मण्डलायुक्त अनिल कुमार सागर ने निर्देश दिया है कि बैंक द्वारा अस्वीकृत किए गये ऋण आवेदन पत्रों को तीनों जिलों के उपायुक्त उद्योग पुनरीक्षण कर लें तथा वायवल पाये गये आवेदन पत्रों को पुनः बैंक को भेजें। मण्डलायुक्त सभागार में आयोजित समीक्षा बैठक में उन्होने कहा कि बैंक ऋण स्वीकृत करने में लचीला रूख अपनाये। ये सभी छोटी धनराशि की लोन है। बहुत अधिक विधिक अड़चन न हो तो ऋण आवेदन पत्रों को स्वीकृत करें।
समीक्षा में उन्होने पाया कि प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम में प्रेषित 654 के सापेक्ष 272, मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना में 653 के सापेक्ष 310 तथा एक जनपद एक उत्पाद योजना में 432 के सापेक्ष 223 ऋण आवेदन पत्र बैंक द्वारा अस्वीकृत कर दिये गये है। अस्वीकृत आवेदन पत्रों में सर्वाधिक बस्ती में है। खादी ग्रामोद्योग विभाग के तीनो योजनाओं में लगभग 100 ऋण आवेदन पत्र रिजेक्ट किए गये है।
मण्डलायुक्त ने कहा कि इन योजनाओं में आवेदन करने वाले लाभार्थी नये होते है, उनमें अनुभव की कमी भी होती है, लेकिन शासन द्वारा उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए योजनाओं के माध्यम से ऋण उपलब्ध कराया जाता है। बैंक के शाखा प्रबन्धको को शासन की इस मंशा को समझते हुए ऋण स्वीकृत करना चाहिए। अस्वीकृत किए गये आवेदन पत्रों की संख्या को देखते हुए ऐसा लग रहा है कि बैंको ने एक तरफ निर्णय लेते हुए आधे से अधिक आवेदन पत्रों को अस्वीकृत कर दिया है।
उन्होने कहा कि अपवाद स्वरूप कोई ऋण आवेदन पत्र अस्वीकृत होना चाहिए परन्तु आकड.े बताते है कि इन योजनाओं में अपवाद स्वरूप ऋण आवेदन पत्र स्वीकृत किए गये है। शासकीय योजनाओं में ऋण स्वीकृत करने के लिए सक्षम प्राधिकारी को सेन्सटाइज करने की आवश्यकता है। मण्डल में भारतीय स्टेट बैंक तथा पूर्वांचल ग्रामीण बैंक की सर्वाधिक शाखाए है इसलिए सर्वाधिक लोन स्वीकृत करने की जिम्मेदारी भी इन्ही बैंको की है। उन्होने सभी बैंकर्स से अपील किया कि ऋण आवेदन पत्र अस्वीकृत करने की मानसिकता से कार्य न करें। नये लोग उद्योग लगा रहे है, इसे ध्यान में रखते हुए उनकी हर सम्भव सहायता होनी चाहिए। मामूली कारणों से ऋण आवेदन पत्र अस्वीकृत न किए जाय। ऐसे भी उदाहरण मिले है कि बिना कारण बताये ऋण आवेदन पत्र अस्वीकृत कर दिया गया है।
मण्डलायुक्त ने कहा कि अन्य योजनओ की भाॅति उद्योग में भी महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की योजना संचालित की जाती है। केवल महिला आवेदक होने के कारण ही इनके ऋण आवेदन पत्र अस्वीकृत न किए जाय। विभिन्न क्षेत्रों में महिलाए भी अच्छा कार्य कर रही है। उनको समृद्ध बनाकर हम पूरे परिवार एवं समाज को समृद्ध बना सकते है।
