जौनपुरउत्तरप्रदेश, भारत 20 दिसम्बर
, पंचायत चुनाव को लेकर गांवों में चहल-पहल बढ़ने लगी है। संभावित प्रत्याशी अलग-अलग कुनबे को एक करने में जुट गए हैं। सार्वजनिक पार्टी का दौर भी शुरू हो चुका है। प्रधानों और संभावित प्रत्याशियों के दरवाजे पर गांव के लोगों की भीड़ जमा होने लगी है। अभी पंचायतों में सीटों के आरक्षण की तस्वीर साफ नहीं हुई है, लेकिन किसी भी दशा में गांव की गोलबंदी मैदान में ताल ठोंकने के मूड में हैं। अभी मतदाता सूची संशोधन का कार्य चल रहा है। इसमें सभी प्रत्याशी बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। गांवों में सार्वजनिक भोज का आयोजन भी शुरू हो चुका है।
पंचायत चुनाव को करीब देख पांच साल के बाद अब विपक्ष के प्रत्याशी भी अस्तित्व में आ चुके हैं। इससे पहले पंचायतों में गबन या भ्रष्टाचार पर कम सवाल होते थे, लेकिन इधर हर विकास कार्य पर सवाल उठ रहे हैं, जांच की मांग हो रही है। मनरेगा के अंदरखाने में चल रहे घालमेल की चर्चा भी सार्वजनिक होने लगी है। मनरेगा श्रमिकों के खाते से धन निकलवा कर ले लेने के मामले भी मुद्दे बन रहे हैं। प्रधानमंत्री आवास, शौचालय निर्माण, सड़क, पेयजल आदि के मुद्दों पर भी विपक्ष के संभावित प्रत्याशी प्रधानों को लगातार घेर रहे हैं।
ग्राम पंचायतों में मतदाताओं की अचानक पूछ बढ़ गई है। अभी कुछ माह पहले तक अपनी समस्याओं से तंग मतदाता प्रधानों को खोजते फिर रहे थे, अब प्रधान मतदाताओं को अपने कुशल व्यवहार का परिचय देते हुए अपनी ओर आकर्षित करने लगे हैं। आर्थिक तंगी के शिकार गरीब मतदाताओं को प्रधानों की ओर से कई तरह की मदद भी दी जा रही है। प्रधानों के इस बदले व्यवहार से मतदाता भी चकित हैं। सभी उनके इस व्यवहार से ही जान चुके हैं कि ग्राम पंचायत का चुनाव करीब है।