बस्तीः
उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था बेहद लचर हो गयी है। सत्ता में आने के बाद पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जिन गुण्डों को जेल या प्रदेश से बाहर भेजने को कहा था वे रोजाना सरकार को चुनौतियां दे रहे हैं। नागरिकों की सुरक्षा का ये आलम है कि प्रदेश में पत्रकार और पुलिस पर हमले हो रहे हैं, आम आदमी के सुरक्षा की बात तो बहुत दूर है। ये बाते वरिष्ठ कांग्रेस नेता एवं पीसीसी सदस्य प्रेमशंकर द्विवेदी ने यहां प्रेस को जारी बयान में कही।
उन्होने आगे कहा कि एक महीने के भीतर तीन पत्रकारों की हत्या हुई, कई पर जानलेवा हमले हुये और दर्जन भर पत्रकारों पर सच लिखने के कारण मुकदमे हुये। कोविड-19 और धारा 144 का हवाला देकर जनता और विपक्ष की आवाज दबाई जा रही है। ये हालात भारतीय लोकतंत्र के लिये बेहद घातक हैं और उ.प्र. की योगी सरकार इसकी जिम्मेदार है। दोगुनी आय का सपना देखने वाला किसान चहुंओर ठगी का शिकार है। कभी यूरिया के नाम पर, कभी जमीनों के मुआवजे के नाम पर तो कभी आवारा पशुओं द्वारा फसलों की बरबादी के नाम पर।
इसके बाद अगर कुछ बचता है तो उसे कुदरत ले लेती है। विकास के नाम पर कांग्रेस की अति महत्वाकांक्षी योजना मनरेगा बंदरबांट का शिकार हो रही है। गावों की तकदीर संवारने के नाम पर पंचायत भवनों के लिये भूमि पूजन और शिलान्यास हो रहे हैं। जबकि इससे पहले अमेडकर सामुदायिक भवन, सरस हाट, पंचायत भवन आदि के नाम पर ग्रामीण अंचलों में अरबों की लागम से बनी बिल्डिगें इस्तेमाल से पहले खण्डहर हो रही हैं। कई विकास खण्डों में लाखों, करोड़ों की लगत से बने वाटर हेड टैंक से जनता को एक बूंद पानी मयस्सर नही हो रहा है।
गावों में पेयजल व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है। सिंचाई के साधन दम तोड़ रहे हैं। कांग्रेस नेता ने कहा जाहिर है सरकार और जनप्रतिनिधि इन मुद्दों को लेकर गंभीर नही हैं। पंचायत भवनों के निर्माण महज इसलिये हो रहे हैं कि अफसरों और जनप्रतिनिधियों को अपना हिस्सा मिल जाये। यदि यही विकास है तो निःसंदेह सत्ताधारी दल, नेता और अफसर सही रास्ते पर हैं, वरना लोकतांत्रिक देशों में सत्ता किसी की जागीर नही होती, जनता ने न जाने कितनी निरंकुश सरकारों और नेताओं को वापसी का रास्ता दिखाया है।