शिवसेना कही कांग्रेस सेना तो नहीं

देश की एक आंचलिक पार्टी शिवसेना अमेरिका के राष्ट्रपति जो विडान के जीत के बाद अपने संपादकीय में लिखा है नमस्ते ट्रंप से भारत वर्ष में करोना फैला पहला वस्तुतः शिवसेना के पास विचारधारा स्वच्छ राष्ट्रीय त्व का भाव है ठाकरे परिवार की वंशावली और गिरदावरी को का करके वहां के समाचार पत्र और शिवसेना के कार्यकर्ता आत्म संतोष की भूमिका में रहते हैं आज शाम ना वार की टिप्पणी जानकर बड़ा खराब लगा कि उसने अपने संपादकीय में लिखा है भारतवर्ष में करो ना नमस्ते ट्रंप से आया वस्तुतः कि उसका सत्य ही सोच और वैचारिक असहिष्णुता तथा शास्त्र की भावना के प्रतिकूल ता दिखाता है एक समय था जब शिवसेना बाल ठाकरे जी के समय में जनसंघ और भारतीय जनता पार्टी के साथ हर कदम के साथ चला करते थे और कभी भी उन्होंने सत्ता से समझौता नहीं किया हमेशा कांग्रेश और नेहरू परिवार के प्रति उनकी सोच नफरत भरी ही रहे उनका कहना था कि गांधी परिवार और नेहरू परिवार से इस देश का भला नहीं हो सकता वह चाहते तो समझौता करके सत्ता प्रतिष्ठान में जा सकते थे परंतु एक हिंदू कुलभूषण और राष्ट्रीय गौरव के प्रति आदरणीय बाल ठाकरे जी के मन में यह मृग मरीचिका नहीं आई परंतु उनके वंशज जिस तरह से सत्ता प्राप्ति के लिए हर कदम पर कांग्रेस की गिरदावरी और चढ़ाव अली लेने के लिए तैयार हैं वह दिखाता है की कांग्रेश भी शिवसेना की पूरक है और शिवसेना कांग्रेसका संस्करण है वास्तव में शिवसेना का नाम बदलकर अब उसे कांग्रेस से ना रखने में संकोच नहीं करना चाहिए राष्ट्रीय और आंचलिक हितों को त्याग कर जिस तरह से शिवसेना सत्ता प्रतिष्ठान पर काबिज है हर समझौते मजबूरी में कर रही है और मजबूरी में जी रही है यह केवल सत्ता के ऑक्सीजन की देन है सत्ता में आने की छटपटाहट और जल्दी नहीं शिवसेना को न खुदा ही मिला न विसाले सनम इधर के रहे ना उधर के रहे इतिहास लिखेगा कि शिवसेना ने अपनी स्थापना काल से जिस विचारधारा का जबरदस्त विरोध किया जिस विचारधारा जिस विचारधारा ने शिवसेना को लगभग 5 दशक तक प्रताड़ित किया उस विचारधारा के प्रति स्वाभाविक सत्ता का मी शिवसेना के उत्तराधिकारी समर्पण कर चुके हैं समर्पण इसलिए भी कर चुके हैं कि भारतीय जनता पार्टी के साथ काम करने में अनुशासन था कांग्रेश के साथ काम करने में अनुशासन नाम का कोई प्रतिबंध नहीं है वहां परस्पर बांटो खाओ और राज करो की नीति और नियत पुष्पित पल्लवित हो रही है इसीलिए आज शाम नाग बार ने नरेंद्र मोदी पर प्रहार करते हुए जो लिखा है की नमस्ते ट्रंप से भारतवर्ष में करो ना फायदा यह उसकी हल्की सोच ही दिखाता है वस्तुतः नरेंद्र मोदी एक ऐसे राजनेता हैं जिन्होंने वैश्विक राजनीति में भारत की राजनीति को लेकर सबसे सर्जक और सबसे सटीक विदेश नीति का विश्लेषण किया है उसी विश्लेषण की परिणति है कि आज नए राष्ट्रपति का वेतन ने कह दिया कि 15 वर्ष पहले मेरा भारत सैनिक विलियम समझौता हुआ था और भारत और अमेरिका मिलकर वैश्विक शांति के वाहक हो सकते हैं लेकिन यह सामना अखबार को न बचकर केवल कर रहा है की नमस्ते ट्रंप एक समाचार के संपादक के नाते सामना को आज बयान देने से बचना चाहिए उनका यह बयान देश की एकता और अखंडता में घातक हो सकता है यह तो वैसे ही है जैसे असामान्य परिस्थिति में कोई अनावश्यक और अष्टपड़ी कर दे मेरा सुझाव है सामना अखबार कांग्रेस की बिरौली गाना छोड़ कर एक स्वस्थ और स्थापित मानदंडों का पालन करें जिसके लिए उन्होंने बाला साहब ठाकरे ने उसको स्थापित किया था अखबार बेलावली नहीं सत्य सत्य के अन्वेषी और तटस्थ भाव से एक अच्छे समीक्षक हो सकते हैं यह बात अलग है कि सामना पार्टी का अखबार है पर इसका अर्थ यह नहीं है कि राष्ट्रीय हितों को तिलांजलि देकर सामना अनैतिकता का सामना करें


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