बस्ती में सहकारिता आंदोलन को समाप्त करने पर लगा है,विभाग,बैंक व मार्केटिंग

बस्ती, उत्तर प्रदेश


 सरकार के लाख प्रयास के बावजूद उत्तर प्रदेश में सहकारिता आंदोलन निरंतर उन्नति की ओर  नही बढ़ पा रहा है पार्टी ने सबसे योग्य कार्यकर्ताओं को प्रदेश के सहकारिता मंत्री का दायित्व देकर यह सिद्ध करने का प्रयास किया सहकारिता समाज भी प्राणवायु है ,इसको दुरुस्त किए बिना  समाज में कोई भी स्पंदन नहीं किया जा सकता ।इसीलिए आवश्यकता इस बात की है कि हर हाल में सहकारिता को जी जान से समर्पण भाव से संगच्छध्वं संवदध्वं की भावना से तादात्म्य स्थापित कर सहकारिता में तेजी लाई जाए ।


परंतु देखने में आ रहा है कि जिले जिले में सहकारिता महत्वहीन और लूट का खसोट का पर्याय बनती जा रही है ।जिला सहायक निबंधकों/सहायक आयुक्त सहकारिता के पास सहकारिता का पूरा रिकॉर्ड ही नहीं। उप निबंधक सहकारिता के हाथ बंधे हुए हैं और जिला सहकारी बैंकों के चेयरमैन स्थानीय जनप्रतिनिधियों से संबंध स्थापित कर सहकारिता को गौर गर्त में ले जाने का कोई भी कर्म छोड़ने से चूक नहीं रहे हैं ।स्थिति यह है 80% सहकारी समितियों के पास उनके सचिव  ही नहीं है, और सचिव जाते जाते अपने नात बाद रिश्तेदार को जिला सहायक निबंधक के अनुग्रह से अपने आप नियुक्त करते चले जा रहे हैं। एक तरह से पुस्त


  दर पुस्त कबज्जा है।


जहां तक सहकारिता के व्यापार की बात है पूरी तरह से ध्वस्त और पस्त है । जिला प्रशासन की आंख में धूल झोंक कर तमाम सहकारी समितियों को जो अवांछित थी उनको धान और गेहूं का क्रय केंद्र बनाकर जिसमें जिला सहायक निबंधक ,पीसीएफ और आरएफसी के कार्यालय का रोल भयंकर रूप से काम करता है ,जिसे चाहा उसे बनाया जिसे चाहा उसका काट दिया ।और जिसे चाहा खरीद होने के बावजूद भी उनके ऊपर अनापत्ति प्रमाण देकर अनुग्रहित कर दिया ।बस्ती जनपद में ऐसे अनेक केस हैं जहां धान और गेहूं समितियों ने  केेथीीत रुुप सेे किया और उसको मार्केटिंग के लोगों ने ले देकर के लीपापोती कर दिया पैसा भी दिया गेहूं भी नहीं लिया


अगली बार फिर उस समिति को क्रय केंद्र बना दिया यह गंभीर स्थिति यहां तक पहुंच गई है कि जिला  सहकारी समितियों को गांव और पंचायत स्तर का पंजीयन प्राप्त है, वे समितियां जिलों में घूम घूम कर के मार्केटिंग और ए आर के अनुग्रह से जिला प्रशासन की आंख में धूल झोंक कर क्रय केंद्र चला रही हैं और चला ही नहीं रही है इस बात को कह रही हैं जो हम चाहेंगे वही होगा ।


सरकार चाहे जिसकी आए सहकारिता में तो उसी का चलेगा जो धूर्त और बेईमान सचिव जिला सहायक निबंधक और मार्केटिंग की तिकड़ी चाहेगी ।उत्तर प्रदेश के सहकारिता मंत्री मुकुट बिहारी वर्मा ने इस बात को गंभीरता से लेते हुए कहा है की बस्ती जनपद में जितनी भी शिकायतें हैं वह सब ध्यान में हैं और उसकी कठोर कार्यवाही की जाएगी ।भारतीय जनता पार्टी की ओर से सहकारिता के उत्तर प्रदेश के प्रभारी सदस्य विधान परिषद विद्यासागर सोनकर ने कहा है कि जहां भी गड़बड़ियां हैं उन को दुरुस्त कराने के लिए हर संभव प्रयास किया जाएगा।


परंतु समस्या इस बात की है अनेक वर्षों से बैठे हुए सचिव जम कातर की तरह अपने स्थान से फर्जी सहकारी समितियां ,फर्जी क्रय विक्रय समितियां फर्जी कृषि विपणन सहकारी समितियां बनाकर इस बात का प्रयास कर रहे हैं कि आने वाले दिनों में हम फर्जी खरीद दिखाकर हर हाल में बैंक के डेलीगेट बन जाए जिससे हमारा मामला सही होजाय इलीगल को लीगल करने में जिला सहायक निबंधक जिला सहकारी बैंक और घाघऔर दलाल सचिव और कुछ प्राइवेट समितियों के लोग इनको व्यक्तिगत सहकारी समितियां नाम दे सकते हैं इस भयंकर लूटपाट में लगे हुए हैं ।सहकारिता आंदोलन अन्य प्रांतों में बहुत अच्छी तरह से फल फूल रहा है परंतु पूर्वी उत्तर प्रदेश में ऐसे ही काम कर रही है सहकारिता की लेद जिला सहायक निबंधक और उनकी टीम जिला सहकारी बैंक और उसकी टीम और व्यक्तिगत सहकारी समितियों के भाग ऐसा कर रहे हैं। शासन और सरकार की छवि धूमिल हो रही है ,इन अपराघो व अपराधियो 


को समाप्त करने के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को संज्ञान में लेना चाहिए और इस तरह की जरूरत है उस पर कार्यवाही करना चाहिए ।यदि नहीं हुआ तो यह भयानक दाद आने वाले दिनों में संगठन के लिए सरकार के लिए और सहकारिता के चुनाव के लिए बहुत बड़ी चुनौती बन सकते हैं ।जिसका कोई उपाय संभव ना हो सकेगा ।


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