खेत का अवशेष डंठल जलाया तो जुर्माना भी भरना पड़ेगा !

 


जौनपुर 17 अक्टूबर,उत्तरप्रदेश     


 खेतो में डंठल जलाने पर देना होगा जुर्माना


          उप निदेशक कृषि ने बताया कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय एवं राष्ट्रीय हरित अधिकारण (एन0जी0टी0) के आदेश के क्रम में अब खेतो में पराली जलाना मंहगा साबित होगा, ऐसा करने वालो पर जहाॅ जुर्माना लगाये जायेगा वही दोबारा पकड़े जाने पर कृषि विभाग के अनुदान से वंचित कर दिया जायेगा।


          उक्त के अनुपालन में 17 अक्टूबर 2020 दिन शनिवार को मुख्य विकास अधिकारी की अध्यक्षता में जनपद के समस्त कम्बाईन हार्वेस्टर धारको एवं सहायक विकास अधिकारी (कृषि) के साथ विकास भवन सभागार में एक आवश्यक बैठक कर शासनादेश से किसानों को भलीभाॅति अवगत कराया गया कि वर्तमान में खरीफ फसलो की कटाई के बाद, जो डंठल बचता है किसान उसे खेत में ही जला देते है, फलस्वरूप भूमि की ऊपरी सतह जल जाती है, उससे लाभदायक जीवाणुु समाप्त होने के साथ ही पर्यावारण भी प्रदूषित होता है। फसल अवशेष जलाने से तमाम बस्तियों, खेतो, जंगलो आदि स्थानो पर अगलगी की तमाम दुर्घटनाये होती रहती है। इस गम्भीर समस्या को देखते हुये राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एन0जी0टी0) नें खेतो में फसल अवशेष जलाने वालो पर दण्डात्मक कानून बना दिया है।


         मुख्य विकास अधिकारी अनुपम शुक्ला द्वारा बताया गया कि फसल अवशेष जलाने पर जहाॅ रू0 ढाई हजार से लेकर रू0 पन्द्रह हजार तक जुर्माने की राशि तय की गई है, वही दोबारा खेत में फसल अवशेष जलाते हुये पकड़े जाने पर ऐसे कृषको को कृषि विभाग से मिलने वाले अनुदानो से भी वंचित कर दिया जायेगा।


उप कृषि निदेशक जय प्रकाश ने किसानों को सुझाव दिया है कि धान की कटाई फसल अवशेष प्रबंधन वाले यंत्रो यथा सुपर स्ट्रा मैनेजमेण्ट, स्ट्ररीपर, मल्चर सहित हार्वेस्टर से ही कराये। यह यंत्र डंठल का भूसा बना देगी इससे पशुओ के लिये चारा भी मिल जायेगा वही दूसरी सबसे बड़ी समस्या खेत में आग लगाने से भूमि की उर्वरा शक्ति नष्ट हो जाती है और मिट्टी के अन्दर स्थित मित्र कीटो की मृत्यु हो जाती है, इससे मृदा का संतुलन भी बिगड़ जाता है, इससे निजात मिलेगी। मुख्य विकास अधिकारी द्वारा बताया गया कि बगैर फसल अवशेष प्रबंधन वाले यंत्रो के बिना हार्वेस्टर मशीन से कटाई पर भी रोक लगाई गई है, जो भी हार्वेस्टर मशीन धारक फसल अवशेष प्रबंधन वाले यंत्रो के बिना के कटाई करते हुये पाये गये तो उनकी मशीन जब्त कर कानूनी कार्यवाही की जायेगी।


उनके द्वारा बताया गया कि खेतो में डंठल जलाने से किसानो एवं पर्यावरण दोनो को क्षति होती है, मिट्टी में स्थित पोषक तत्व नष्ट हो जाते है, वही मिट्टी के अन्दर पल रहे केचूआ व अन्य मित्र कीटो की भी असमय मौत हो जाती है। केचूआ मिट्टी को भुरभुरा बनाकर मृदा को उर्वरा बनाने का कार्य करता है। मृदा जीवन का आधार है, इसे बचाये। फसल विशेष प्रबंध की निगरानी के लिये कलेक्ट्रेट स्थित कन्ट्रोल रूम में हेल्प डेस्क बनाया गया है, जिसका फोन नम्बर 05452-260666 है, जो फसल की कटाई की मानीटरिंग करेगी। जनपद के समस्त न्याय पंचायत व ग्राम पंचायतवार नोडल अधिकारियो की नियुक्ति की गयी है तथा समस्त कम्बाईन हार्वेटर मशीनों की निगरानी हेतु कर्मचारी नामित किये गये है। 19 अक्टूबर को जनपद की समस्त ग्राम पंचायतो में कृषि विभाग एवं राजस्व विभाग द्वारा कैम्प अयोजित की किसानों को फसल अवशेष न जलाने हेतु जागरूक किया जायेगा।


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