बस्ती, वशिष्ठनगर, उत्तरप्रदेश, भारत,17 दिसम्बर।
उत्तरप्रदेश के विस्लाहवा विद्द्यालयों के कुलाधिपति आनन्दी बेन पटेल के विशेष कार्याधिकारी सी. संपत की ओर समस्त राज्य विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को जारी परिपत्र में प्राइवेट के रूप में प्रचलित शैक्षिक व्यवस्था पर प्रतिबंध लगाने का निर्देश दिया गया है। गोरखपुर और सिद्दरत विश्व विद्यालय के कुलपति को भी इस आशय का परिपत्र बुधवार को मिला है। इसे देखते हुए अब
वस्तुतः वर्तमान सत्र से ही प्राइवेट परीक्षा की प्रथा खत्म करने पर विचार कर रही है।
वस्तुतः फार्म भरने वाले व्यक्तिगत परीक्षार्थियों को सीधे परीक्षा में बैठने की अनुमति मिल जाती है। व्यक्तिगत परीक्षार्थियों को क्लास भी नहीं करना होता है। साथ ही आंतरिक असेसमेंट की भी कोई व्यवस्था नहीं है, जबकि दूरस्थ शिक्षा में विद्यार्थियों को स्टडी मैटेरियल उपलब्ध कराया जाता है। गुणवत्ता भी प्रभावित होती है।यही नहीं अवकाश में या शनिवार व रविवार को बकायदा कक्षाएं चलाई जाती हैं। प्रायोगिक की भी सुविधा है।
ऐसे में प्राइवेट परीक्षार्थी को विषय का ज्ञान नहीं हो पाता है और डिग्री मिल जाती है। यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है। उत्तर प्रदेश राजर्षि मुक्त विश्वविद्यालय (प्रयागराज) ने प्राइवेट परीक्षा के औचित्य पर सवाल भी उठाया था। मुक्त विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय निदेशक डा. एके सिह ने बताया कि इस संबंध में कुलाधिपति राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से भी मिले थे। उन्होंने कहा कि सूबे में मुक्त विश्वविद्यालय जब नहीं खुले थे। तब छात्रों को प्राइवेट परीक्षा देने की अनुमति दी जाती थी।
अब सूबे में मुक्त विश्वविद्यालय खुल चुका है। ऐसे में अब छात्रों को प्राइवेट परीक्षा देने की अनुमति देना गलत है। मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति के अनुरोध पर ही कुलाधिपति ने प्राइवेट परीक्षा की प्रथा समाप्त की है।
प्राइवेट परीक्षा की प्रथा खत्म करने के लिए राजभवन से पत्र मिला है। विद्या परिषद में इस पर विचार किया जाएगा। वैसे प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों में अब प्राइवेट परीक्षार्थी महज छह हजार रह गए हैं। विश्वविद्यालय से अब प्राइवेट फार्म नहीं भरवाए जाते हैं। संबद्ध कालेजों को प्राइवेट फार्म भरवाने की भी छूट थी। ऐसे में प्राइवेट परीक्षा की प्रथा बंद होने कोई खास असर नहीं पड़े