डा. रामदल पाण्डेय की पुस्तक ‘ उर्वशी में काम एवं सौन्दर्य का आध्यात्मिक धरातल’ का लोकार्पण

 




बस्ती । प्रेमचन्द साहित्य एवं जन कल्याण संस्थान अध्यक्ष सत्येन्द्रनाथ ‘मतवाला’ के संयोजन में रविवार को मशहूर शायर मिर्जा गालिब के 224 वें जयन्ती

अवसर पर कलेक्टेªट में राष्ट्रपति सम्मान प्राप्त डा. रामदल पाण्डेय की पुस्तक ‘ उर्वशी में काम एवं सौन्दर्य का आध्यात्मिक धरातल’ का लोकार्पण किया गया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुये वरिष्ठ  साहित्यकार अष्टभुजा शुक्ल ने कहा कि  महाकाव्यों में उर्वशी का विशिष्ट स्थान है। उर्वशी की भूमिका में डा. रामधारी सिंह दिनकर ने स्पष्ट स्वीकार किया है कि पुरूरवा सनातन नर का प्रतीक है और उर्वशी सनातन नारी की। डा. रामदल पाण्डेय ने उर्वशी पर केन्द्रित अपनी कृति के द्वारा देश की युवा पीढी को  एक सशक्त उपहार भेंट किया है जिससे हमारे युवा अपनी संस्कृति की जड़ो से जुड़ सके। निश्चित रूप से यह पुस्तक उर्वशी के कई नये सन्दर्भो का द्वार खोलती है।
डा. रामदल पाण्डेय ने ‘ उर्वशी में काम एवं सौन्दर्य का आध्यात्मिक धरातल’ पर प्रकाश डालते हुये कहा कि उर्वशी जैसे व्यक्तित्व पर पूर्व में ही काफी लेखन हुआ है इसके बाद भी यह आवश्यक है कि सनातन नारी उर्वशी के अन्य पक्षोें को भी उद्घाटित किया जाय। पुस्तक में प्रयास है कि महत्वपूर्ण विन्दु अध्ययन एवं शोध की दृष्टि से पाठकों, छात्रों के लिये उपयोगी हो।
प्रेमचन्द साहित्य एवं जन कल्याण संस्थान अध्यक्ष सत्येन्द्रनाथ ‘मतवाला’ ने कहा कि बस्ती का सौभाग्य है कि डा. रामदल पाण्डेय जैसे विद्वान हमारे बीच है। उन्होने हिन्दी साहित्य की जो सेवा किया है वह सदैव मील का पत्थर साबित होगा। लम्बे समय तक अध्यापक और अनुभव का प्रभाव इस पुस्तक में स्पष्ट है।
इस अवसर पर मुख्य रूप से श्याम प्रकाश शर्मा, मो. वसीम अंसारी, डा. रामकृष्ण लाल ‘जगमग’ डॉ. राम मूर्ति चौधरी, डा. अजीत कुमार श्रीवास्तव, फूलचन्द चौधरी, पं. चन्दबली मिश्र, राजेन्द्र सिंह राही, रामचन्द्र राजा, परमात्मा प्रसाद निर्दोष, हरीश दरवेश, विनय कुमार श्रीवास्तव, पेशकार मिश्र, ओम प्रकाश धर द्विवेदी, बालकृष्ण चौधरी, परशुराम शुक्ल, सामईन फारूकी, जगदीश प्रसाद, सूरज तिवारी, दीनानाथ आदि शामिल रहे।

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