उत्तरप्रदेश सरकार/शासन की नाक के नीचे वी आई पी पार्किग से अवैध ,चोरियों की गाड़ियों का खुला धंधा !

यूपी शासन के नांक के नीचे वीआईपी पार्किंग से संचालित हो रहा था लग्जरी गाड़ियों का अवैध धंधा!


 


मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ।


राजधानी की सबसे वीआईपी हजरतगंज के सरोजिनी नायडू भूमिगत पार्किंग ठेकेदार मुशर्रफ की मदद से कार बाजार का संचालन हो रहा था। पार्किंग में बिना टोकन के लग्जरी कारें खड़ी कराई गईं थीं। जिलाधिकारी एवं एलडीए उपाध्यक्ष अभिषेक प्रकाश के निर्देश पर शनिवार को कर एवं राजस्व निरीक्षक ने हजरतगंज कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया है। जिसमें ठेकेदार मुशर्रफ, कार बाजार संचालक मोईनुद्दीन, उसके गुर्गे अकरम और एलडीए के 13 कर्मचारी आरोपी हैं। सरोजनी नायडू भूमिगत पार्किंग देखने वाले एलडीए के कर्मचारियों के खिलाफ भी एफ आई आर हुई है। हालांकि एफ आई आर में इनका नाम नहीं दिया गया है।


अधीनस्थ कर्मचारी व अन्य लिखा गया है। एलडीए की संयुक्त सचिव ऋतु सुहास ने बताया कि पार्किंग कुल 13 कर्मचारी देखते थे। इनमें कर निरीक्षक, लिपिक, सुपरवाइजर,गार्ड व इलेक्ट्रीशियन भी शामिल थे। पुलिस की जांच में पता चलेगा कि इसमें से कौन कौन से लोग दोषी हैं। जिनकी शह पर चोरी की गाड़ियां रखी गई।


बिना पास के अंदर खड़ी मर्सिडीज गाड़ी कैसे निकल गई।कर्मचारियों व जिम्मेदार कर निरीक्षक के नाम से सीधे एफ आई आर ना दर्ज कराने से साफ लग रहा है कि एलडीए के अधिकारी अपने कर्मचारियों को बचाना चाहते हैं। सबसे बड़ी पहेली यही बना हुआ है कि जब पूरा मामला प्रकाश में आ गया तब वहां खड़ी मर्सडीज कार कौन पार्किंग से बाहर निकलवा दिया। एलडीए के कर एवं राजस्व निरीक्षक राजेश कुमार यादव के मुताबिक सरोजनी नायडू भूमिगत पार्किंग के लिए वर्ष 2019-2020 का ठेका बाजारखाला रामनगर निवासी मुशर्रफ को दिया गया था। 31 मार्च 2020 तक ठेका चलाने की अनुमति थी।राजस्व निरीक्षक के मुताबिक कोविड-19 के कारण ठेके की मियाद 31 जुलाई तक बढ़ाई गई थी। लेकिन मुशर्रफ ने ठेका अवधि समाप्त होने के बाद भी वाहन पार्क करा कर शुल्क वसूला। आरोपी ने वसूले गए शुल्क को एलडीए में जमा नहीं किया।


विभाग को राजस्व नुकसान होने पर निरीक्षक राजेश कुमार यादव ने 15 सितंबर को कब्जा वापस ले लिया। ठेकेदार से कब्जा हासिल करने के बाद पार्किंग में खड़ी गाड़ियों को चेक किया गया। जिसमें बिना टोकन के कई गाड़ियां खड़े होने बात पता चली। राजेश यादव के मुताबिक लाखों रुपये की लग्जरी गाड़ियां धूल से सनी हुई खड़ी थी। छानबीन में यह बात भी सामने आई की चिनहट से गिरफ्तार हुए कार बाजार संचालक मोईनुद्दीन के कहने पर मुशर्रफ चोरी की गाड़ियां खड़ी कराता था। मोईनुद्दीन के जेल जाने के बाद अकरम उसका काम देख रहा था। 15 सितंबर को निरीक्षण के वक्त सात कारें मिली थीं। जब 21 अक्टूबर को एलडीए की संयुक्त सचिव ऋतु सुहास ने सरोजनी नायडू पार्किंग का निरीक्षण किया था।


उस वक्त यूपी 32 ईपी 7777 गाड़ी गायब मिली। जांच में पता चला कि अधीनस्थ कर्मचारियों की मदद से गाड़ी बाहर निकाली गई है। इंस्पेक्टर हजरतगंज अंजनी पाण्डेय ने बताया कि मामले की जांच की जा रही है।भूमिगत पार्किंग में इतना बड़ा चोरी की गाड़ियों का रैकेट चल रहा था। कार बाजार भी सजा था। इसके बावजूद अभी तक प्राधिकरण ने अपने एक भी कर्मचारी व अधिकारी को ना तो सस्पेंड किया है और ना ही कोई और कार्यवाई की। कहां जा रहा कि कुछ अधिकारियों की भी इसमें गर्दन फंस रही है। इसीलिए वह मामले में कार्रवाई करने से भाग रहे है


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