आर्य समाज सामाजिक समरसता व सामाजिक समृद्धि का प्रतीक

 बस्ती, उत्तर प्रदेश 1दिसम्बर2020


आर्य समाज नई बाजार पुरानी बस्ती का 48वां वार्षिकोत्सव राष्ट्र रक्षा यज्ञ के साथ सम्पन्न हुआ। इससे पूर्व सायंकालीन सत्र में आशोक कुमार मिश्र अध्यक्ष कलेक्ट्रेट कर्मचारी संघ बस्ती को उनकी विशेष सेवाओं व वेद प्रचार कार्यक्रमों में सहयोग के लिए सम्मानित किया गया। इस अवसर पर आचार्य सुरेश जोशी वैदिक प्रवक्ता बाराबंकी द्वारा ओम का चित्र भेंट किया गया तथा अलख निरंजन आर्य उपप्रधान आर्य समाज नई बाजार बस्ती द्वारा शाल ओढ़ाकर उन्हें सम्मानित किया गया। अपने उद्बोधन में अशोक मिश्र ने कहा कि जब समाज से सम्मान प्राप्त होता है तो समाज के प्रति जबाबदेही व उत्तरायित्व और अधिक बढ़़ जाता है। वैदिक विद्वानों के आशीर्वाद व यज्ञ से हमें उसे निर्वहन करने के लिए आत्मिक शक्ति प्राप्त होती है।

 आर्य समाज हमेशा सामाजिक कुरीतियों व अंधविश्वासों कों दूर करने के लिए प्रयासरत रहा है साथ ही सज्जनों के संवर्द्धन व दुष्टों का विरोध करते हुए उन्हें सतत सन्मार्ग भी दिखाता रहा है तथा आदर्श मानव बनाने हेतु प्रयत्नशील रहा है। ऐसी संस्था का समाज सदैव ऋणी रहेगा। विदुषी रुक्मिणी आर्य ने अपने भजनोपदेश के माध्यम से बताया कि राष्ट्र धर्म सबसे बड़ा है सबसे पहले राष्ट्र है तब धर्म है। हमें राष्ट्र के नाम एक मत रखना पड़ेगा तभी हम देश को बचा सकते हैं। आचार्य सुरेश जोशी ने अपने उद्बोधन में कहा कि आर्य समाज ही मानव जाति की आत्मा है और इसकी आत्मा वेद है।

 आर्य समाज कोई उपासना पद्धति नही बल्कि सबके ग्रहण करने योग्य है। आज दुनिया के लोग भले ही अपने आप को विभिन्न मत मजहबों में बाॅट रखे हों पर जब इस पृथ्वी पर कोई मत नहीं था तब वेद थे और वैदिक मत था इसलिए दुनिया का हर मानव पहले आर्य ही है।

 कहा कि आज लोग धर्मान्तरण की बात कहते हैं उन्हें पता होना चाहिए आर्य समाज कभी धर्मान्तरण नहीं करता बल्कि अपने धर्म पर वापस लाने का कार्य कर रहा है। कहा कि जो देश एवं धर्म के लिए लड़े उन्हें अछूत बताकर विधर्मियों ने अलग करने की कोशिश की तो आर्य समाज ने आगे बढ़कर उन्हें अपनाया और समाज की मूल धारा में लाया। 

हर देश की अपनी पहचान होती है इस देश की अपनी पहचान वैदिक संस्कृति है। आज देश में जितने घोटाले हुए है उन सबका मूल वैदिक संस्कृति से भटकाव ही है। यदि हम अपनी इस वैदिक संस्कृति की पहचान खोने का प्रयास करेंगें तो हम समाप्त हो जायेगें ऐसा उद्घोष करते हुए महर्षि दयानन्द सरस्वती ने वेदों की ओर लौटो का नारा देते हुए स्वदेशी का शंखनाद किया। उनके इस आवाहन पर पूरा देश एक हो गया और क्रंान्तिकारियों की एक लम्बी फौज तैयार हो गयी।

अंत में ओम प्रकाश आर्य प्रधान आर्य समाज नई बाजार बस्ती ने सबके प्रति आभार प्रकट करते हुए कहा कि आर्य समाज व्यक्ति की पूजा व सम्मान उनके दिव्य गुणों के कारण करता है। वैदिक संस्कृति एक सार्वदेशिक संस्कृति है इसे अपनाने से ही विश्व का कल्याण सम्भव है। 

कार्यक्रम में अलख निरंजन आर्य, अजय कुमार मद्धेशिया, आयुषी, मानसी, नन्दिनी, सुमन आर्य, द्रौपदी देवी, नितेश सिंह, आचार्य यादवेन्द्र मिश्र ज्योतिषी, सुभाष चन्द्र आर्य, संतोष कुमार पाण्डेय, चन्द्रप्रकाश आर्य, देवव्रत आर्य, दिनेश मौर्य, शिव श्याम, अरविंद श्रीवास्तव, राधा देवी, हरीराम आर्य, विजय कुमार अग्रवाल, अनूप त्रिपाठी, फूलमती, रामरती, राधेश्याम आर्य, रवि आर्य, शुभी आर्य, एकता गुप्ता, घनश्याम आर्य, आदि लोग उपस्थित रह।


Post a Comment

Previous Post Next Post

Contact Form