सूर्योपासना का ब्रत छठ आज से नहाय खाय से आरम्भ

नहाय खाय के साथ छठ पर्व शुरू


 जौनपुर, उत्तरप्रदेश


भगवान सूर्य की उपासना का  पर्व डाला छठ बुधवार को नहाय खाय के साथ शुरू हो गया। व्रती महिलायें तड़के स्नान ध्यान के बाद भगवान सूर्य की आराधना कर व्रत का संकल्प लिया। छठ पर्व की तैयारियों में घर-घर के लोग जुट चुके हैं। पूर्वी उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा त्योहार छठ पूजा 20 नवंबर को है। नहाय-खाय के बाद 19 नवंबर यानि गुरुवार को खरना, 20 को छठ पूजा और 21 को सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। ये सूर्य और प्रकृति के प्रति आभार प्रकट करने का पर्व है।


नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में छठ पर्व को लेकर दुकानें सज गई हैं। सामाजिक संगठनों के लोग श्रद्धा-भाव से व्रत धारियों के छठ घाट की सफाई सहित लाइट आदि का इंतजाम करने में जुटे हैं। सूर्य को ग्रंथों में प्रत्यक्ष देवता यानी ऐसा भगवान माना गया है, जिसे हम खुद देख सकते हैं। सूर्य ऊर्जा का स्त्रोत हैं। ज्योतिष के नजरिए से देखा जाए तो सूर्य आत्मा का ग्रह माना गया है। सूर्य पूजा आत्मविश्वास जगाने के लिए की जाती है। पुराणों के नजरिए से सूर्य को पंचदेवों में से एक माना गया है, ये पंच देव हैं ब्रह्मा, विष्णु, शिव, दुर्गा और सूर्य।


किसी भी शुभ काम की शुरुआत में सूर्य की पूजा अनिवार्य रूप से की जाती है। मान्यता प्रचलित है कि पुराने समय में सीता, कुंती और द्रोपदी ने भी ये व्रत किया था। छठ व्रत की तैयारियों में सर्वत्र शुद्धता का विशेष ध्यान रखा जा रहा है।


छठ माता के लिए निर्जला व्रत किया जाता है, यानी व्रत करने वाले लोग करीब 36 घंटे तक पानी भी नहीं पीते हैं। आमतौर पर ये व्रत महिलाएं ही करती हैं। इसकी शुरुआत पंचमी तिथि पर खरना करने के बाद होती है। खरना यानी तन और मन का शुद्धिकरण। इसमें व्रत करने वाला शाम को गुड़ या कद्दू की खीर ग्रहण करता है। इसके बाद छठ पूजन पूरा करने के बाद ही भोजन किया जाता है। छठ तिथि की सुबह छठ माता का भोग बनाया जाता है और शाम डूबते सूर्य को जल चढ़ाया जाता है। इसके बाद सप्तमी की सुबह फिर से सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इस तरह 36 घंटे का व्रत पूरा होता है।


 


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