मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ।
गोरखपुर से भाजपा विधायक डा.राधा मोहन दास अग्रवाल लगातार अपनी ही सरकार पर सवाल खड़े कर रहे हैं। अपने कार्यों और अधिकारियों की कमियों पर निशाना साधने लगे। जिसके कारण सरकार घिरती गयी और योगी चिढ़ते गये। योगी के खिलाफ संगठन में जो लोग विधायक को पीछे से हवा दे रहे थे, विधायक को कारण बताओ नोटिस मिलने के बाद वह सटक गये। विधायक अपने क्षेत्र में सड़क का उद्घाटन करते तो यह दहाड़ना नहीं भूलते थे कि पचास साला सीसी रोड दे रहा हूँ। दूसरा कोई यह दावा नहीं करता तो उस पर जनता का संदेह गहराने लगता था। भ्रष्ट अधिकारियों पर विधायक हमला करते थे लेकिन उसकी गूंज सरकार के भ्रष्टाचार बन कर गूंजती थी। धीरे-धीरे विधायक के स्वभाव में ही भ्रष्टाचार से लड़ने का यह रूप इतना विकराल बन गया कि अपनी ही सरकार घिरने लगी। गोरखपुर के सांसद रविकिशन और कई विधायक उनके खिलाफ उतर आए हैं तो बांसगांव के सांसद कमलेश पासवान और उनके भाई विमलेश इस समय उनके साथ खड़े हैं। वाट्सएप पर विवादित ऑडियो वायरल होने से लेकर फेसबुक और ट्विटर पर आपस में छिड़ी जंग तक सब कुछ खुलकर जनता के सामने घटित हो रहा है। संगठन ने फिलहाल डा.राधा मोहन दास अग्रवाल को कारण बताओ नोटिस जारी कर विवादों पर लगाम लगाने की कोशिश की है लेकिन उसके बाद भी गुरुवार देर रात फेसबुक पर कैम्पियरगंज से पार्टी विधायक फतेहबहादुर सिंह और डा.राधा मोहन दास अग्रवाल के बीच हुई भिड़ंत से लगता नहीं कि आसानी से डैमेज कंट्रोल हो पाएगा। इस बीच सदर सांसद रविकिशन ने विधायक से त्यागपत्र मांग लिया। जवाब में सदर विधायक ने अपने फेसबुक वाल पर लिखा कि "रविकिशन जी मूर्ति गढ़ने में गिलहरी की तरह हमारी भी भूमिका है। मूर्तिकार कभी अपनी स्थापित मूर्तियां नहीं तोड़ता है"। इसका आशय ये माना गया कि राधमोहन लड़ाई रोकने के मूड में नहीं है। कैम्प्पियर गंज के विधायक फतेहबहादुर सिंह ने फेसबुक पर लिखा कि हम आपके क्षेत्र से चुनाव लड़ कर हरायेंगे, हिम्मत हो तो आप हमारे क्षेत्र से लड़ कर दिखा दीजिये। लोकप्रियता का पता चल जायेगा। 2002 में पहली बार भाजपा के खिलाफ और उसके बाद लगातार तीन चुनाव भाजपा के टिकट पर जीतकर विधानसभा में पहुंचे डा.राधा मोहन दास अग्रवाल पहले भी अपने अलहदा तेवरों के लिए जाने जाते रहे हैं। लेकिन ताजा विवादों की शुरुआत 17 अगस्त को हुई। विधायक ने आरोप लगाया कि लखीमपुर-खीरी में एक भाजपा कार्यकर्ता के साले की हत्या के मामले में आला अफसरों ने उनकी अनसुनी कर दी। उन्होंने 17 अगस्त को अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी और डीजीपी हितेश अवस्थी को 5-5 बार कॉल किया। कॉल नहीं रिसीव हुई तो उन्होंने मुख्यमंत्री को ट्वीट कर दिया। इसके बाद अफसरों ने विधायक से फोन पर बात की। कुछ ही घंटे में लखीमपुर पुलिस ने हत्यारोपित को गिरफ्तार कर लिया और कोतवाल को लाइनहाजिर भी कर दिया गया। विधायक ने इस पूरे घटनाक्रम को ट्वीटर पर सार्वजनिक दिया। एक नए ट्वीट में उन्होंने लिखा-'नहीं कोई तकलीफ नहीं है। अपने विधायक होने पर गुस्सा आता है। पूरी तरह ईमानदार राजनीति पर भ्रष्ट अधिकारियों का नियंत्रण बर्दाश्त नहीं कर सकता हूं।दो महीने से पुलिसिया शरण में फलभूल रहे हत्यारे को गिरफ्तार कराने के लिए इस हद तक जाना पड़े, शर्म आती है। 'अपने विधायक होने पर गुस्सा आता है...' जैसी टिप्पणी को लेकर गोरखपुर की राजनीति को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया। विधायक और पार्टी के बीच रिश्तों को लेकर अभी अटकलें लग ही रही थीं कि 22 अगस्त को ट्वीटर पर नगर विधायक ने लखनऊ में उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य से मुलाकात की एक फोटो वायरल करते हुए जानकारी दी कि उन्होंने पीडब्लूडी के एक सहायक अभियंता के.के.सिंह की शिकायत की थी जिसे मुख्यालय से सम्बद्ध कर दिया गया है