई बार उठाई गयी है। व्यापारियों का एक प्रतिनिधि मंडल आनंद राजपाल के नेतृत्व में इस संदर्भ में नगरपालिका के अधिशाषी अधिकारी से मिला, चौतरफा सवालों से घिरे ईओ गोल मटोल जवाब देकर जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ना चाह रहे थे लेकिन व्यापारी उनकी कोई बात सुनने को तैयार नही थे। वार्ता तीखे अंदाज में होने लगी। फिलहाल छुट्टा जानवरों और खराब सड़कों की समस्या से निजात दिलाने के लिये नगरपालिका को 15 दिसम्बर तक का समय दिया गया। व्यापारियों ने कहा किसी कीमत पर छुट्टा जानवरों की समस्या हम बर्दाश्त नही करेंगे। समस्या हल नही हुई तो निर्णायक संघर्ष छेड़ा जायेगा।
बातचीत के दौरान ईओ ने कहा युवा व्यापार मंडल द्वारा ज्ञापन दिये जाने के बाद 30 से 40 की संख्या में छुट्टा जानवरों को पकड़वाकर उन्हे गौशालाओं में शिफ्ट कराया गया है। नगरपालिका में स्थित कान्हा गौशाला में पशुओं की संख्या पर्याप्त है। फिलहाल समस्या के समाधान के लिये हर जरूरी कदम उठाये जायेंगे। आनंद राजपाल ने नगरपालिका पर संवेदनहीनता का आरोप लगाते हुये कहा पॉलीथीन के नाम पर व्यापारियों के उत्पीड़न, गृह कर, जलकर और तमाम प्रकार की वसूली में नगरपालिका कहीं पीछे नही रहती लेकिन इसके बदले शहरवासियों को क्या देना चाहिये इससे कोई लेना देना नही है। उन्होने चेताया कि आगे छुट्टा जानवरों से कोई क्षति हुई तो इसी पूर्ति के लिये नगरपालिका को जिम्मेदार मानते हुये उसके विरूद्ध विधिक कार्यवाही के लिये हर जरूरी कदम उठाये जायेंगे।
बातचीत के दौरान बस्ती उद्योग व्यापार प्रतिनिधिमंडल के महामंत्री सूर्यकुमार शक्ल, मीडिया प्रभारी अशोक श्रीवास्तव, उपाध्यक्ष धर्मेन्द्र चौरसिया ने नगरपलिका द्वारा छुट्टा जानवरों को पकड़वाकर गौशालाओं में शिफ्ट करवाने की बात कहे जाने पर आपत्ति जताते हुये कहा कि नगरपालिका की इस कार्यवाही से बिलकुल राहत नही मिली है। ईओ ने इसके जवाब में कान्हा गौशाला की देखभाल कर रहे शुक्ला जी को बुलाया और सफाई देने की कोशिश की कि आंकड़े झूठे नही हैं, नगरपालिका क्षेत्र में करीब 40 जानवरों को पकड़वाकर शिफ्ट कराया गया है। ईओ ने कहा आगे यह कार्यक्रम जारी रहेगा। मीडिया प्रभारी के यह कहने पर कि छुट्टा पशुओं में सांडों से कम संख्या गायों की नही हैं जो पशुपालक दूध निकालने के बाद सड़को पर घूमने को छोड़ देते हैं, दूध भी मिल जाता है और गाय के लिये चारे की व्यवस्था भी कम ही करनी पड़ती है।
क्योंकि सड़म पर घूम रही गायें अपना निवाला खुद ढूढ़ लेती है। शाम को वह फिर अपने मालिक के पास पहुंच जाती है। नगरपालिका की ओर से ऐसे लोगों के खिलाफ बिलकुल कार्यवाही नही की गयी। इसके लिये कान्हा गौशाला के इंचार्ज शुक्ला जी ने कहा इसमे नगरपालिका के चुने हुये प्रतिनिधि जिम्मेदार हैं। जैसे ही किसी पालतू जानवर को पकड़कर नगरपालिका लाती है किसी न किसी जनप प्रतिनिधि की सिफारिश और दबाव आ जाता है, इसलिये कार्यवाही को अमल में लाना मुश्किन होता है। कुल मिलाकर यह साफ हो गया कि समस्या के समाधान में कहीं न कहीं चुने हुये प्रतिनिधि ही रोड़ा अटका रहे हैं। ईओ से मिलने गये प्रतिनिधि मंडल में उपरेक्त के अलावा, महिला विंग की अध्यक्ष सिम्मी भाटिया, नगर अध्यक्ष सुनील कुमार गुप्ता, युवा विंग के अध्यक्ष अर्जित कसौधन, परशुराम, रविन्द्र कश्यप आदि मौजूद रहे।
