बस्ती, उत्तरप्रदेश,24 दिसम्बर 20
सामाजिक कार्यकर्ता,आन्दोलन कारी
सुदामा ने जनहित केI उपेक्षा व चौकड़ी तोलप्लाज का साथ देने का आरोप अधिकारियों पर लगाते हु कहा है कि जो लोग इस भ्रम में हैं कि सरकार पूंजीपतियों नहीं किसानों के साथ है वो देख लें कि किस तरह किसानों के 14दिसम्बर टोल फ्री के ऐलान के बाद शासन सत्ता के आला अधिकारी त्वरित रूप से सभी टोलों के साथ साथ 60किमी के मानक विरुद्ध तालाब की जमीन पर अनाधिकृत रूप से बने अवैध टोल प्लाजा चौकडी के सुरक्षा हेतु तत्पर हो गये हैं जबकि इन्हीं सक्षम अधिकारियों को दर्जनों बार ग्यापन सौंपकर धरना प्रदर्शन व आमरण अनशन कर जनपद के प्रमुख चौराहों पर अण्डरपास बनाने अवैध टोल प्लाजा चौकडी हटाने व मुरादीपुर चौराहे के पास बने सर्विसरोड के होल को समाप्त करने की मांग कर चुका हूं किन्तु आज तक उस दिशा में कोई ठोस पहल नहीं हुआ है।
इतना ही नहीं बीते लोकसभा चुनाव के दौरान मेरे व मेरे चालक के साथ टोलकर्मियों द्वारा मारपीट व अभद्रता को लेकर चोट जांच कर अभियोग दर्ज करने व चार्जशीट लगाने के बाद भी आज तक टोल मैनेजर विरूद्ध कोई कार्यवाही नहीं हुई कारण टोल पूंजीपतियों का है ।
सच तो यह है कि सत्ता में बैठे जनप्रनिधि हों या शासन के अधिकारी कर्मचारी सब जनता के सेवक हैं कारण प्रजातंत्र में असली मालिक प्रजा है किन्तु बदले परिवेश में यह बात महज किताबी ज्ञान बनकर रह गया है।आज हमारे अधिकारियों जनप्रतिनिधियों में जनता के प्रति सेवा व समर्पण का भाव समाप्त हो चुका है सत्ता वंदना में वो अपना अधिकार व कर्तव्य भूल चुके हैं वो ये भूल रहे हैं कि उनका वेतन भत्ता सुख सुविधाएं जनता की बदौलत है।*