क्योकि !!!

 


                   *क्योंकि*

बस तोड़ने की बातें,   लोगों में चल पड़ी हैं ,

कुछ जोड़ने की कोशिश करना बुरा नहीं है।

उसको समझ यही है, सिक्का तभी जमेगा,

अपना ही है वो घाती,   कोई दूसरा नहीं है।

नफरत के बीज बोना, आसान लग रहा है ,

लगता है वो बेदर्दी,   दिल से जुड़ा नहीं है ।

हर बात का बखेड़ा , करने में है वो माहिर ,

कभी प्यार की किताबें, उसने पढ़ा नहीं है ।

मुहब्बतों की दुनियां,सिमटती जा रही है,

इन नफरतों से लड़ने,कोई खड़ा नहीं है।

जो खड़ा है,  मोहब्बत थोड़ी बचा लिया है,

वो नफरतों के डर से, कभी डरा नहीं है।

जो बुद्ध हो गया है ,       वो शुध्द हो गया है ,

वो आज भी जिन्दा,     अब भी मरा नहीं है।

                             हरबिंदर सिंह "शिब्बू"

                              

                               











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