जब संक्रमण सर्वत्र फिर व्यापारी पर ही दो दिन बन्दी का अत्याचार क्यो?

संतकबीरनगर:


अखिल भारतीय उद्योग व्यापार मंडल ने बुधवार को जिलाधिकारी से कई और वस्तुओं के दुकानों को खोलने की अनुमति मांगी। उद्योग मंडल ने ज्ञापन देकर व्यापारियों की समस्याएं बताईं प्रतिनिधिमंडल जिलाधिकारी रवीश गुप्ता से मिला जिसमें प्रदेश उपाध्यक्ष अमित जैन जिला महामंत्री विनीत चंदा कोषाध्यक्ष हरी लाल गुप्ता वरिष्ठ उपाध्यक्ष सुधीर जैन सेनेटरी एसोसिएशन के  पेशकार अहमद खलीलाबाद कमेटी के महामंत्री महमूद खान कोषाध्यक्ष विकास गुप्ता साइकिल विक्रेता संघ के अध्यक्ष  परवेज अहमद सम्मिलित थे। मंडल ने जिलाधिकारी से मांग की कि उनके द्वारा जारी आदेश इसमें शनिवार व रविवार की बंदी के अलावा सप्ताह में बचे हुए 5 दिनों में सम विषम के आधार पर दुकानें खोली जाएंगी को वापस लेने की मांग की।व्यापारी नेताओ ने  कहा की यह अव्यवहारिक आदेश है महीने में 10 दिन दूकान खोंलने से सरकार का टैक्स revenue भी कम होगा और पहले से तबाह व्यापारी बर्बाद हो जाएगा।जहाँ तक भीड़ भाड़ की बात है तो शराब की दुकानों से ज्यादा भीड़ भाड़ कहीं नहीं होती। यदि सम विषम का निर्णय का अधिकार स्थानीय प्रसाशन व पुलिस चौकी के विवेक पर छोड़ दिया गया तो वे इसे पूरा लागू करते हुए ऊपर से आदेश का हवाला देते हुए अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेंगे और व्यापारी भीख मांगने पर मजबूर होंगे। यदि इसे वापस नहीं लिया गया तो व्यापारी खुद ही अपनी दुकान सम्पूर्ण रूप से बंद करने पर मजबूर हो जाएंगे। जिलाधिकारी ने प्रतिनिधिमंडल की बातों को ध्यान से सुना और इस अपनी बातें भी रखीं और इस पर उचित विचार करके निर्णय लेने  की बात कही।


 


प्रदेश उपाध्यक्ष अमित जैन का कहना है कि जब पूरे जिले में ही संक्रमण फैला हुआ है तो फिर एक क्षेत्र के साथ ऐसा पक्षपात सही नहीं है। यहां के व्यापारियों को आखिर क्यों परेशान और प्रताड़ित किया जा रहा है। अमित जैन का कहना है कि बिजली का बिल, कर्मचारी का वेतन, प्रॉपर्टी टैक्स समेत अन्य खर्च निकालने में पूरे महीने लग जाते हैं तो फिर 12 दिन व्यापार कर हम क्या कर पाएंगे। प्रशासन व्यापार को बांटने के बजाय सबको एक जैसी छूट दे। आगामी दिनों में कई बड़े त्योहार आ रहे हैं। यही समय है हमारे पास व्यापार का ऐसे में दुकान बंद रहेगी तो कैसे चलेगा। जिला प्रशासन हमारी मजबूरी को समझ कर व्यापारियों को दुकान खोलने की अनुमति दे।


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