बस्ती, 24 दिसम्बर : सूबे की महिलाओं और बालिकाओं के सपनों में पंख लगाने का काम सरकार द्वारा चलाई जा रहीं हैं। बेटियों की शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा का ध्यान रखते हुए जहाँ मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला और बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ जैसी योजनाएं सक्रिय हैं, शासन से जारी पत्र के हवाले से ये जानकारी दी गयी है।
कन्या सुमंगला योजनाः
सूबे में समान लिंगानुपात व कन्या भ्रूण हत्या को रोकने, बालिकाओं के स्वास्थ्य व शिक्षा को सुदृढ़ करने, बालिका के परिवार को आर्थिक मदद और बालिका के प्रति आमजन की सोच में बदलाव लाने के लिए मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना मार्च 2019 में शुरू हुई। योजना का लाभ पाने के लिए उत्तर प्रदेश का निवासी होना चाहिए, परिवार में अधिकतम दो बच्चे हों और वार्षिक आय तीन लाख से कम हो। अब तक पांच लाख बालिकाओं को इसका लाभ मिला है।
181-महिला हेल्पलाइन
महिलाओं, बालिकाओं की सुरक्षा और सशक्तिकरण के लिए टोल फ्री नम्बर 181 जारी किया गया है। इस पर किसी भी वक्त मुसीबत में मदद ली जा सकती है। इसका केन्द्रीयकृत कॉल सेंटर लखनऊ में संचालित होता है। करीब 15,000 महिलाओं के मामले सामने आये, जिसमें महिलाओं की हरसंभव मदद की गयी।
बाल संरक्षण सेवाएंः
केंद्र सरकार के सहयोग से किशोर न्याय अधिनियम 2015 के तहत विधि विरुद्ध कार्यों में लिप्त बच्चों के संरक्षण, कल्याण एवं पुनःस्थापन के लिए राज्य सरकार द्वारा बाल संरक्षण सेवाएं योजना चल रही है। इसके तहत 51 राजकीय संस्थाएं चल रहीं हैं जिनमें 26 राजकीय सम्प्रेक्षण गृह, 12 बाल गृह, बालक, बालिका, पांच बाल गृह (शिशु), दो विशेष गृह, एक प्लेस ऑफ सेफ्टी, पांच पश्चातवर्ती देखरेख संगठन शामिल हैं। लगभग 1000 किशोर-किशोरियों को इससे लाभान्वित किया गया है।
पति की मृत्यु के बाद पेंशन योजनाः
पति की मृत्यु के बाद निराश्रित महिलाओं को 500 रूपये प्रतिमाह की दर से चार तिमाही में पेंशन का भुगतान पी0एफ0 एम0एस0 के माध्यम से किया जाता है। इसके लिए उत्तर प्रदेश का निवासी होन चाहिए और वार्षिक आय दो लाख रूपये से अधिक न हो। इस वित्तीय वर्ष 2020-21 में 27.40 लाख महिलाओं को लाभान्वित किया गया है। इसके अंर्तगत विभाग द्वारा प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के माध्यम से समस्त लाभार्थियों को रू 1000 अतिरिक्त आर्थिक सहायता के रूप में भुगतान किया गया है।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजनाः
गिरते लिंगानुपात में सुधार लाने, बालिका शिक्षा को प्रोत्साहित करने और बालिका के प्रति आमजन में सकारात्मक सोच लाने के लिए प्रदेश के 68 जिलों में बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ तथा महिला शक्ति केन्द्र योजना संचालित है। इसके तहत नाटक, नुक्कड़, बैनर, पोस्टर, वाल राइटिंग, जनसभा, रेडियो जिंगल व अन्य प्रतियोगिताओं और समारोहों के माध्यम से जनमानस में जागरूकता फैलाई जा रही है।
रानी लक्ष्मीबाई बाल एवं महिला सम्मान कोषः
महिलाओं व बालिकाओं के विरूद्ध होने वाले जघन्य अपराधों से पीड़ित महिलाओं के प्रति प्रदेश सरकार अत्यंत संवेदनशील है। कोष के अंर्तगत जघन्य अपराध से पीडित महिलाओं व बालिकाओं को 1 लाख से 10 लाख रूपये की आर्थिक क्षतिपूर्ति प्रदान की जाती है। साथ ही निशुल्क चिकित्सा सुविधा का भी प्रावधान किया गया है। योजना के अंर्तगत कुल 4937 महिलाओं तथा बालिकाओं को आर्थिक सहायता दी गई है।
मिशन शक्ति अभियानः
महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा ‘मिशन शक्ति’ के अंर्तगत 180 दिवसों की कार्ययोजना का शासनादेश समस्त जनपदों तथा संबंधित विभागों को प्रेषित किया गया है। विभाग द्वारा मुख्यालय स्तर से समस्त जनपदों को महिलाओं तथा बच्चों के प्रति हिंसा से रोकथाम, संबंधित कानूनों सहित विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं पर ‘विषय सामग्री’ तैयार कर प्रेषित की गई है, साथ ही समस्त जनपदों को विभिन्न विषयों पर आडियो, वीडियो सन्देश, मूवी आदि प्रेषित की गई हैं।