जौनपुर,उत्तरप्रदेश,5 दिसम्बर
जिले में कोरोना के कारण कई माह से बंद पडे विद्यालयों को खोलने का निर्देश शासन ने भले ही जारी कर दिया है कितु अभी भी अधिकांश स्कूल-कॉलेजों में ताला लटक रहा हैं। ऐसे में कोचिग संस्थान ही बच्चों की तैयारी के लिए एकमात्र विकल्प हैं। विद्यालयों में केवल विद्यार्थियों का नामांकन है। विद्यालयों में विषय विशेषज्ञ अध्यापकों के न होने के चलते विद्यार्थियों की पढ़ाई बाधित है। सबसे दयनीय स्थिति वित्तविहीन विद्यालयों की है। यहां रजिस्टर में छात्रों की संख्या भले ही दो से तीन सौ है लेकिन वहां पढ़ने के लिए छात्र नहीं जाते हैं। यही हालत अशासकीय सहायता प्राप्त विद्यालयों की भी है। यहां पर भी छात्रों की संख्या कागजों में भारी भरकम है, लेकिन सभी छात्रों ने कोचिग संस्थानों का रुख कर लिया है।
ऐसा करना सभी विद्यार्थियों की मजबूरी है, जो छात्र कोचिग संस्थानों का सहारा नहीं ले रहे, वे अपने पाठयक्रमों की तैयारी में पिछड़ जा रहे हैं। ऐसे में बहुत से काचिग संस्थान बिना रजिस्ट्रेशन के भी चल रहे हैं। उन संस्थानों के पास कोई मानक नहीं है, फिर भी विद्यार्थी भीड़ में बैठकर किसी तरह अपने पाठयक्रम की तैयारी कर रहे हैं। लगभग इंटर कालेजों की दशा ऐसी क्यों है, इस सवाल का जवाब जिम्मेदार अधिकारियों के पास भी नहीं है।
शिक्षा जगत से जुडे लोगों का कहना है कि जब तक सभी इंटर कालेजों की दशा नहीं सुधरेगी, उसमें पर्याप्त शिक्षकों की तैनाती नहीं होगी, तब तक अवैध कोचिग संस्थानों का बाजार खत्म नहीं होगा। खंड शिक्षा अधिकारी का कहना है कि कोचिग संस्थानों का पंजीकरण कराना जरुरी होता है। बगैर पंजीकरण कोई भी शैक्षणिक संस्थान चलाना गैर कानूनी है। इस विषय में उच्च अधिकारियों को लिखा जाएगा।