अधिवक्ताओं व यस डी एम का झगड़ा चरम पर,पहुचा मुख्यमंत्री द्वार !

 


"थमने वाली नहीं अधिवक्ता संघ और एसडीएम के बीच छिड़ी जंग"


 


 


* बार काउंसिल और मुख्यमंत्री से नौ बिंदुओं पर की गई शिकायत।


 


 


मिल्कीपुर, अयोध्या।


 


  मिल्कीपुर अधिवक्ता संघ और एसडीएम के बीच छिड़ी जंग थमने का नाम नहीं ले रही है। कोई भी एक दूसरे के सामने नतमस्तक होने को तैयार नहीं है। यही वजह है कि  पिछले दो महीने से मिल्कीपुर तहसील का सारा कामकाज ठप है। अब अधिवक्ता संघ मिल्कीपुर ने बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश समेत मुख्यमंत्री एवं प्रशासनिक अधिकारियों को भेजा नौ विदुओं पर शिटायती पत्र भेजाकर एसडीएम के स्थान्तरण कराए जाने की मांग की है।


 


     मिल्कीपुर अधिवक्ता संघ और एसडीएम के बीच दो माह पूर्व हुए जुबानी जंग में अभी वकीलों का आक्रोश एसडीएम के प्रति बना हुआ है। अधिवक्ता संघ की नई कार्यकारणी गठित हो गयी है, लेकिन स्थित ज्यों की त्यों बनी हुई है। अधिवक्ता संघ की ओर से शनिवार को अध्यक्ष बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश, मुख्यमंत्री,राजस्व मंत्री , विधि मंत्री, अध्यक्ष बार एशोसिएशन अयोध्या, सचिव राजस्व परिषद, मंडलायुक्त व जिलाधिकारी को प्रार्थना पत्र के माध्यम से शिकायत की गई है।लिखा है कि एसडीएम मुकदमे का दायरा नही लेते है तथा कहते हैं कि मुकदमों में अधिवक्ताओं की कोई आवश्यकता नहीं है


। जिन धारा 151 107/116 सीआरपीसी के मुकदमों में अधिवक्ताओं द्वारा वकालतनामा लगाकर प्रार्थना पत्र दिया जाता है। उसे एसडीएम नहीं मानते तथा पत्रावली से वकालतनामा अलग करवा देते हैं। कोविड-19 में लॉकडाउन के समय आदेश दिया था कि अधिवक्ताओं व आमजन का प्रवेश तहसील परिसर से वर्जित किया गया।आरोप है कि इस दरम्यान एसडीएम द्वारा धारा 116, 80, 67 A, उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता तथा धारा 145 सीआरपीसी के तमाम मुकदमों का अनुचित परितोष लेते हुए निस्तारित कर दिया। धारा 146 सीआरपीसी में बिना सुने बिना नोटिस के आदेश पारित कर दिया गया।


जब अधिवक्ताओं व आमजन का प्रवेश तहसील में वर्जित है तो आदेश कैसे किया गया। शिकायती पत्र में लिखा है कि तमाम पत्रावली ऐसे मिलेंगे। जिनमें अधिवक्ताओं से वकालतनामा नहीं लिया गया और आदेश मनमाने ढंग से पारित कर दिया गया।अधिवक्ताओं द्वारा जब कोई प्रार्थना पत्र एसडीएम को दिया जाता है तो अधिकांश प्रार्थना पत्र को अपनी टेबल से फेंक देते हैं व डांट कर भगा देते हैं। अपने चहेते के माध्यम से चुपचाप प्रार्थना पत्र लेकर अनाप-शनाप लिख देते हैं। अधिवक्ताओं व कर्मचारियों में विवाद कराने के लिए अधिवक्ता संघ से संलग्न भूमि पर नाजायज ढंग से कमरा बनवा कर संग्रह अमीन संघ व लेखपाल संघ तथा चपरासी संघ कमरों के चारों तरफ लिखा गया। साथ ही इतने से भी इनका मन नहीं भरा तो एसडीएम मिल्कीपुर ने अपने नाम से पत्थर लगवा कर विधिक रूप से स्वयं उद्घाटन भी कर दिया। जिस भूमि पर निर्माण करवा रहे हैं वह भूमि पहले से ही बार एसोसिएशन मिल्कीपुर को प्रस्तावित है।


क्योंकि उक्त भूमि बार एसोसिएशन मिल्कीपुर के प्रांगण में है।अधिवक्ताओं का आरोप है कि बार एसोसिएशन मिल्कीपुर के पूर्व मंत्री गंगा प्रसाद दुबे के तख्त पर बैठे बरकत अली को एसडीएम द्वारा थप्पड़ मारे गए तथा कोविड-19 के तहत  500 रुपये का जुर्माना वसूला गया। इस अभद्रता पर बार एसोसिएशन आंदोलित हो उठा। बरकत अली द्वारा स्थानीय थाना में प्रार्थना पत्र दिया गया किंतु आज तक प्रार्थना पत्र पर प्रथम सूचना रिपोर्ट नहीं लिखी गई। अपर जिलाधिकारी द्वारा दिया गया आश्वासन भी पूरा नहीं हुआ।अधिवक्ताओं ने शिकायती प्रार्थना पत्र में लिखा कि एसडीएम मिल्कीपुर अशोक कुमार शर्मा का इतना खौफ है कि जनता तहसील आने से कतरा रही है।


तहसील दिवस में आए फरियादी विजय कुमार चौबे को एसडीएम की सह पर कर्मचारियों द्वारा कमरे में बंद करके मारा पीटा गया तथा स्थानीय थाना इनायतनगर में प्रथम सूचना रिपोर्ट अंकित कराने हेतु दिए गए प्रार्थना पत्र पर अभी तक एफआईआर नहीं पंजीकृत की गई। तहसील मुख्यालय पर सरकारी कर्मचारी अपने-अपने पटल पर दलाल के रूप में अवैध प्राइवेट आदमी रखे हैं। इसमें एसडीएम की मिलीभगत है। यही दलाल लोग मुकदमों में सारे कार्य करते हैं तथा नाजायज ढंग से वसूली भी कराई जाती है।  


Post a Comment

Previous Post Next Post

Contact Form