बस्ती 19 सितम्बर 2020
धान की फसल को किट एवं बीमारी के प्रकोप से बचाने हेतु किट/रोग के लक्षण के अनुसार आईपीएम फसल पद्धति अपनाते हुए किसान अपनी फसलों की सुरक्षा करें। उक्त जानकारी जिला कृषि रक्षा अधिकारी संजेश कुमार श्रीवास्तव ने दी है। उन्होने बताया कि जीवाणु झुलसा रोग से बचाव हेतु स्टेप्टो माईसीन सल्फेट 90 प्रति0 15 ग्राम एवं कापर आक्सीक्लोराइड 50 प्रति0 डब्लू0पी0 500 ग्राम प्रति हे0 की दर से 400 से 500 ली0 पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
उन्होने बताया कि फाल्स स्मट (झूठा कण्डुआ रोग) से बचाव हेतु कार्बेन्डाइजिम 50 प्रति0 डब्लयू0 पी0 500 ग्राम प्रति हे0 की दर से 500 से 700 लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करें। तना छेदक कीट से बचाव हेतु कोर्बोफ्यूरान 3जी 20 किलो0 ग्राम प्रति हे0 की दर से अथवा क्यूनालफाॅस 25 प्रति ई0सी0 1.5 लीटर या क्लोरपारिफाॅस 20 प्रति0 ई0सी0 1.5 लीटर प्रति हे0 की दर से 500 से 600 ली0 पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
उन्होने बताया कि फुदका किट से बचाव हेतु कोर्बोफ्यूरान 3जी 20 किलो0 ग्राम प्रति हे0 की दर से अथवा क्यूनालफाॅस 25 प्रति ई0सी0 1.5 लीटर या क्लोरपारिफाॅस 20 प्रति0 ई0सी0 1.5 लीटर या इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एस0एल0 1.25 मिली0 प्रति हे0 की दर से 500 से 600 ली0 पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। गंधी किट से बचाव हेतु मैलथियान 5 प्रति0 धुल या फेनवलरेट 0.04 प्रति धुल 20 से 25 किग्रा0 प्रति हे0 की दर से भुरकाव अथवा इजाडिरैक्टीन 0.15 प्रति0 ई0सी0 2.5 ली0 प्रति हे0 की दर से 500 से 600 ली0 पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें तथा सेनिक किट से बचाव हेतु मैलाथियान 5 प्रति0 धूल या मिथईलपैराथियान 02 प्रति0 धूल अथवा फेनवलरेट 0.04 प्रति0 धूल 20 से 25 किग्रा0 प्रति हे0 की दर से शाम के समय भुरकाव करना चाहिए।
उन्होने बताया कि किसान अपने फसल की सुरक्षा हेतु आनलाईन व्यवस्था सहभागी फसल निगरानी एंव निदान प्रणाली (पीसीआरएस) के अन्तर्गत दूरभाष नं0-9452247111, 9452257111 एवं कृषि विभाग की वेबसाईट ूूूण्नचंहतपबनसजनतमण्बवउ पर भी समस्या का निदान कर सकते है।