गोरखपुर का भौवापार गांव कालाजार की चपेट में !

गोरखपुर


गोरखपुर पिपरौली ब्लाक का बड़ा गांव भौवापार पर कालाजार का आक्रमण होगया है।जहाँ आज समाज कोरोना की विभीषिका से नही निपट पढ़ा है वहा कालाजार की दस्तक भयावह ही है।गोरखपुर जिले के पिपरौली ब्लॉक स्थित भौवापार गांव की 3000 की आबादी को कालाजार बीमारी से बचाने के लिए अभियान शुरू हो गया है। सीएमओ डॉ. श्रीकांत तिवारी ने बताया कि एक सप्ताह तक गांव में अभियान के तौर पर कालाजार की जनक बलुई मक्खी निरोधक दवा का छिड़काव होगा। वर्ष 2019 में इस गांव से कालाजार का प्रवासी मरीज सामने आया था, इसलिए एहतियातन यहां लगातार तीन वर्षों तक दवा का छिड़काव की योजना है



सीएमओ ने बताया कि पिपरौली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर अभियान से संबंधित लोगों को प्रशिक्षित भी किया गया है। जिला मलेरिया अधिकारी डॉ. एके पांडेय, प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ. निरंकेश्वर राय, डब्ल्यूएचओ कोआर्डिनेटर डॉ. सागर और पाथ के प्रोग्राम मैनेजर डॉ. ज्ञान ने संबंधित लोगों को प्रशिक्षित किया। बताया गया कि बालू मक्खी जमीन से छह फीट की ऊंचाई तक उड़ सकती हैं। ऐसे में सभी प्रशिक्षुओं ने दवा का छिड़काव घर के अंदर तथा बाहर छह फीट तक किया है


 


जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि कि कालाजार बालू मक्खी से फैलने वाली बीमारी है। यह मक्खी नमी वाले स्थानों पर अंधेरे में पाई जाती है। यह तीन से छह फीट ऊंचाई तक ही उड़ पाती है। इसे काटने के बाद मरीज बीमार हो जाता है। उसे बुखार होता है और रुक-रुक कर बुखार चढ़ता-उतरता है। लक्षण दिखने पर मरीज को चिकित्सक को दिखाना चाहिए। इस बीमारी में मरीज का पेट फूल जाता है। भूख कम लगती है। शरीर पर काला चकत्ता पड़ जाता है।


 


 


 


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