तालाब खाते की जमीन को परती दर्ज कराया भूमाफिआंे के इशारे पर लेखपाल का कारनामा़

 

जौनपुर, उत्तरप्रदेश, भारत,20 दिसम्बर। मछलीशहर कस्बे के बरईपार चैराहे पर स्थित बेशकीमती तालाब पर भूमाफिओ की कुत्सित नजर लगी है। उक्त तालाब पर ही हिन्दूओ के सभी मांगलिक कार्य संपन्न होते है।   जब तक यह तालाब मूल स्वामियो के नाम पर दर्ज था तब तक सुरक्षित रहा। लेकिन सन 2016 मे जब उपजिलाधिकारी न्यायालय से मूल स्वामियो का नाम निरस्त करके तालाब खाते मे सीधे दर्ज करने का आदेश हुआ तभी से उसपर अवैध कब्जा करने के लिए गिद्ध दृष्टि लग गयी। कस्बा लेखपाल की साजिश से पहले उसे परती दर्ज कराया गया। सन 2019 मे उक्त तालाब के लगभग एक चैथाई हिस्से  का

पटटा कस्बा निवासिनी एक महिला के नाम पर सिर्फ 2300 रूपये में कर दिया गया। जबकि उक्त तालाब का संपूर्ण रकबा 1.170 हेक्टेयर का है।
   तहसील प्रशासन को इतनी समझ भी नहीं थी कि 1.170 हेक्टेयर तालाब के एक चैथाई का मत्सय पालन पटटा कैसे संभव है। पट्टा लेने वाला उसमें से एक चैथाई हिस्सा कैसे अलग कर सकता है । पट्टेदार द्वारा बीतेे दिनो जेनसेट से तालाब का पानी निकालकर उसे सुखाने की कोशिश शुरू हुई। लेकिन जागरूक हिन्दू समाज ने विरोध किया तो एसडीएम अंजनी कुमार सिंह ने पानी निकालना बंद कराया। जबकि मत्सय पालन पट्टे के नियमों के तहत सिर्फ मछली पालन और बेचने का अधिकार मिलता है। पूरे तालाब का पानी क्यों निकाला जा रहा था यह समझ से परे है। तालाब पर अवैध कब्जा करने के लिये आश्चर्यजनक ढंग से उसे हल्का लेखपाल ने खसरे मे परती दर्ज कर दिया है।
 ताकि भविष्य मे भूमाफिओ को अवैध कब्जा करने मे सहूलियत मिल सके। जबकि 2016 मे तत्कालीन उपजिलाधिकारी विजय बहादुर सिंह ने तालाब खाते से मूल स्वामियो का नाम खारिज करके पुनः तालाब खाते मे दर्ज करने का न्यायिक आदेश पारित किया था। हिन्दू समाज ने ऐसे रिश्वतखोर लेखपाल को जाॅचोपरान्त निलंबित करने की माॅग की है। नगर के हिन्दू समाज ने माॅग की है कि यह तालाब मन्दिर के किनारे स्थित है और कस्बे की ऐतिहासिक धरोहर है जहाँ हिन्दू समाज अपने मांगलिक कार्यो को संपन्न करता है। इसको भूमाफिओ से बचाया जाये तथा तालाब के साथ कागजी छेड़छाड़ करने वाले हल्का लेखपाल के खिलाफ कार्यवाही की जाये।

Post a Comment

Previous Post Next Post

Contact Form