जौनपुर,उत्तरप्रदेश
जर्जर वाहन भले ही दुर्घटना का एक कारण हो लेकिन, यहां फिटनेस को लेकर कुछ खास जागरूकता देखने को नहीं मिल रही है। छोटे व भारी वाहनों की बात करें तो यहां सैकड़ों की संख्या में अनफिट वाहन फर्राटा भर रहे हैं। इसमें स्कूल बस व वैन भी शामिल हैं। ट्रैक्टर-ट्राली व जुगाड़ वाहनों में रिफ्लेक्टर नहीं लगा होता है। ये रात में खासकर सर्दी की रात में दुर्घटना को दावत दे रहे हैं। वहीं, अधिकारी कागजों में अभियान चलाकर फिटनेस प्रमाण पत्र जारी करने का दावा कर रहे है। सड़क दुर्घटना में लोग रोज जान गंवा रहे हैं। इससे परिवार का विकास पीछे जा रहा है लेकिन, यहां खुलेआम मानकों व नियमों की अनदेखी की जाती है। गाड़ी का फिटनेस जरूरी है लेकिन, वाहन स्वामी परिवहन खर्च से बचने के लिए फिटनेस को गंभीरता से नहीं लेते।
पुलिस भी सामान्य नियमों को तो देखती है मगर फिटनेस परमिट की चेकिग नहीं करती। परिवहन विभाग के प्रवर्तन दल को फिट वाहनों के संचालन की जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई है लेकिन, वे इसे अमली जामा नहीं पहना पा रहे हैं। नाममात्र की चेकिग करने से वाहन स्वामी मनमानी करने से बाज नहीं आ रहे हैं। बड़े व्यवसायिक वाहन में अक्सर रिफलेक्टर नहीं दिखाई पड़ता। इस समय ठंड का मौसम है। कोहरा गिरना शुरू हो रहा है। इसके बाद भी फॉग लाइट का चलन नहीं शुरू हुआ है। यहां बिना फॉग लाइट, हेडलाइट, बैक लाइट व पार्किंग लाइट के बगैर ही गाड़ियां फर्राटा भर रही हैं। यहां भारी वाहनों के साथ ही ट्रैक्टर ट्रॉली व जुगाड़ वाहन कहर ढा रहे हैं। इनमें किसी तरह का सुरक्षा मानक का उपयोग नहीं किया जाता। मनमाना संचालन होता है। लकड़ी,मिट्टी, ईट आदि से लदी ट्रॉलियां सामने वाले को दुर्घटना का दावत देती हैं। ट्रॉली में पीछे कलर रिफ्लेक्टर भी नहीं लगाया जाता।
इससे पीछे से आने वालों को कोहरे में दिखाई नहीं पड़ता और वह ट्रॉली में भिड़ जाता है। इससे गंभीर दुर्घटना हो जाती है। कई बार जान भी चली जाती है लेकिन, इन पर प्रभावी कार्रवाई नहीं हो पा रही है। परिवहन विभाग के प्रवर्तन दल के साथ ही मिल संचालक भी ट्रॉलों में रिफ्लेक्टर लगाना मुनासिब नहीं समझते। ठीक इसी तरह जुगाड़ वाहन भी बिना किसी सुरक्षा उपाय के फर्राटा भरते हैं। एआरटीओ कहते है फिटनेस की जांच कराई जाती है। मनमाना वाहन संचालित मिलने पर कार्रवाई की जाती है। लोगों को जागरूक भी किया जा रहा है।