बैठक का संचालन संयुक्त निदेशक उद्योग आशुतोष त्रिपाठी ने किया। इसमें उपायुक्त उद्योग उदय प्रकाश, संतकबीर नगर के रवीशर्मा, सिद्धार्थ नगर के दयाशंकर सरोज, ग्रामोद्योग अधिकारी एके सिंह, चेम्बर्स आफ इंडस्ट्री के हरिशंकर शुक्ला, लीड बैंक मैनेजर अविनाश चन्द्रा, भारतीय स्टेट बैंक, पूर्वांचल बैंक, पीएनबी, बैंक आफ बड़ौदा के जिला समन्वयक उपस्थित रहें।
समीक्षा में उन्होने पाया कि प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम में प्रेषित 654 के सापेक्ष 272, मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना में 653 के सापेक्ष 310 तथा एक जनपद एक उत्पाद योजना में 432 के सापेक्ष 223 ऋण आवेदन पत्र बैंक द्वारा अस्वीकृत कर दिये गये है। अस्वीकृत आवेदन पत्रों में सर्वाधिक बस्ती में है। खादी ग्रामोद्योग विभाग के तीनो योजनाओं में लगभग 100 ऋण आवेदन पत्र रिजेक्ट किए गये है।
मण्डलायुक्त ने कहा कि इन योजनाओं में आवेदन करने वाले लाभार्थी नये होते है, उनमें अनुभव की कमी भी होती है, लेकिन शासन द्वारा उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए योजनाओं के माध्यम से ऋण उपलब्ध कराया जाता है। बैंक के शाखा प्रबन्धको को शासन की इस मंशा को समझते हुए ऋण स्वीकृत करना चाहिए। अस्वीकृत किए गये आवेदन पत्रों की संख्या को देखते हुए ऐसा लग रहा है कि बैंको ने एक तरफ निर्णय लेते हुए आधे से अधिक आवेदन पत्रों को अस्वीकृत कर दिया है।
उन्होने कहा कि अपवाद स्वरूप कोई ऋण आवेदन पत्र अस्वीकृत होना चाहिए परन्तु आकड.े बताते है कि इन योजनाओं में अपवाद स्वरूप ऋण आवेदन पत्र स्वीकृत किए गये है। शासकीय योजनाओं में ऋण स्वीकृत करने के लिए सक्षम प्राधिकारी को सेन्सटाइज करने की आवश्यकता है। मण्डल में भारतीय स्टेट बैंक तथा पूर्वांचल ग्रामीण बैंक की सर्वाधिक शाखाए है इसलिए सर्वाधिक लोन स्वीकृत करने की जिम्मेदारी भी इन्ही बैंको की है। उन्होने सभी बैंकर्स से अपील किया कि ऋण आवेदन पत्र अस्वीकृत करने की मानसिकता से कार्य न करें। नये लोग उद्योग लगा रहे है, इसे ध्यान में रखते हुए उनकी हर सम्भव सहायता होनी चाहिए। मामूली कारणों से ऋण आवेदन पत्र अस्वीकृत न किए जाय। ऐसे भी उदाहरण मिले है कि बिना कारण बताये ऋण आवेदन पत्र अस्वीकृत कर दिया गया है।
मण्डलायुक्त ने कहा कि अन्य योजनओ की भाॅति उद्योग में भी महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की योजना संचालित की जाती है। केवल महिला आवेदक होने के कारण ही इनके ऋण आवेदन पत्र अस्वीकृत न किए जाय। विभिन्न क्षेत्रों में महिलाए भी अच्छा कार्य कर रही है। उनको समृद्ध बनाकर हम पूरे परिवार एवं समाज को समृद्ध बना सकते है।
बैठक का संचालन संयुक्त निदेशक उद्योग आशुतोष त्रिपाठी ने किया। इसमें उपायुक्त उद्योग उदय प्रकाश, संतकबीर नगर के रवीशर्मा, सिद्धार्थ नगर के दयाशंकर सरोज, ग्रामोद्योग अधिकारी एके सिंह, चेम्बर्स आफ इंडस्ट्री के हरिशंकर शुक्ला, लीड बैंक मैनेजर अविनाश चन्द्रा, भारतीय स्टेट बैंक, पूर्वांचल बैंक, पीएनबी, बैंक आफ बड़ौदा के जिला समन्वयक उपस्थित रहें।