जिलाधिकारी आशुतोष निरंजन ने जनपद के पशुपालकों से अपने पशुओं का ईयर टैगिंग कराने की अपील किया है। अपने संदेश में उन्होंने कहा है कि जानवरों का टैगिंग कराने से जहां एक और उनकी सुरक्षा बढ़ती है वहीं दूसरी ओर शासकीय योजनाओं का लाभ भी मिलता है।
उन्होंने कहा है कि शासन द्वारा जानवरों के टैगिंग का कार्य शुरू किया गया है। जानवरों का टैगिंग करने के बाद इसका डाटा पशुपालक का नाम, मोबाइल नंबर, उनका पता एवं अन्य जानकारियां ऑनलाइन पशुपालन विभाग के पोर्टल पर फीड की जाती हैं। यह एक प्रकार का आधार कार्ड की तरह कार्य करता है। जानवर के कहीं गुम हो जाने पर टैगिंग के द्वारा उसका पता लगाया जा सकता है।
उन्होंने बताया कि जानवरों की सुरक्षा के लिए उन्हें कई प्रकार के टीके लगाए जाते हैं। टैग लगे होने पर मॉनिटरिंग करने में सुविधा होती है। टैग पर लगे नंबर को मोबाइल से स्कैन करने पर उसका डाटा स्क्रीन पर शो करने लगता है और यह पता चलता है कि इस जानवर को कब कौन सा टीका लग गया है। जानवर को टैग लगे रहने से पशुपालक चिंता मुक्त रहते हैं।
जिलाधिकारी ने कहा है कि पशुपालन विभाग द्वारा स्थापित पशु चिकित्सालय द्वारा टैग लगाने का कार्य निःशुल्क किया जा रहा है। पशुपालकों को आगे आकर शासन द्वारा दी जा रही इस सुविधा का लाभ लेना चाहिए।
इस संबंध में मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ अश्वनी तिवारी ने बताया कि पशुओं को टैग लगाने से उनका स्वास्थ्य प्रमाण पत्र बनाने में सुविधा होती है। खरीद बिक्री के बाद ट्रांसपोर्ट करने पर आसानी हो जाती है। कृत्रिम गर्भाधान एवं अन्य सुविधा प्रदान करने के लिए पहचान स्थापित होती है। उन्होंने बताया कि जिले में लगभग 50 प्रतिशत जानवरों की टैगिंग हो गई है। शेष का विभाग द्वारा कराए जाने की कार्रवाई की जा रही है।
उन्होंने कहा है कि शासन द्वारा जानवरों के टैगिंग का कार्य शुरू किया गया है। जानवरों का टैगिंग करने के बाद इसका डाटा पशुपालक का नाम, मोबाइल नंबर, उनका पता एवं अन्य जानकारियां ऑनलाइन पशुपालन विभाग के पोर्टल पर फीड की जाती हैं। यह एक प्रकार का आधार कार्ड की तरह कार्य करता है। जानवर के कहीं गुम हो जाने पर टैगिंग के द्वारा उसका पता लगाया जा सकता है।
उन्होंने बताया कि जानवरों की सुरक्षा के लिए उन्हें कई प्रकार के टीके लगाए जाते हैं। टैग लगे होने पर मॉनिटरिंग करने में सुविधा होती है। टैग पर लगे नंबर को मोबाइल से स्कैन करने पर उसका डाटा स्क्रीन पर शो करने लगता है और यह पता चलता है कि इस जानवर को कब कौन सा टीका लग गया है। जानवर को टैग लगे रहने से पशुपालक चिंता मुक्त रहते हैं।
जिलाधिकारी ने कहा है कि पशुपालन विभाग द्वारा स्थापित पशु चिकित्सालय द्वारा टैग लगाने का कार्य निःशुल्क किया जा रहा है। पशुपालकों को आगे आकर शासन द्वारा दी जा रही इस सुविधा का लाभ लेना चाहिए।
इस संबंध में मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ अश्वनी तिवारी ने बताया कि पशुओं को टैग लगाने से उनका स्वास्थ्य प्रमाण पत्र बनाने में सुविधा होती है। खरीद बिक्री के बाद ट्रांसपोर्ट करने पर आसानी हो जाती है। कृत्रिम गर्भाधान एवं अन्य सुविधा प्रदान करने के लिए पहचान स्थापित होती है। उन्होंने बताया कि जिले में लगभग 50 प्रतिशत जानवरों की टैगिंग हो गई है। शेष का विभाग द्वारा कराए जाने की कार्रवाई की जा रही है।