, कृषकों की फसलों को आकस्मिक क्षति से सुरक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से जनपद में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना संचालित है। उक्त जानकारी जिलाधिकारी आशुतोष निरंजन ने दी है। उन्होने बताया कि योजना के अंतर्गत केसीसी के माध्यम से फसली ऋण लेने वाले कृषक तथा ऐसे कृषक, जो किसान क्रेडिट कार्ड धारक नहीं है, और अपनी फसलों की बीमा कराना चाहते हैं, उन्हें भी इस योजना के अंतर्गत सम्मिलित किया गया है।
उन्होने बताया कि जनपद में गेंहू व मटर की फसल को योजना के अंतर्गत अधिसूचित किया गया है, जिसके लिए कृषक को गेंहूँ की फसल हेतु कुल बीमित धनराशि रुपये 64984 का 1.5 प्रतिशत कुल रुपये 974.76 प्रति हेक्टर तथा मटर की फसल हेतु कुल बीमित धनराशि रुपये 58925 का 1.5 प्रतिशत कुल रुपये 883.88 प्रति हैक्टर का प्रीमियम राशि देना होगा।
उन्होने बताया कि योजना के अन्यर्गत अधिसूचित क्षेत्र ग्राम पंचायत में अधिसूचित फसल गेंहू व मटर को निम्न जोखिमों के आधार पर होने वाली क्षति से फसल के उत्पादक कृषकों, जिनके द्वारा फसल का बीमा कराया गया है को बीमा कवर के रूप में वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।
उन्होने कहा है कि योजना में अधिसूचित क्षेत्र (ग्राम पंचायत) में अधिसूचित फसलों (गेंहू व मटर) को प्राकृतिक आपदाओं व रोके न जा सकने वाले अन्य जोखिमों यथा-रोगों, कृमियों से फसल नष्ट होने की निम्न स्थितियों में कृषकों, जिनके द्वारा फसल का बीमा कराया जाएगा, को बीमा कवर के रूप में वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।
व्यापक आपदाओं से फसलों की क्षति की स्थितियां-
देवी आपदा से राहत
उन्होने कहा कि प्रतिकूल मौसम में परिस्थितियों के कारण फसल की बुवाई न कर पाने, सफल बुवाई की स्थिति, खड़ी फसल को प्राकृतिक आपदाओं यथा सूखा अथवा सूची स्थिति, बाढ़, ओला, तूफान, चक्रवात, जलभराव, भूस्खलन, आकाशीय बिजली से उत्पन्न आग एवं रोके न जा सकने वाले अन्य जोखिमों-रोगों कृमयों से क्षति की स्थिति, फसल की प्रारंभिक अवस्था से फसल कटाई के 15 दिन पूर्व तक प्रतिकूल मौसमीय परिस्थितियों के कारण फसल की संभावित उपज में 50 प्रतिशत से अधिक की क्षति की स्थिति।
स्थानिक आपदाओं से फसलों के छति की स्थितियां-
उन्होने बताया कि खड़ी फसल को ओलावृष्टि, जलभराव (फसल धान को छोड़कर) भूस्खलन, बादल फटना, आकाशीय बिजली से उत्पन्न आग से क्षति की स्थिति, फसल कटाई के उपरांत आगामी 14 दिनों तक खेत में सुखाई हेतु रखी फसल में ओलावृष्टि, चक्रवात, वेमौसमी चक्रवाती वर्षा से क्षति की स्थिति, युद्ध, दुर्भावनापूर्ण क्षति व रोके जा सकने वाले अन्य जोखिमों से क्षति को योजना में कवर नहीं किया गया है।
उन्होने बताया कि किसान क्रेडिट कार्ड धारक ऋणी कृषकों का बीमा बैंक के द्वारा स्वतः कर दिया जाएगा। ऋणी कृषकों के फसल बीमा की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया गया है। यदि ऋणी कृषक अपने फसल की बीमा नहीं कराना चाहते हैं, तो ऋणी किसानों को अपने बैंक शाखा स्तर पर बीमा कराने की अंतिम तिथि 31 दिसंबर 2020 के 7 दिन पहले (24 दिसंबर, 2020) तक योजना अंतर्गत प्रतिभागिता नहीं करने के संबंध में लिखित रूप में बैंक शाखा, जहां से किसान की फसली ऋण की स्वीकृति हुई है, को अवगत कराना अनिवार्य होगा, अन्यथा की स्थिति में बैंक शाखा द्वारा ऋणी कृषकों के फसल का बीमा कर दिया जाएगा।
गैर कृषक भी राहत में शामिल!
