*मध्य रात्रि से तारीख का बदलाव ठीक नहीं* *दुनिया एक दिन भारत की कालगणना के साथ सहमत होगी* *व्याख्यान माला में उच्च शिक्षा मंत्री ने भारतीय कालगणना पर रखे विचार* *पं. गणेश प्रसाद मिश्र सेवा न्यास द्वारा आयोजित की गई चतुर्थ व्याख्यान माला*


छतरपुर,भारत16 दिसम्बर 2020भारतीय ऋषि परंपरा और वैदिक संस्कृति से प्राप्त कालगणना के तरीके न सिर्फ वैज्ञानिक हैं बल्कि समय की माप के सबसे शुद्धतम तरीके हैं। भारतीय प्राचीन कालगणना ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति के साथ प्रारंभ होती है, जबकि वर्तमान दुनिया में प्रचलित कालगणना की विधियां सत्ताओं के द्वारा थोपी गईं अवैज्ञानिक विधियां हैं। भारतीय परंपरा में वर्ष का शुभारंभ चैत्र नवरात्र से होता है, जब बसंत ऋतु के साथ पूरी प्रकृति उत्सव करती हुई नवीन प्रतीत होती है। दिवस का प्रारंभ सूर्योदय के साथ होता है। यह बहुत अवैज्ञानिक है कि हम रात 12 बजे मध्य रात्रि को कलैण्डर की तारीख को बदला हुआ मान रहे हैं। स्टीफन हॉकिन्स भी अपने विश्लेषण में लगभग ब्रम्हाण्ड की उत्पत्ति के उसी नतीजे पर पहुंचे जिस पर भारतीय विचार मौजूद था। आज नहीं तो कल दुनिया हमारी कालगणना को ही समय की माप का सबसे शुद्धतम तरीका मानेगी। 


उक्त उद्गार म.प्र. शासन के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव ने शहर के किशोर सागर स्थित ऑडिटोरियम में आयोजित पं. गणेश प्रसाद मिश्र स्मृति व्याख्यान माला के चतुर्थ पुष्प के अवसर पर व्यक्त किए। बतौर मुख्य वक्ता कार्यक्रम में आए श्री यादव ने अपनी पृष्ठभूमि उज्जैन से चर्चा का आरंभ किया। उन्होंने कहा कि उज्जैन कालगणना का पृथ्वी पर सबसे अहम हिस्सा है। उन्होंने उज्जैन से सटे डोंगला के बारे में कहा कि वह ऐसा स्थान है जहां से शुद्ध कालगणना प्रारंभ की गई थी। उन्होंने कहा कि इसीलिए उज्जैन को काल का शहर और महाकाल का शहर कहा जाता है। उन्होंने उज्जैन में होने वाली भस्म आरती को भी कालक्रिया के रूप में परिभाषित करते हुए कहा कि भस्म आरती के दौरान शिवलिंग को पानी से अभिषेक करने के उपरांत पंचामृत से अभिषेक करते हैं फिर तमाम वैभव और श्रृंगार किया जाता है और अंत में फिर पानी से सब कुछ धो दिया जाता है। यह जीवन का चक्र समझाने की विधि है। उन्होंने  कहा कि भारतीय संस्कृति और इसकी परंपराएं वैज्ञानिक विश्लेषणों पर आधारित हैं। इसका सबसे सटीक उदाहरण 12 वर्ष में पडऩे वाला कुंभ स्नान है, जो मानव जीवन को नदी किनारे एक माह गुजारने के लिए अवसर देता है ताकि जीवन पुन: ऊर्जा से भर जाए।  उन्होंने अंत में कहा कि आज इंग्लैण्ड के हिसाब से रात्रि 12 बजे तारीख बदलती है। कभी ऐसा पैरिस के हिसाब से होता था। जबकि पश्चिमी संस्कृति के पास अधिकतम चार हजार वर्षों का ज्ञान है। हमारी कालगणना बताती है कि पृथ्वी की आयु लगभग दो सौ करोड़ वर्ष हो चुकी है। एक दिन हमारी कालगणना पर दुनिया सहमत होगी। इसके लिए म.प्र. शासन भी अपने विज्ञान और तकनीकी विभाग के माध्यम से शोध को आगे बढ़ा रहा है।


न्यास का अभिनव प्रयास:नई पीढ़ी अपना अतीत  प्राच्य और पाश्चात्य का अंतर समझे !

