गोरखपुर, उत्तरप्रदेश,13 दिसम्बर
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में डा.कफील खान की जमानत को चुनौती दी है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डा.कफील की एनएसए के तहत नज़रबंदी को खारिज कर दिया था।
डा.कफील खान को भड़काऊ बयान मामले में एनएसए के तहत नज़रबंद किया गया था। इस मामले में हाईकोर्ट से राहत मिलने के बाद डॉ.कफील को रिहा कर दिया गया था। डा.कफील गोरखपुर मेडिकल कालेज में डॉक्टर थे।
सुप्रीम कोर्ट पहुंची योगी सरकार ने कहा है कि डॉ.कफील पर लगे आरोप बेहद गंभीर किस्म के हैं। हाईकोर्ट ने उन पर लगे आरोपों की पूरी समीक्षा नहीं की। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट हाईकोर्ट के आदेश की समीक्षा करते हुए डॉ.कफील की जमानत को रद करने की अपील की है।
गौरतलब है कि सितम्बर में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डॉ कफील खान की रासुका में निरुद्धि और इसकी अवधि बढ़ाने के आदेश को अवैध करार देते हुए रद्द कर दिया था। कोर्ट ने रासुका लगाने के राज्य सरकार के तर्कों को सही नहीं माना और डॉ कफील खान को अविलंब रिहा करने का भी निर्देश दिया था। इसके बाद डॉ.कफील खान को रिहा कर दिया गया था।
एनएसए के आरोपों को खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि रासुका के तहत डॉ.कफील की गिरफ्तारी को अवैध ठहरा दिया था। कोर्ट ने सरकार के इस तर्क को भी नहीं माना था कि डॉ कफील खान जेल से अब भी अलीगढ़ युनिवर्सिटी के छात्रों को भड़काने का काम कर रहे थे। कोर्ट ने कहा कि जेल में बंद होकर डॉ कफील खान के पास ऐसा कुछ भी नहीं था, जिसका प्रयोग कर वह जेल के अंदर से छात्रों को भड़काते। कोर्ट ने सरकार की इस दलील को भी नहीं माना कि डॉ कफील खान ने देश विरोधी और भड़काऊ भाषण दिया है। कहा कि रासुका लगाने से पूर्व डॉ कफील को सीडी नहीं दी गई, जिसे देख या सुनकर वह इस सम्बन्ध में अपनी सफाई दे सकें।
अलीगढ़ में नागरिकता संशोधन कानून को लेकर भड़काऊ भाषण देने के आरोप में वहां के डीएम ने 13 फरवरी 2020 को डॉ कफील खान की रासुका में निरुद्धि का आदेश किया था। बाद में निरुद्धि की अवधि दो बार बढ़ाई भी गई। हालांकि डॉ कफील खान को गोरखपुर के गुलहरिया थाने में दर्ज एक मुकदमे में 29 जनवरी 2020 को ही गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका था। जेल में रहते हुए रासुका तामील कराया गया है।
डॉ कफील खान की मां नुजहत परवीन ने बेटे की रिहाई के लिए बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल करके रासुका आदेश को चुनौती दी थी। कहा गया था कि डॉ कफील खान को गलत फंसाया गया है। उन्होंने ऐसा कोई काम नहीं किया, जिससे उनपर रासुका लगाई जा सके। याचिका में आरोप लगाया गया कि डॉ कफील खान को अवैध रूप से हिरासत में लिया गया है इसलिए उनकी अविलंब रिहाई की जाए।
इससे पहले डॉ कफील खान की रासुका को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को मूल पत्रावली भेजते हुए इस मामले को निस्तारित करने का निर्देश दिया था।