उन्होने बताया कि जनपद में गेंहू व मटर की फसल को योजना के अंतर्गत अधिसूचित किया गया है, जिसके लिए कृषक को गेंहूँ की फसल हेतु कुल बीमित धनराशि रुपये 64984 का 1.5 प्रतिशत कुल रुपये 974.76 प्रति हेक्टर तथा मटर की फसल हेतु कुल बीमित धनराशि रुपये 58925 का 1.5 प्रतिशत कुल रुपये 883.88 प्रति हैक्टर का प्रीमियम राशि देना होगा।
उन्होने बताया कि योजना के अन्यर्गत अधिसूचित क्षेत्र ग्राम पंचायत में अधिसूचित फसल गेंहू व मटर को निम्न जोखिमों के आधार पर होने वाली क्षति से फसल के उत्पादक कृषकों, जिनके द्वारा फसल का बीमा कराया गया है को बीमा कवर के रूप में वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।
उन्होने कहा है कि योजना में अधिसूचित क्षेत्र (ग्राम पंचायत) में अधिसूचित फसलों (गेंहू व मटर) को प्राकृतिक आपदाओं व रोके न जा सकने वाले अन्य जोखिमों यथा-रोगों, कृमियों से फसल नष्ट होने की निम्न स्थितियों में कृषकों, जिनके द्वारा फसल का बीमा कराया जाएगा, को बीमा कवर के रूप में वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।
व्यापक आपदाओं से फसलों की क्षति की स्थितियां-
देवी आपदा से राहत
उन्होने कहा कि प्रतिकूल मौसम में परिस्थितियों के कारण फसल की बुवाई न कर पाने, सफल बुवाई की स्थिति, खड़ी फसल को प्राकृतिक आपदाओं यथा सूखा अथवा सूची स्थिति, बाढ़, ओला, तूफान, चक्रवात, जलभराव, भूस्खलन, आकाशीय बिजली से उत्पन्न आग एवं रोके न जा सकने वाले अन्य जोखिमों-रोगों कृमयों से क्षति की स्थिति, फसल की प्रारंभिक अवस्था से फसल कटाई के 15 दिन पूर्व तक प्रतिकूल मौसमीय परिस्थितियों के कारण फसल की संभावित उपज में 50 प्रतिशत से अधिक की क्षति की स्थिति।
स्थानिक आपदाओं से फसलों के छति की स्थितियां-
उन्होने बताया कि खड़ी फसल को ओलावृष्टि, जलभराव (फसल धान को छोड़कर) भूस्खलन, बादल फटना, आकाशीय बिजली से उत्पन्न आग से क्षति की स्थिति, फसल कटाई के उपरांत आगामी 14 दिनों तक खेत में सुखाई हेतु रखी फसल में ओलावृष्टि, चक्रवात, वेमौसमी चक्रवाती वर्षा से क्षति की स्थिति, युद्ध, दुर्भावनापूर्ण क्षति व रोके जा सकने वाले अन्य जोखिमों से क्षति को योजना में कवर नहीं किया गया है।
उन्होने बताया कि किसान क्रेडिट कार्ड धारक ऋणी कृषकों का बीमा बैंक के द्वारा स्वतः कर दिया जाएगा। ऋणी कृषकों के फसल बीमा की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया गया है। यदि ऋणी कृषक अपने फसल की बीमा नहीं कराना चाहते हैं, तो ऋणी किसानों को अपने बैंक शाखा स्तर पर बीमा कराने की अंतिम तिथि 31 दिसंबर 2020 के 7 दिन पहले (24 दिसंबर, 2020) तक योजना अंतर्गत प्रतिभागिता नहीं करने के संबंध में लिखित रूप में बैंक शाखा, जहां से किसान की फसली ऋण की स्वीकृति हुई है, को अवगत कराना अनिवार्य होगा, अन्यथा की स्थिति में बैंक शाखा द्वारा ऋणी कृषकों के फसल का बीमा कर दिया जाएगा।
गैर कृषक भी राहत में शामिल!
उन्होने बताया कि गैर ऋणी कृषक जो योजना में सम्मिलित होने के इच्छुक हैं, के द्वारा अपनी इच्छा अनुसार गेंहू की फसल का बीमा निकटतम बैंक शाखा, रिलायंस बीमा कंपनी के विकास खंड स्तर पर तैनात कर्मचारी या बीमा कम्पनी द्वारा विकास खंड स्तर पर नामित कॉमन सर्विस सेंटर के माध्यम से कराया जा सकता है। इसके लिए जिला कृषि अधिकारी कार्यालय में भी एक अस्थाई कैम्प स्थापित किया जा रहा है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत फसलों का बीमा कराने के लिए कृषक का बैंक में खाता होना अनिवार्य है।
उन्होने बताया कि योजना का लाभ जनपद के ज्यादा से ज्यादा कृषकों को प्राप्त हो सके, इसके लिए बीमा कंपनी द्वारा कृषि विभाग के सहयोग से प्रचार-प्रसार हेतु जनपद के सभी न्याय पंचायतों में रोस्टर के अनुसार फसल बीमा हेतु विशेष कैंप का आयोजन भी किया जाना प्रस्तावित है। कृषकों द्वारा अपने न्याय पंचायत पर लगने वाले बीमा कैम्प, कॉमन सर्विस सेंटर अथवा अपने क्षेत्र के बैंक से संपर्क कर अपने गेंहू के फसल का बीमा कराया जा सकता है।
उन्होने बताया कि यदि कृषकों को अपनी फसल का बीमा कराने में कोई समस्या आ रही हो तो बीमा कम्पनी के जिला समन्वयक से उनके मोबाइल संख्या 9152022805 अथवा कृषि विभाग के अधिकारियों से संपर्क किया कर सकते है।
उन्होने बताया कि योजना का लाभ जनपद के ज्यादा से ज्यादा कृषकों को प्राप्त हो सके, इसके लिए बीमा कंपनी द्वारा कृषि विभाग के सहयोग से प्रचार-प्रसार हेतु जनपद के सभी न्याय पंचायतों में रोस्टर के अनुसार फसल बीमा हेतु विशेष कैंप का आयोजन भी किया जाना प्रस्तावित है। कृषकों द्वारा अपने न्याय पंचायत पर लगने वाले बीमा कैम्प, कॉमन सर्विस सेंटर अथवा अपने क्षेत्र के बैंक से संपर्क कर अपने गेंहू के फसल का बीमा कराया जा सकता है।
उन्होने बताया कि यदि कृषकों को अपनी फसल का बीमा कराने में कोई समस्या आ रही हो तो बीमा कम्पनी के जिला समन्वयक से उनके मोबाइल संख्या 9152022805 अथवा कृषि विभाग के अधिकारियों से संपर्क किया कर सकते है।