एआरटीओ कार्यालय में लूट खसोट चरम पर



जौनपुर

एआरटीओ कार्यालय में अपने काम के लिए लोगों को परेशान होने के साथ रूपया भी खर्च करना पड़ता है। अधिकारी गायब रहते है और बिना रूपये के कोई फाइल पास होने की बात तो दर किनार आगे तक नहीं बढ़ती। खुलेआम धनउगाही में चर्चित यह कार्यालय हमेशा से सुर्खियों में रहा है लेकिन भाजपा शासनकाल में यहां मनमानी और लूट खसोट चरम पर पहुंच गयी है। इस कार्यालय पर जरूरत के लिए आने वाले से बात करने पर पता चला है कि सम्बन्धित अधिकारी अपने चैम्बर में बैठते नहीं अगर बैठते भी तो भीतर से दरवाजा कर लिया जाता है और बताया जाता है । 


आराम कर रहे है अथवा योग कर रहे है। आये दिन गायब रहने वाले अधिकारी बताते है कि काम से जाते है। कार्यालय पर आये करीब दो दर्जन से अधिक लोगों ने बताया कि बिना रूपये के कोई फाइल पास नहीं होती न आगे बढ़ायी जाती है। चाहे ड्राइविंग लाइसेन्स लर्निग हो या परमानेण्ट, रिनीवल हो या ट्रान्सपर सभी में पांच से 1500 रूपये तक वसूला जाता है। हैवी लाइसेन्स के लिए मोटी रकम खर्च करनी पड़ती है। एआरटीओ के कार्यालय के अधिकारियों ने अपने निजी आदमी वसूली के लिए लगा रखे है जिन्हे दलाल से लेकर सभी लोग जानते है।

 कोई अपने रिश्तेदार को रखकर कमा रहा है तो कोई निजी आदमी के जरिये वसूली करा रहा है। अधिकारी का कहना है कि ऊपर तक अधिकारियों को रूपया देना होता है । बिना रूपये के काम करके उनको कैसे संन्तुष्ट रखा जा सकता है। उक्त कार्यालय में भ्रष्टाचार और लूट खसोट के सभी रिकार्ड टूट रहे है लेकिन न तो जनप्रतिनिधि इस पर बोलने को तैयार है और जिला प्रशासन के अधिकारी भी यदा कदा छापा मार कर अपनी जिम्मेदारी से बरी हो जाते है और कोई भी कार्यवाही करने से परहेज करते है। 

ज्ञात हो कि मंगलवार को सर्वर फेल होने से कार्यालय में तमाम लोगों की भीड़ उमड़ी रही और बुधवार को भी व्यवस्था सही न होने से सवेरे नौ बजे से फोटो तथा अन्य कार्यो के लिए भारी संख्या में लोग पहुंचे लेकिन दोपहर तक कार्यठप रहा तो विभाग द्वारा वाई फाई लगवाया गया। जेसीज चैराहे पर सीवर की खोदाई के कारण टेलीफोट का तार उखाड़े जाने से दो दिन एआरटीओ कार्यालय में अफरातफरी का माहौल रहा। 

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