फसलों की नई प्रजातियों से किसानों को अवगत कराएं वैज्ञानिक


 


 


कुलपति ने प्रदर्शन प्रक्षेत्रों पर रोपित किए गए फसलों का किया अवलोकन।


 


 


मिल्कीपुर, अयोध्या।


 


आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज के प्रसार निदेशालय  की ओर से प्रशिक्षण एवं प्रदर्शन प्रक्षेत्र पर किसानों को व्यावहारिक प्रशिक्षण देने व फसलों की नई प्रजातियों की अच्छाइयों से रूबरू कराने के उद्देश्य से धान की क्रॉप कैफिटेरिया लगाई गई है जिसका विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ विजेंद्र सिंह ने शुभारंभ कर गहन निरीक्षण भी किया। कृषि विश्वविद्यालय के प्रशिक्षण एवं प्रदर्शन पर क्षेत्रफल विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ विजेंद्र सिंह तथा निदेशक प्रसार डॉक्टर ए पी राव के निर्देशन में आयोजित क्रॉप कैफेटेरिया में 90 से 95 दिन में 40 से 45 कुंतल प्रति हेक्टेयर उपज देने वाली धान की एन डी आर - 97 प्रजाति लगाई गई है। इस समय इस ध्यान में बालियां निकल गई है जिसकी 15 से 20 सितंबर के मध्य कटाई होने की पूरी उम्मीद है यह प्रजाति कम वर्षा व अल्प अवधि में अधिक पैदावार देने वाली धान की अच्छी प्रजाति है किसानों के लिए वर्ष भर में धान, आलू, गेहूं की फसल चक्र के लिए एमडीआर 97 सर्वोत्तम प्रजाति है। क्षेत्र प्रधान इंडिया 2064 2065 भी लगाया गया है यह धान की नई प्रजाति है जो 130 से 135 दिन में 55 से 60 कुंतल प्रति हेक्टेयर की उपज देती है जलभराव की स्थिति में स्वर्ण सव -1 बौनी किस्म भी लगाई गई है जो 150 से 155 दिन में 65 से 70 कुंतल प्रति हेक्टेयर की उपज देती है धान साभा सब वन कभी रोपण किया गया है जो 140 से 145 दिन में 55 कुंतल तक प्रति हेक्टेयर उपज देगी। सुगंधित धान पूसा बासमती वन भी प्रतीत पर लगाया गया है जो 135 से 140 दिनों में 30 से 35 कुंतल प्रति हेक्टेयर उपज देने क्षमता रखती है। काला धन भी लगाया गया है, जो मात्र 100 दिन में 40 से 45 खाने में आयरन की मात्रा बड़े पैमाने पर पाई जाती है। पोस्टिक पोषक तत्व देने वाली फसलें भी क्षेत्र पर किसानों के तकनीकी जानकारी हेतु लगाई गई हैं। सावां, काकून, चना, कोदो, मडवा एवं तिल की प्रजाति क्षेत्र पर विद्यमान है। यह मोटी अनाज वाली फसले कम अवधि में तैयार हो जाती हैं।सूक्ष्म पोषक तत्वों से भरपूर होने के कारण मानव स्वास्थ्य के लिए सर्वथा हितकर है। विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ विजेंद्र सिंह जी ने प्रशिक्षण एवं प्रदर्शन पर क्षेत्र का निरीक्षण करने के उपरांत यह निर्देश दिया कि इन प्रजातियों का बीज किसानों को आगामी फसल है दिया जाए एवं ज्यादा से ज्यादा किसानों को फसलों का अवलोकन कर आकर प्रणाम प्रदर्शन के रूप में प्रदर्शित किया जाए जिससे किसान इन नई प्रजातियों की तरफ अपना रुझान करके अपनीआमदनी को बढ़ा सकेंगे। इस मौके पर प्रमुख रूप से विश्वविद्यालय के निदेशक प्रसार डॉ ए पी राव, कुलपति के सचिव डॉ जसवंत सिंह, मीडिया प्रभारी डॉ अखिलेश कुमार सिंह, डॉक्टर आरआर सिंह एवं डॉ अमरनाथ सिंह मौजूद रहे।


Post a Comment

Previous Post Next Post

Contact Form