जौनपुर में विश्वकर्मा जयंती सोल्लास सम्पन्न !

 


धूम धाम से मनाई विश्वकर्मा की जयन्ती


जौनपुर । आदिशिल्पी भगवान विश्वकर्मा की जयंती गुरूवार को जिले भर में धूमधाम से मनाई गई। इस दौरान जगह-जगह कल-कारखानों सहित अन्य इससे जुड़े प्रतिष्ठानों में मूर्तियां स्थापित की गईं। भक्तों ने पूजन-अर्चन कर श्रद्धालुओं में प्रसाद वितरण किया। इस दौरान दुकानों, कारखानों व गाड़ियों के स्वामियों ने विधि-विधान से भगवान विश्वकर्मा की पूजा की। नगर में भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा कई स्थानों पर स्थापित है। इस दौरान रोडवेज, नगर पालिका के जलकल, आइटीआइ कालेजों में उपकरणों को साफ-सफाई से रखकर प्रबंधकों व प्राचार्यों ने पूजन किया। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय परिसर स्थित मैकेनिकल इंजीनियरिग विभाग की वर्कशाप में विश्वकर्मा पूजन का आयोजन किया गया। मशीनों की सफाई कर धूप-दीप के माध्यम से पूजा की गई। मंत्रोच्चार के बीच पूजन किया। खुटहन क्षेत्र में स्थानों पर विश्वकर्मा पूजा बडे धुम-धाम से मनाया जा रहा है। यहा हिन्दू धर्म में भगवान विश्वकर्मा को सृष्टि का निर्माणकर्ता या शिल्पकार माना जाता है. भगवान विश्वकर्मा को ही विश्व का पहला इंजीनियर भी कहा जाता है इसके साथ ही साथ विश्वकर्मा जी को यंत्रों का देवता भी माना जाता है विश्वकर्मा पूजा साल 17 सितंबर को मनाई जा रही है। 


ज्ञात हो कि शास्त्रों में भगवान विश्वकर्मा को सृजन और निर्माण का देवता माना गया है। माना जाता है भगवान विश्वकर्मा ने कृष्ण की द्वारिकापुरी, पुष्पक विमान, इंद्र का वज्र, शिव का त्रिशूल, पांडवों की इन्द्रपस्थ नगरी का निर्माण किया था। इसलिये किसी निर्माण और सृजन से जुड़े लोग श्रद्धाभाव से भगवान विश्वकर्मा को आराध्य मानकर पूजन-अर्चन करते हैं विश्वकर्मा के यथाविधि पूजन करने से घर और दुकान में सुख-समृद्धि आती है। इस दिन अपने कामकाज में उपयोग में आने वाली मशीनों को साफ किया जाता है। फिर स्नान करके भगवान विष्णु के साथ विश्वकर्माजी की प्रतिमा की विधिवत पूजा की जाती है।  ऋतुफल, मिष्ठान्न, पंचमेवा, पंचामृत का भोग लगाएं। दीप-धूप आदि जलाकर दोनों देवता  की आरती उतारी जाती है।


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