सफर आदेश का 5 दिन बीत जाने के बाद भी नहीं हो सका अनुपालन।
मिल्कीपुर,अयोध्या।
आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के कुलपति का आदेश न मानने को लेकर विश्वविद्यालय के निर्माण निदेशालय के अधिशासी अभियंता को हटाए जाने संबंधी आदेश एक्सईएन की नजर में बौना साबित हो रहा है और ट्रांसफर आदेश जारी होने के 5 दिन बीत जाने के बावजूद भी एक्सईएन द्वारा चार्ज का हस्तांतरण सहायक अभियंता को नहीं किया जा सका है। बताते चलें कि बीते 9 सितंबर को कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ विजेंद्र सिंह विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के प्रशासनिक अधिकारियों के मीटिंग के दौरान प्रसार निदेशालय के भवनों में विद्युत व्यवस्था हेतु आए बजट के अनुरूप इलेक्ट्रिक वर्क कराए जाने के आदेश कुलपति ने विश्वविद्यालय के निर्माण निदेशालय के अधिशासी अभियंता इं ओम प्रकाश को दिया था। जिस पर अधिशासी अभियंता इंओमप्रकाश ने विभाग में इलेक्ट्रिक इंजीनियर अथवा कर्मचारी न होने का हवाला देते हुए हाथ खड़े कर दिए थेे।
इस पर कुलपति ने अधिशासी अभियंता इंजीनियर ओम प्रकाश से विश्वविद्यालय हित में निर्माण निदेशालय का प्रभार वापस लेते हुए उन्हें महामाया कृषि और प्रौद्योगिकी महाविद्यालय अकबरपुर अंबेडकर नगर से संबद्ध किए जाने के आदेश दे दिए थे। कुलपति के निर्देश के क्रम में बीते 9 सितंबर को ही ईं. ओमप्रकाश अधिशासी अभियंता सिविल निर्माण निदेशालय को अपना प्रभार विश्वविद्यालय के सहायक अभियंता सिविल निर्माण निदेशालय ई. श्याम सुंदर को हस्तगत किए जाने केे आदेश विश्वविद्यालय के निदेशक प्रशासन एवं परवीक्षण आरके जोशी द्वारा जारी कर दिया गया था। हालांकि उक्त आदेश को विश्वविद्यालय के प्रशासनिक अधिकारियों ने दबाए रखा था और उन्हें बचाने की जुगत में लगे रहे। किंतु जब कुलपति के संज्ञान में फिर से मामला पहुंचा था तब उनकी फटकार के बाद 11 सितंबर को आदेश निर्गत हो सका था। किंतु कुलपति का आदेश भी एक्सईएन ओमप्रकाश के लिए कोई मायने नहीं रखता और आज तक उन्होंने विश्वविद्यालय केेेे निदेशक निर्माण का चार्ज सहायक अभियंता के सुपुर्द करना मुनासिब नहीं समझा है।
वहीं दूसरी ओर आदेश का अनुपालन कराए जानेेेे के संबंध में विश्वविद्यालय के निदेशक प्रशासन एवं परवीक्षण आरके जोशी से फोन कर संपर्क साधा तो उनका फोन रिसीव नहीं हुआ। जबकि कार्यभार ग्रहण किए जाने हेतुु आदेशित किए गए सहायक अभियंता श्याम सुंदर का कहना है कि जब कोई चार्ज दे तब तो हम चार्ज ले सकते हैं। वहीं दूसरी ओर विश्वविद्यालय में चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है। बताया जाता है कि विश्वविद्यालय में प्रशासनिक अधिकारियों का दो गुट है। जिसमें एक गुट एक्सईएन को बचाने की जुगत में पूरी तरह से लगा हुआ है।