बस्ती,
बस्ती का एक मध्यमवर्गीय परिवार का उदीयमान युवा प्रयागराज प्रतियपगी परीक्षाओ की तैयारी करने गया दिल्ली पुलिस में उपनिरीक्षक की परीक्षा पास भी कर लिया था,पर उसे लगन थी यूपी पीसियस की परीक्षा निकाल लेगा और निकाला भी पर अंतिम परिणाम उसके पक्ष में न आनेसे राजीव ने अति अवसाद के चलते,लगातार 10 वर्षो तक जीवन को प्रयागराज में तपने खपाने के बाद होनहार ने अपने कमरे में एक आत्महत्या के कारण का पत्र लिख इह लीला समाप्त करदी.
विषय बस्ती से थोड़ी दूर लालगंज थाने के सिल्लो गांव का है।5 भाइयो में सबसे बडेराजीव की लाश कफ़न में लिपटकर आई.सब हतप्रभ है उसने क्यो ऐसा किया।पर होनी होगयी, परिवार शोकाग्नि में तड़प रहा है।इस बस्ती के राजीव की नही देश के अनेक राजीव की यही हालत है.
युवाओ में जीवन के प्रति संशय,अंधकार औऱ महत्वाकांक्षा की बढ़त आत्महत्या को प्रेरित कर रही है।ईश्वर करे कोई दूसरा राजीव यह रास्ता न अपनाए.