सुख की तैयारी करलो
पीड़ा की तैयारी कर लो, सुख का आमंत्रण आया है
जब-जब कंचन मृग देखा है, तब-तब इक रावण आया है
ईश्वर का अवतार जना है, माता को अभियोग मिलेगा
कान्हा जैसा लाल मिला है, आगे पुत्रवियोग मिलेगा
नारायण के बालसखा ने निर्धनता के कष्ट सहे हैं
वंशी के रसिया जीवनभर, समरांगण में व्यस्त रहे हैं
राधा के जीवन में दुख से पहले वृंदावन आया है
जब-जब कंचन मृग देखा है, तब-तब इक रावण आया है
वरदानों का सुख पाया तो, सुख का फल अभिशाप हुआ है
तप का पुण्य कुमारी कुंती के जीवन का पाप हुआ है
जो शाखा फैली है उसने कट जाने की पीर सही है
अर्जुन जैसा वर पाया, फिर बँट जाने की पीर सही है
पहले रानी बनने का सुख, पीछे चीरहरण आया है
जब-जब कंचन मृग देखा है, तब-तब इक रावण आया है
सुख के पीछे दुख आएगा, हर क़िस्से का सार यही है
जितनी घाटी, उतनी चोटी, पर्वत का विस्तार यही है
यौवन आने का मतलब है, आगे तन जर्जर होना है
जिस धारा ने निर्झर देखा, अब उसको मंथर होना है
नदियों में ताण्डव उफना है, जब घिरकर सावन आया है
जब-जब कंचन मृग देखा है, तब-तब इक रावण आया है
© चिराग़ जैन