नगरपालिका की संवेदनहीनता इसके बावजूद भी कायम है। बस्ती उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल की ओर से समस्या कई बार उठाई गयी है। व्यापारियों का एक प्रतिनिधि मंडल आनंद राजपाल के नेतृत्व में इस संदर्भ में नगरपालिका के अधिशाषी अधिकारी से मिला, चौतरफा सवालों से घिरे ईओ गोल मटोल जवाब देकर जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ना चाह रहे थे लेकिन व्यापारी उनकी कोई बात सुनने को तैयार नही थे। वार्ता तीखे अंदाज में होने लगी। फिलहाल छुट्टा जानवरों और खराब सड़कों की समस्या से निजात दिलाने के लिये नगरपालिका को 15 दिसम्बर तक का समय दिया गया। व्यापारियों ने कहा किसी कीमत पर छुट्टा जानवरों की समस्या हम बर्दाश्त नही करेंगे। समस्या हल नही हुई तो निर्णायक संघर्ष छेड़ा जायेगा।
बातचीत के दौरान ईओ ने कहा युवा व्यापार मंडल द्वारा ज्ञापन दिये जाने के बाद 30 से 40 की संख्या में छुट्टा जानवरों को पकड़वाकर उन्हे गौशालाओं में शिफ्ट कराया गया है। नगरपालिका में स्थित कान्हा गौशाला में पशुओं की संख्या पर्याप्त है। फिलहाल समस्या के समाधान के लिये हर जरूरी कदम उठाये जायेंगे। आनंद राजपाल ने नगरपालिका पर संवेदनहीनता का आरोप लगाते हुये कहा पॉलीथीन के नाम पर व्यापारियों के उत्पीड़न, गृह कर, जलकर और तमाम प्रकार की वसूली में नगरपालिका कहीं पीछे नही रहती लेकिन इसके बदले शहरवासियों को क्या देना चाहिये इससे कोई लेना देना नही है। उन्होने चेताया कि आगे छुट्टा जानवरों से कोई क्षति हुई तो इसी पूर्ति के लिये नगरपालिका को जिम्मेदार मानते हुये उसके विरूद्ध विधिक कार्यवाही के लिये हर जरूरी कदम उठाये जायेंगे।
बातचीत के दौरान बस्ती उद्योग व्यापार प्रतिनिधिमंडल के महामंत्री सूर्यकुमार शक्ल, मीडिया प्रभारी अशोक श्रीवास्तव, उपाध्यक्ष धर्मेन्द्र चौरसिया ने नगरपलिका द्वारा छुट्टा जानवरों को पकड़वाकर गौशालाओं में शिफ्ट करवाने की बात कहे जाने पर आपत्ति जताते हुये कहा कि नगरपालिका की इस कार्यवाही से बिलकुल राहत नही मिली है। ईओ ने इसके जवाब में कान्हा गौशाला की देखभाल कर रहे शुक्ला जी को बुलाया और सफाई देने की कोशिश की कि आंकड़े झूठे नही हैं, नगरपालिका क्षेत्र में करीब 40 जानवरों को पकड़वाकर शिफ्ट कराया गया है। ईओ ने कहा आगे यह कार्यक्रम जारी रहेगा। मीडिया प्रभारी के यह कहने पर कि छुट्टा पशुओं में सांडों से कम संख्या गायों की नही हैं जो पशुपालक दूध निकालने के बाद सड़को पर घूमने को छोड़ देते हैं, दूध भी मिल जाता है और गाय के लिये चारे की व्यवस्था भी कम ही करनी पड़ती है।
क्योंकि सड़म पर घूम रही गायें अपना निवाला खुद ढूढ़ लेती है। शाम को वह फिर अपने मालिक के पास पहुंच जाती है। नगरपालिका की ओर से ऐसे लोगों के खिलाफ बिलकुल कार्यवाही नही की गयी। इसके लिये कान्हा गौशाला के इंचार्ज शुक्ला जी ने कहा इसमे नगरपालिका के चुने हुये प्रतिनिधि जिम्मेदार हैं। जैसे ही किसी पालतू जानवर को पकड़कर नगरपालिका लाती है किसी न किसी जनप प्रतिनिधि की सिफारिश और दबाव आ जाता है, इसलिये कार्यवाही को अमल में लाना मुश्किन होता है। कुल मिलाकर यह साफ हो गया कि समस्या के समाधान में कहीं न कहीं चुने हुये प्रतिनिधि ही रोड़ा अटका रहे हैं। ईओ से मिलने गये प्रतिनिधि मंडल में उपरेक्त के अलावा, महिला विंग की अध्यक्ष सिम्मी भाटिया, नगर अध्यक्ष सुनील कुमार गुप्ता, युवा विंग के अध्यक्ष अर्जित कसौधन, परशुराम, रविन्द्र कश्यप आदि मौजूद रहे।