बिजली कर्मियों की हड़ताल::लखनऊ सहित लगभग पूरा प्रदेश अंधेरे में अंधेरी रात

बिजलीकर्मियों के कार्यवाहिष्कर से अंधेरे में रही जनता, राजधानी के वीआईपी क्षेत्रों में भी बिजली नहीं 


 


मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ।


पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण से नाराज बिजलीकर्मी कार्यबहिष्कार पर चले गये। जिसके कारण उत्तर प्रदेश के कई शहरों में बिजली कर्मचारियों की हड़ताल ने सोमवार की रात लोगों का जीना मुहाल कर दिया। हड़ताल अभी जारी है। उत्तर प्रदेश विद्युत निगम पर लगभग 86 हजार करोड़ का बकाया है। उसमें सबसे ज्यादा बकाया पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम पर है। इसी क्षेत्र से यूपी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी आते हैं। ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के कर्मचारियों से पहले ही कह दिया था कि सबसे ज्यादा आपके क्षेत्र में बिजली का बकाया है।


यदि आप लोग उपभोक्ताओं से बिजली बिलों का भुगतान नहीं कराओगे तो हम इसको निजी क्षेत्र में देने पर विचार करेंगे। विद्युतकर्मी यह जानते हैं कि सरकार यदि किसी एक क्षेत्र को घाटे के नाम पर निजी क्षेत्र में कर पायी तो जल्द ही वह पूरे प्रदेश को निजी हाथों में सौंप देगी। जिसके बाद सोमवार से पूरे प्रदेश में करीब 15 लाख बिजली कर्मियों का बहिष्कार शुरू हो गया। बिजली कर्मियों के प्रदर्शन के चलते सोमवार को पूरे प्रदेश में करोड़ों लोगों को बिजली समस्या से जूझना पड़ा।जहां भी बिजली सप्लाई में बाधा आयी वह बढ़ती ही गयी।


प्रभावित क्षेत्रों के उपभोक्ता त्राहि-त्राहि कर रहे हैं। प्रदर्शन के चलते डिप्टी सीएम से लेकर ऊर्जा मंत्री और विधायक के घरों की भी बिजली गुल हो गई। यूपी के प्रयागराज, लखनऊ, बरेली, मेरठ, वाराणसी गोरखपुर, बस्ती, झांसी, कानपुर, समेत कई शहरों के इलाकों की गुल रही। बिजली गुल होते ही उपकेन्द्र पर फोन घनघनाने लगे लेकिन बिजली कर्मियों के प्रदर्शन के चलते किसी का भी फोन रिसीव नहीं हुआ। कहीं पानी को लेकर हाहाकार मचा तो कहीं गर्मी से लोगों का हाल बेहाल हो गया। शाम होते-होते लोगों को पीने के पानी तक के लाले पड़ गए।बिजली कर्मियों के पहले दिन कार्य बहिष्कार के बाद पैदा हुए बिजली संकट से योगी सरकार बैकफुट पर आई। पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के प्रस्ताव को सरकार ने वापस लेने का फैसला किया लेकिन पावर कारपोरेशन के चेयरमैन ने समझौता पत्र पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया। सोमवार को ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने कर्मचारियों के बीच जाकर सहमति पत्र पर हस्ताक्षर का आश्वासन दिया था, जिसके बाद विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा ने आंदोलन वापस लेने का मन बना लिया था। ऊर्जामंत्री के निर्देश के बाद भी चेयरमैन ने सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया।


उन्होंने सहमति पत्र पर विचार करने का और समय मांगा। चेयरमैन ने कहा कि जब टेंडर की प्रक्रिया और व्यवस्था में सुधार हो जाएगा तब निजीकरण के प्रस्ताव को खत्म करेंगे। ऐसे में आशंका है कि यूपी में बिजली संकट गहरा सकता है। सरकार और बिजली कर्मियों में सहमति न हो पाने के कारण कर्मियों का कार्य बहिष्कार मंगलवारी को भी जारी रहेगा। राजधानी में लेसा के राजभवन डिवीजन के अंतर्गत कूपर रोड उपकेंद्र में सुबह करीब 11 बजे बिजली सप्लाई ठप हो गई। इससे वि्रमादित्य मार्ग, माल एवेन्यू, गुलस्तिां कॉलोनी, महिला विधायक आवास, पीडब्ल्यूडी कॉलोनी सहित कई वीआईपी इलाकों की बिजली सप्लाई ठप हो गई।


इससे डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या, ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा, स्वामी प्रसाद मौर्या, मोहसिन रजा, मुकुट बिहारी वर्मा, अनिल राजभर सहित तीन दर्जन से अधिक मंत्रियों के सरकारी आवास की बिजली गुल हो गई। इसके अलावा 150 से अधिक विधायक, विधान परिषद सदस्य, पूर्व मंत्री, न्यायाधीश व राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों को भी बगैर बिजली के रहना पड़ा। साथ ही मुख्यमंत्री कंट्रोल रूम, समाजवादी पार्टी कार्यालय, कांग्रेस मुख्यालय, वीआईपी गेस्ट हाउस में बिजली सप्लाई न होने से काफी दिक्कत हुई। उत्तर प्रदेश में निजीकरण के विरोध के चलते सोमवार से शुरू हुए बिजली कर्मियों के कार्य बहिष्कार का खामियाजा प्रदेश के करोड़ो लोगों को उठाना पड़ा। 


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