राइट टू ला प्राइमरी स्कूल में भी लागू करने की मांग !

 


  प्राइमरी कक्षा से लागू होना चाहिए  राइट टू ला  


     जौनपुर।


युवा अधिवक्ता संघ  के तत्वावधान में प्रतिनिधिमंडल   ने जिलाधिकारी  को राष्ट्रपति के नाम पत्रक सौप कर कानून के अधिकार को मौलिक अधिकार का दर्जा दिए जाने की मांग की है।  दीवानी न्यायालय के अधिवक्ता विकास तिवारी ने कहा कि   शिक्षा का स्तर काफी बढ़ा, देश की वर्तमान परिस्थितियों का गंभीरता से अध्ययन करने पर व देश तथा प्रदेश में बढ़ते हुए अपराध तथा आपराधिक घटनाओं को देखने पर यह आवश्यकता महसूस होती है कि भारत देश में प्राइमरी शिक्षा से ही छोटे बच्चों को कानून की अनिवार्य रूप से शिक्षा दी जाए, उन्हें कार्टून के माध्यम से संविधान व कानून का ज्ञान दिया जाए और बड़े बच्चों में भी जागरूकता हेतु कार्यक्रम चलाए जाएं, आज समाज में बढ़ते हुए अपराध का कारण भी कानून को न जानना ही है,


यदि कानून का अर्थात आरटीएल (राइट टू लां) को प्राइमरी शिक्षा से ही अनिवार्य कर दिया जाएगा तो निश्चित ही हमारा देश कानून को जानने वाला एक शिक्षित देश बन जाएगा और देश में अपराध अपराधिक घटनाओं का घटित होना कम हो जाएगा।  अधिवक्ता अतुल सिंह ने कहा कि कानून के विषय की जानकारी को सरकार से संविधान प्रदत्त मौलिक अधिकार घोषित करने की हमारी मांग जायज हैं जिससे कि शिक्षा में कानून संबंधित ज्ञान अनिवार्य रूप से लागू हो सके समाज में बढ़ते हुए अपराध व आपराधिक घटनाओं पर नियंत्रण के लिए प्राइमरी विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों को कार्टून के माध्यम से कानून की शिक्षा दिया  जाय.


आदर्श नागरिकता,कर्तव्य परायणता, समाज के प्रति संवेदनशीलता, प्रकृति एवं जीव जंतुओं के प्रति उदारता के साथ कर्तव्य और अधिकार के प्रति सजगता एक आदर्श नागरिक की पहचान है।कानून का ज्ञान होना सामाजिक नियंत्रण की दिशा में एक कारगर कदम है,और आज आवश्यकता है कि कानून के ज्ञान संबंधित प्रयासों को आगे बढ़ाने के लिए मिलकर कदम उठाया जाए तथा सरकार ष्कानून का अधिकारष् को मौलिक अधिकार का दर्जा दें।   कलेंदर बिंद, संजय सोनकर गोपाल, अभिषेक यादव, चन्दन गुप्ता समेत अन्य अधिवक्ता  उपस्थित रहे।


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