जौनपुर,उत्तरप्रदेश
खाद्य सुरक्षा और औषधि विभाग में कार्यरत औषधि निरीक्षक की सम्पूर्ण कार्यप्रणाली संदिग्ध और भ्रष्टाचार की सीमा पार कर रही है , उनके द्वारा शासन, प्रशासन , विभाग तथा अदालत को भी गुमराह किया जा रहा है। इस गंभीर समस्या पर विभाग के जिला से लेकर प्रदेश स्तरीय अधिकारियों के संज्ञान में प्रकरण भेजा गया है लेकिन कार्यवाही करने में हीलावहाली की जा रही है। भदोही और जौनपुर का एक साथ कार्यभार देख रहे औषधि निरीक्षक द्वारा जनसूचना के माध्यम से अनेक सूचनायें नहीं दी जा रही है अथवा भ्रामक दी जा रही है।
मनमानी का आलम यह है कि जिन दवाओं का सेम्पुल लैब से जांच कर अधोमानक एवं नकली बताया गया उनके मुकदमें नियमानुसार अदालत में न देकर अन्यत्र पत्रावली देकर दोषियों को बचाने मेंअहम भूमिका निभायी जा रही है लेकिन ऊपर से लेकर नीचे तक अधिकारी इस नियम विरूद्ध कार्य को संज्ञान में लेकर दण्डात्मक कार्यवाही करने के बजाय लाभ प्राप्त कर रहे है। बताया गया है कि नकली दवाओं के रिपोर्ट आने पर नियमानुसार दीवानी न्यायालय में विशेष अदालत में प्रकरण का मुकदमा दर्ज कराया जाना चाहिए लेकिन इन मामलों को सीजेएम के यहां भेजकर खानापूर्ति कर ली गयी है।
वर्ष 2008-2099 में संशोधन हुआ कि ड्रगके मुकदमें विशेष अदालत में दर्जकराये जायेगे और यहां अदालत भी स्थापित की गयी है लेकिन औषधि निरीक्षक ने उक्त अदालत जब से स्थापित हुई तब से कोई मुकदमा उसमें दर्ज नहीं कराया गया। इतना ही नहीं । इतना ही नहीं जौनपुर और भदोही के आधा दर्जन जनसूचना का जबाब न देने पर औषधि नरीक्षक पर जुर्माना लगाने का आदेश दिया गया है।
आदर्श त्रिपाठी भदोही 8-11-2019 के आवेदन पर 25 हजार, जगन्नाथ जौनपुर 25-11-2019, जगन्नाथ यादव जौनपुर 31-12-2019 क्रमशः 15 व 10 हजार का जुर्माना लगाया गया है। उप सचिव प्रभात कुमार ने आयुक्त खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन को लिखे पत्र में कहा है कि उत्तर प्रदेश सूचना आयोग द्वारा अर्थदण्ड वसूली कराकर आख्या शासन को भेजी जाय और आख्या भेंजने केतिथि भी बीत चुकी है।