लखनऊ,
अकेले कोरोना काल में ही उत्तर प्रदेश में चार पत्रकारों की हत्या हो गयी है और 50 से ज्यादा एफआईआर दर्ज कर आतंक का माहौल बना दिया गया है। लोकतंत्र के लिए इसे घातक बताते हुए समिति अध्यक्ष ने कहा कि लगातार प्रदेश में पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करने की मांग की जा रही है पर उस पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
हेमंत तिवारी ने कहा कि इससे पहले हाथरस कांड में भी अधिकारियों ने पत्रकारों के साथ दुर्व्यवहार किया था और उन्हें कवरेज से रोकने का काम किया था। आजमगढ़, मिर्जापुर, बलरामपुर, देवरिया, सोनभद्र, सीतापुर, कानपुर, लखनऊ सहित दर्जनों जिलों में पत्रकारों को सरकारी उत्पीड़न का शिकार बनाया गया है। एक अन्य टेलीविजन चैनल के संवाददाताओं पर भी हाल ही में मुकदमा दर्ज किया गया है। उन्होंने मांग की है कि फतेहपुर में भारत समाचार के संवाददाताओं सहित अन्य मामलों में दर्ज मुकदमे वापस लेते हुए पत्रकारों का उत्पीड़न करने वाले अधिकारियों पर कारवाई की मांग की गई है।