केंद्रीय मंत्री और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता नितिन गडकरी ने एक नई व्यवस्था को प्रतिपादित करते हुए आवाहन किया है कि किसी भी राजनीतिक दल में किसी भी प्रकार के जाति के प्रकोष्ठ नहीं होने चाहिए जब सभी लोग एक हैं तो फिर जातीय प्रकोष्ठ की किसी प्रकार की आवश्यकता नहीं उन्होंने कहा कि मैंने राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते हुए इस बात का अनुभव किया था जाति प्रकोष्ठ पार्टी के कार्य में बाधक हैं गडकरी ने कहा है कि जाति से नहीं लोगों की प्रतिभा से पहचान होनी चाहिए श्री गडकरी का बयान उस समय आया है जब संपूर्ण देश में पक्ष और विपक्ष में जाति प्रतिष्ठा का बोलबाला है और हर व्यक्ति जाति के आधार पर वोट बैंक की स्थापना कर रहा है
वोटों की राजनीति और जाति की राजनीति पर संपूर्ण भारतीय जनता पार्टी कांग्रेस बसपा सपा सब में जाति प्रकोष्ठ की संरचना है और नितिन गडकरी का यह बयान ने संदेह सभी राजनीतिक दलों के लिए चिंता का विषय है कि राजनीतिक प्रकोष्ठ में जाति प्रकोष्ठ को समाप्त किया जाना चाहिए जातीय प्रकोष्ठ सामाजिक सद्भाव और सामाजिक संरचना में सबसे बड़े बाधक है इसलिए अब सबको चाहिए मिलकर प्रतिभा के आधार पर निर्माण समाज का निर्माण करें ना कि जाति के आधार पर
जाति के पहचान से असहिष्णुता पड़ेगी प्रतिभा का हनन होगा और व्यवसाय असहिष्णुता का भी बोलबाला होगा परंतु यहां प्रतिभा का चयन होगा तो वह किसी को कोई भी परेशानी नहीं होगी सबको लंबी दौड़ लगाने से जो जीतेगा वह सिकंदर बनेगा परंतु इस बयान का एक तार से अभी है जाति प्रकोष्ठ समाप्त होंगे तो आरक्षण की भी समीक्षा होनी चाहिए यह संकेत लगभग तरीका यही है कि सबको अपनी प्रतिभा को प्रदर्शन का अवसर मिलना चाहिए जातियां सब प्रकार के समाज निर्माण मेके बाधक है।