मुख्य वक्ता के पहले पं. गणेश प्रसाद मिश्र सेवा न्यास के अध्यक्ष डॉ. राकेश मिश्र ने भी प्रास्ताविक उद्बोधन के माध्यम से अपने विचार रखे। उन्होंने सर्वप्रथम विगत चार वर्षों से न्यास के द्वारा किए जा रहे प्रयासों पर प्रकाश डाला और बताया कि नवंबर 2016 में दद्दाजी पं. गणेश प्रसाद मिश्र के निधन के उपरांत अपनी माताजी के कहने पर इस न्यास की परिकल्पना रखी जो देखते-देखते आज एक बड़े संस्थान के रूप में तब्दील हो गई है। उन्होंने कहा कि प्रतिवर्ष व्याख्यमान माला के अलावा प्रयागराज में माघ मेले का आयोजन, सतना व धवर्रा में स्वास्थ्य शिविरों जैसे अनेकों कार्यक्रम संस्था के द्वारा किए जा रहे हैं। श्री मिश्र ने कहा कि उज्जैन में डॉ. मोहन यादव द्वारा प्राचीन कालगणना को समझने के लिए किए जा रहे प्रयासों ने उन्हें प्रभावित  किया है ,इसलिए उनके विचार बुन्देलखण्ड तक पहुँचें। अत: इस वर्ष उन्हें व्याख्यामाला में आमंत्रित किया गया है। उन्होंने बताया कि भारत में प्राचीन ज्ञान भरा पड़ा है जो आज भी प्रासंगिक है। न्यास का उद्देश्य है कि इस तरह के आयोजनों के माध्यम से अपनी युवा पीढ़ी को जोड़े रखें। 

मैराथन का लोगो भी जारी!

व्याख्यान माला का प्रारंभ पं. गणेश प्रसाद मिश्र एवं भारत माता के चित्र पर माल्यार्पण के साथ किया गया। इस मौके पर कार्यक्रम के संयोजक डॉ. विनोद रावत एवं सहसंयोजक प्रवीण गुप्त व नरेन्द्र मिश्रा के द्वारा अतिथियों का स्मृति चिन्ह व अंग वस्त्र भेंट कर स्वागत किया गया। तदोपरांत डॉ. कीर्ति खरे के द्वारा अतिथि परिचय प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम के उपरांत डॉ. राकेश मिश्र ने बताया कि स्वस्थ समाज की प्रेरणा के लिए 12 जनवरी युवा दिवस के मौके पर न्यास के द्वारा बुन्देलखण्ड के 13 जिलों के प्रतिभागियों के साथ 3 आयु वर्गों में मैराथन दौड़ का आयोजन किया जाएगा। इस दौरान अतिथियों के द्वारा मैराथन का लोगो भी मंच से जारी किया गया। कार्यक्रम के समापन पर वंदे मातरम् का गायन किया गया। मंच संचालन डॉ. विनोद रावत ने किया। 

इनकी रही सारगर्भित उपस्थिति !



उक्त व्याख्यान माला में छतरपुर कलेक्टर शीलेन्द्र सिंह, बड़ामलहरा विधायक प्र्रद्युम्र सिंह, चंदला विधायक राजेश प्रजापति, पूर्व मंत्री ललिता यादव, पूर्व विधायक उमेश शुक्ला, गुडड्न पाठक, कुलपति टी.आर. थापक, कुलसचिव डॉ. पी.के पटैरिया, भाजपा जिलाध्यक्ष मलखान सिंह, पूर्व जिलाध्यक्ष पुष्पेन्द्र प्रताप सिंह, पूर्व नपाध्यक्ष अर्चना सिंह, अरविन्द पटैरिया, डॉ. घासीराम पटेल, नारायण काले, राकेश शुक्ला, विवेक चतुर्वेदी, गोपाल राय, अवधेश राठौर, शंकर्षणाचार्य महाराज, अभिनव त्रिपाठी, बी. बी. गंगेले सहित नगर के अनेक गणमान्य नागरिक एवं सतना, पन्ना, टीकमगढ़, निवाडी, झाँसी महोबा, ललित पुर, बॉंदा, सागर, चित्रकूट तथा आसपास के जिलों से आए न्यास से जुड़े सहयोगी शामिल रहे।

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