नेमिषारण्य में विश्व की पहली कार्यशाला( वर्कशॉप) ।

भारत की 10000 साल से पहले की पुरानी सभ्यता के इतिहास का शिकार उसके निर्माण और विकास में युग परिवर्तन का कर सकने वाला विलक्षण और मौलिक योगदान उन समुदायों और जातियों के प्रतिभा संपन्न और तेजस्वी महा व्यक्तियों ने किया जो पिछले कुछ दिनों से उपेक्षा, उपहास ,व घृणा झलते रहे । शिक्षा विहीन  दलित बना दिए गए। किसी भी समाज के जीवन में क्या अंतर है इस संसार और ब्रह्मांड के प्रति उनकी दृष्टि कितनी तर्कपूर्ण विज्ञान सम्मत है ,मनुष्य ही नहीं प्राणी मात्र की वनस्पतियों तक किस निगाह से देखता है, उसका फैसला इस बात से होता है कि वह समाज स्त्री को उसका पूरा सम्मान देता है या नहीं।


और यह समाज उपेक्षित व दलित बना दियाए को सर आखों पर बेेथााता है या नहीं। निर्धनों के प्रति उनका दृष्टिकोण सकारात्मक पहलुओं के मनुष्य के कारण तक विकसित हुई देश में थोड़ा इस देश के हर वर्ग में योगदान किया है योगदान को मिल  रहा है कि नही।हम जानते हैं जब देश में ऋषि और मुनि देवताओं प्रस्तुतियांबकरवरहे थे ।ऋषि के पुत्र के रूप में मंत्र रचनाकर सारे आयाम को बदल डालते थे उसमें और परंपरा में चले जा रहे थे तब विषयों पर ऋषभ चर्चा दिया ,उसको लिखने के बाद ऋग्वेद यजुर्वेद सामवेद इन नेताओं ने यज्ञ को प्रोत्साहन दिया देश के इतिहास की वस्तु पर कुछ साहित्यिक भाषा में बढ़ते जा रहे थे ।


तब बाल्मीकि ने अपने समय में वैदिक संस्कृत  केे अतिरिक्त लोकेे भााषा में संस्कृत में छंद के प्रबन्ध कतावय वल्मीकि को वैदिक संस्कृति का राजा के अलावा कुछ नहीं रह गया था तपस्या करने का तरीका और वीर हनुमान भक्ति का नया मॉडल देश के सामने पेश कर दिया है सभी दलित और उपेक्षित वर्गों के ही थे और उनके देश में हमेशा के लिए हमारा आज तक का इतिहास है ।


देश की कोशिकाओं और अभिव्यक्ति को अपने घर में की जा रही थी उसके ही जीत होती थी और असुरों की आंखों के सामने के रूप में महाभारत युद्ध रूप में परिवर्तित हुई महाभारत का पांचवा वेद और धर्म शास्त्र पूजा और धर्म के नाम पर मनमानी करने वाले उसे युग में देश के एक रानी महारानी द्रौपदी ने सभा में आज तक अनुत्तरित सवाल पूछा मैं में धर्मपुर काम स्वतंत्र के नाम पर करने वाले युग में एक दूसर सूर्या और सावित्री ने देश में विवाह प्रथा पर रोक लगाते हुए यह सिद्ध करने का प्रयास किया कि समानांतर ह्रदय और प्रेम संबंधों पर टिकी विवाह प्रथा सर्वाधिक योग्य द्रोपदी के नारी के तेजस्वी के शेर और सम्मान में सूर्या सावित्री के परिवार तथा ने नए सामाजिक मूल्य इस देश को दिए जब जब देश और मूल्यों से डिगा है उसे चौतरफा पता नहीं खेला है महाभारत युद्ध के आसपास के समय में जब भी दूर हो गए थे समझ में नहीं आ रहे थे भाषा और शैली में लोगों को समझने के लिए महिला और स्तरीय नामक नए और युगांत कारी ग्रंथ की रचना की ब्राह्मण ग्रंथों की एक नई परंपरा का सूत्रपात हुआ महाभारत युद्ध में अभूतपूर्व नरसंहार के कारण देश की सोच को गहरा धक्का लगा ।


जीवन के लक्ष्य को नए सिरे से बांधने को तत्पर इस देश को जब महामति याज्ञवल्क्य वहां के साथ-साथ नेतृत्व किया महाप्राण उद्दालक ऋषि ने उनके बेटे श्वेतकेतु को उपदेश देने के जरिए तत्व मसीह का संदेश देकर समाज को एक नई दिशा दिया शंकराचार्य ने वेदांत उत्तर पूर्वी और पश्चिमी भारत में आ देश में सबसे पहले समानांतर विचार-विमर्श के लिए परस्पर बैठकर मनु के बाद सबसे पहले जनक जनक के बाद का गोश्त अंडे का घोसुंडी के बाद नैमिषारण्य में 88000 लोगों ने बैठकर देश की समस्याओं पर विचार विमर्श किया वह समस्या आज जो भी प्रश्न उस समय मानवता की रक्षा के लिए पूछे गए थे आज तक अनुत्तरित हैं ।


उसको उत्तर  करने के लिए आज नए ऋषि यों की आवश्यकता है जो बाल्मीकि विश्वामित्र और वशिष्ठ की परंपरा से आगे निकलते हुए समाज को एक नई दिशा दे सकते हैं । मेरा यह संपादकीय लिखने का अभिप्रेत केवल इतना है कि भारत की नई पीढ़ी को अपने पुराने और युवानयुगांत कारी संस्कृति युगांत कारी संस्कृत को टूटे-फूटे शब्दों में अगर कुछ पहुंचा सके तो हमारा जीवन कर्तव्य होगा। इसलिए भी होगा नई पौध को किसी भी प्रकार से पुस्तक ज्ञान का अभाव होने के कारण सोशल मीडिया के माध्यम से और समाचार पत्र के संपादक के माध्यम से जो कुछ भी मैं लिख रहा हूं वह उसी तरह से है जैसे महाकवि कालिदास ने कोट बावरियों भावन: को चरितार्थ किया था ।


मेरा सिर्फ इतना  मंतव्य है कि आने वाली पीढ़ी समाज दिशाहीन  न हो युवा परस्पर स्नेह और मानवता के साथ रहो क्या मामला है घनश्याम सिंह राधेश्याम सिंह का हनी सिंह का जिस मनु के जीवन की व्याख्या को भगवान बुद्ध ने स्वीकार किया था अभिवादनशीलस्य नित्यं वृद्धि से विनय चतुर्वेदी आज जरूरी है इसलिए मेरा आप सब से आग्रह है कि वेद को संस्कृति को संस्कृत को अपने जीवन मूल्यों को सदा के लिए स्वीकारें अधिकार का मतलब है धर्मांतरण धर्मांतरण का मतलब रामचरण इसलिए जिसको न निज गौरव तथा देश का अभिमान है और नहीं मेरा और मृतक समान है


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