महारानी दुर्गावती का योगदान अप्रतिम

जयन्ती पर महारानी दुर्गावती को किया नमन्


बस्ती ।


अखिल भारत वर्षीय गोंड महासभा द्वारा प्रेस क्लब में सोमवार को महारानी दुर्गावती का 496 वां जन्म दिन उल्लास और कोरोना संकट को देखते हुये सादगी के साथ मनाया गया। वक्ताओं ने कहा कि महारानी दुर्गावती ने राष्ट्र रक्षा के लिये अपना सर्वस्व बलिदान कर उदाहरण प्रस्तुत किया, वे सदैव अनुकरणीय रहेंगी।


महासभा जिलाध्यक्ष रामलला  गोंड ने रानी दुर्गावती के जीवन पर प्रकाश डालते हुये कहा कि हमारे देश की वो वीरांगना है, जिन्होंने अपने राज्य की रक्षा के लिए मुगलों से युद्ध कर वीरगति को प्राप्त हो गई।  वे बहुत ही बहादुर और साहसी महिला थीं, जिन्होंने अपने पति की मृत्यु के बाद न केवल उनका राज्य संभाला बल्कि राज्य की रक्षा के लिए कई लड़ाईयां भी लड़ी।  हमारे देश के इतिहास की बात की जाये तो बहादुरी और वीरता में कई राजाओं के नाम सामने आते है, लेकिन इतिहास में एक शक्सियत ऐसी भी है जोकि अपने पराक्रम के लिए जानी जाती है वे हैं रानी दुर्गावती। अपने पति की मृत्यु के बाद गोंडवाना राज्य की उत्तराधिकारी बनीं, और उन्होंने लगभग 15 साल तक गोंडवाना में शासन किया।


 उपाध्यक्ष प्रमेश कुमार गोंड ने कहा कि रानी दुर्गावती का जन्म 5 अक्टूबर सन 1524 को प्रसिद्ध राजपूत चंदेल सम्राट कीरत राय के परिवार में हुआ. इनका जन्म चंदेल राजवंश के कालिंजर किले में जोकि वर्तमान में बाँदा, उत्तर प्रदेश में स्थित है, में हुआ, इनके पिता चंदेल वंश के सबसे बड़े शासक थे, ये मुख्य रूप से कुछ बातों के लिए बहुत प्रसिद्ध थे।  ये उन भारतीय शासकों में से एक थे, जिन्होंने महमूद गजनी को युद्ध में खदेड़ा।


कार्यक्रम में मुख्य रूप से महेश, गुड्डू, परमवीर, अरूण, संजय, सुनील, रामचेत, हीरामन, अमित, वैजनाथ, दिनेश, सुरेश चन्द, भगवानदास, राजदेव, द्वारिका, उमाशंकर, खेलावन, अतुल, ऊषा, सुभावती के साथ ही बड़ी संख्या में गोंड, समाज के लोग उपस्थित रहे।


 


 


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