जौनपुर,उत्तरप्रदेश,28 नवम्बर
वाहन चालक अगर यातायात नियमों का पालन करने लगें तो निश्चय ही हादसों में कमी आएगी। यहां तो नियमों को तोड़ना लोगों की शान में शुमार है। अगर किसी वाहन चालक को ट्राफिक के जवान ने रोक दिया तो उससे उलझने में तनिक भी गुरेज नहीं करते। ऐसे में सरकार के नए जुर्माने के नियम का असर अब वाहन चालकों पर दिखने लगा है। अगर इधर एक माह के आंकड़ों पर गौर करें तो दो दर्जन से अधिक लोगों की जान सड़क हादसों में जा चुकी है। मानव की थोड़ी सी लापरवाही जानलेवा हो जाती है। इसके बाद भी कोई सबक नहीं ले रहा है। हादसों के कारण सड़कें खून से लाल हो जा रही हैं। जिले में राष्ट्रीय राजमार्ग पर सबसे अधिक दुर्घटनाएं होती हैं। इस राजमार्ग पर यातायात नियमों के सांकेतिक चिह्न के कोई बोर्ड तक नहीं हैं।
यहां तक कि दुर्घटना बाहुल्य क्षेत्र का भी बोर्ड दिखाई नहीं पड़ता है। ऐसे में बड़े वाहनों से घटनाएं अक्सर हो जाती हैं। पुलिस इस तरह के मामले में केवल पोस्टमार्टम तक ही अपनी कार्रवाई सीमित रखती है। यह सच है कि जिदगी काफी अनमोल है, इसकी हिफाजत करना खुद की ही जिम्मेदारी है। इसके बाद भी हम सचेत नहीं होते है। नेशनल हाईवे की बात की जाए तो अधिकतर सड़क हादसे इसी पर होते हैं। इस मार्ग पर सवारी वाहन भी मानक के अनुरूप नहीं चलते। वाहनों पर मानक से ज्यादा सवारी तो ढोया ही जाता है, ऊपर से कहीं यातायात सुरक्षा मानक के नामों निशान तक नहीं है। बावजूद इसके पुलिस चुप्पी साधे रहती है। कारण जो भी हो, लेकिन कहीं न कहीं दुर्घटना के कारणों में विभाग की चुप्पी भी एक प्रमुख कारण है।
विडंबना ही कहेंगे कि इतनी व्यस्त सड़क पर यातायात सुरक्षा के मानक तक कहीं नजर नहीं आएंगे। यातायात नियमों का पालन कराने में प्रशासनिक अमला तनिक भी दिलचस्पी नहीं ले रहा है। यातायात माह के नाम पर परिवहन विभाग व यातायात पुलिस सिर्फ खानापूर्ति तक सीमित है। दो-चार स्कूलों में कार्यक्रम व यातायात नियम लिखे पर्चे बांटने तक सीमित प्रशासन यातायात नियमों का पालन कराने में पूरी तरह असफल है। मार्ग पर गति सीमा व खतरनाक मोड़ तक के बोर्ड भी कहीं दिखाई नहीं पड़ते हैं। इससे दूरदराज से आने वाले वाहनों को रात में खतरनाक मोड़ का अंदाजा तक नहीं लग पाता है। नतीजा सड़क हादसों का ग्राफ साल-दर-साल बढ़ता ही जा रहा है। सर्दी के दौरान घने कोहरे में तो सड़क हादसों का ग्राफ और बढ़ जाता है।
हादसों को रोकने के लिए परिवहन विभाग व यातायात विभाग की लापरवाही का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कोहरे में दूर तक लाइट पड़ने पर नजर आने वाली परावर्ती पट्टी तक वाहनों पर नहीं लगाए जाते हैं, जबकि मोटर व्हीकल एक्ट के तहत वाहनों पर उसके आयताकार के बराबर परावर्ती पट्टी रिफ्लेक्टर लगाना अनिवार्य है। ऐसा न करने पर चालान का प्राविधान भी है। यातायात नियमों के प्रति यही लापरवाही सड़क हादसों के ग्राफ को लगातार ऊपर उठा रहा है।