स्टॉक होम से वित्तेश्वर तिवारी 4 दिसम्बर 20
मुसलमानों को अभी चीन क्या क्या दिखायेगा उसका उदाहरणउइगर मुस्लिमों के खिलाफ चीन का दमनचक्र और तेज होता जा रहा है। चीन उइगर मुस्लिमों को हर शुक्रवार को 'री एजुकेशन कैंप' में सूअर का मांस खाने को मजबूर रहा है। चीन सरकार की इस नापाक हरकत का शिकार रहीं सयारगुल सौतबे ने इसका खुलासा किया है। उन्होंने कहा कि अगर कोई उइगर मुस्लिम ऐसा करने से मना कर देता है तो उसे कठोर सजा दी जाती है। यही नहीं शिंजियांग इलाके में सूअर पालन को बढ़ावा दिया जा रहा है।
सयारगुल ने अलजजीरा को दिए इंटरव्यू में कहा, 'हर शुक्रवार को हमें सूअर का मांस खाने के लिए मजबूर किया जाता है...उन्होंने जानबूझकर शुक्रवार का दिन चुना है जो मुस्लिमों के लिए पवित्र दिन माना जाता है। अगर आप ऐसा करने से मना कर देते हैं तो आपको कड़ी सजा दी जाती है।' सयारगुल सौतबे स्वीडन में चिकित्सक और शिक्षक हैं। हाल ही में उन्होंने अपनी एक किताब प्रकाशित की है और इसमें अपने साथ हुई यातनाओं और पिटाई का जिक्र किया है।
उन्होंने कहा, 'मैं ऐसा महसूस कर रही थी कि मैं एक अलग व्यक्ति हूं। मेरे चारों तरफ निराशा ही नजर आती थी। यह निश्चित रूप से स्वीकार करना बेहद कठिन था।' चीन के दमन का शिकार रही एक और महिला बिजनसमैन जुमरेत दाउत हैं जिन्हें मार्च 2018 में उरुमेकी में पकड़ा गया था। उन्होंने कहा कि दो महीने तक मेरे साथ केवल पाकिस्तान के साथ संबंधों को लेकर पूछताछ होती रही जो उनके पति का देश था।
चीनी अधिकारियों ने न केवल सवाल पूछे बल्कि उनके बच्चों की संख्या, धर्म और कुरान के पढ़ने के बारे में जानकारी मांगी। दाउत ने बताया कि एक बार तो उन्हें अपने कैंप के पुरुष अधिकारियों से शौचालय जाने के लिए दया की भीख मांगनी पड़ी। उन्हें शौचालय तो जाने दिया गया लेकिन उनके हाथ बंधे हुए थे और पुरुष अधिकारी शौचालय तक उनक पीछा करते हुए गए थे।
'जिंदा रहने के लिए हमें सूअर का मांस खाना पड़ता है'
दाउत ने सूअर का मांस खाने को लेकर कहा कि पोर्क को उइगर मुस्लिमों के शिविर में परोसा जाता है। उन्होंने कहा, 'जब आप यातना शिविर में बैठे हैं तो आप यह निर्धारित नहीं कर सकते हैं कि क्या खाना है और क्या नहीं खाना है। जिंदा रहने के लिए हमें वह मांस खाना पड़ता है जो हमें दिया जाता है।' अलजजीरा ने बताया कि चीन जानबूझकर शिंजियांग में सूअर पालन को बढ़ावा दे रहा है।
सयारगुल ने अलजजीरा को दिए इंटरव्यू में कहा, 'हर शुक्रवार को हमें सूअर का मांस खाने के लिए मजबूर किया जाता है...उन्होंने जानबूझकर शुक्रवार का दिन चुना है जो मुस्लिमों के लिए पवित्र दिन माना जाता है। अगर आप ऐसा करने से मना कर देते हैं तो आपको कड़ी सजा दी जाती है।' सयारगुल सौतबे स्वीडन में चिकित्सक और शिक्षक हैं। हाल ही में उन्होंने अपनी एक किताब प्रकाशित की है और इसमें अपने साथ हुई यातनाओं और पिटाई का जिक्र किया है।
उन्होंने कहा, 'मैं ऐसा महसूस कर रही थी कि मैं एक अलग व्यक्ति हूं। मेरे चारों तरफ निराशा ही नजर आती थी। यह निश्चित रूप से स्वीकार करना बेहद कठिन था।' चीन के दमन का शिकार रही एक और महिला बिजनसमैन जुमरेत दाउत हैं जिन्हें मार्च 2018 में उरुमेकी में पकड़ा गया था। उन्होंने कहा कि दो महीने तक मेरे साथ केवल पाकिस्तान के साथ संबंधों को लेकर पूछताछ होती रही जो उनके पति का देश था।
चीनी अधिकारियों ने न केवल सवाल पूछे बल्कि उनके बच्चों की संख्या, धर्म और कुरान के पढ़ने के बारे में जानकारी मांगी। दाउत ने बताया कि एक बार तो उन्हें अपने कैंप के पुरुष अधिकारियों से शौचालय जाने के लिए दया की भीख मांगनी पड़ी। उन्हें शौचालय तो जाने दिया गया लेकिन उनके हाथ बंधे हुए थे और पुरुष अधिकारी शौचालय तक उनक पीछा करते हुए गए थे।
'जिंदा रहने के लिए हमें सूअर का मांस खाना पड़ता है'
दाउत ने सूअर का मांस खाने को लेकर कहा कि पोर्क को उइगर मुस्लिमों के शिविर में परोसा जाता है। उन्होंने कहा, 'जब आप यातना शिविर में बैठे हैं तो आप यह निर्धारित नहीं कर सकते हैं कि क्या खाना है और क्या नहीं खाना है। जिंदा रहने के लिए हमें वह मांस खाना पड़ता है जो हमें दिया जाता है।' अलजजीरा ने बताया कि चीन जानबूझकर शिंजियांग में सूअर पालन को बढ़ावा दे रहा है।