ब्राह्मण और जातिवाद असम्भव, सूरज पश्चिम उग सकता हे पर ब्राह्मण जातिवादी? सोच का दोष

 


पंकज त्रिपाठी स्वतन्त्र चेता स्वतन्त्र पत्रकार है,अक्सर विपरीत परिस्थितियों के वावजूद सक्रियता इनका स्वभाव है,वेबाक ,निरवैर,निर्भीक लेखनी के मालिक भी।आज जातीयता का जो रणनीति करन होरहा है उसपर उन्होंने अपनी लेखनी से उद्गार उकेरे हैं, में भी अपनी सहमति उनके लेख के साथ नत्थी करता हूं।वस्तुतः आज जातीयता का महाभारत 2022 के कुरुक्षेत्र में परस्पर खींच तान कर रहा है ,सस्ती लोकप्रियता, सस्ते विचार से अनुप्राणित राजनीतिक दल ब्राह्मण को ब्रह्मास्त्र के रूपमे इस्तेमाल माल कर भारतीय जनता पार्टी को शल्य बन हतोत्साहित कर रहे है,उन्हें यह पता होना चाहिए यतो धर्म:,ततो जय:औऱ धर्म भारतीय जनता पार्टी के साथ है 2022 ही नही अभी आगे और भी कुछ भाजपा को करना है।भाजपा के प्रबक्ता अपनी बात नही कह पा रहे यह भाजपा का विषय है पर ब्राह्मणों को ध्यान देना चाहिए हमारा कोई टेण्डर न भरने पाए दुनिया मे कुछ भी सम्भव है पर ब्राह्मण सङ्गठन असम्भव है।कुछ अपवाद होसकते है पर ब्राह्मण बिकाऊ माल नही।जातीयता का संगठन बनाने वाले व बताने वाले कुत्सित विचार से संपृक्त है।ब्राह्मण के नाम पर लम्पट,कुबिचारी,और अन्ध्यायी ब्राह्मण नही होसकता और उन्हें गुमराह तो कत्तई नही.


 


 


 


आजकल ब्राह्मण क्षत्रिय के नाम पर एक अलग लड़ाई चल रही है।


 


लोग इस चक्कर में भाजपा को भी बुरा भला कह रहे हैं। जबकि मेरा मानना है कि भाजपा नही होगी तो ब्राह्मण की जो बुरी दशा होगी उसका पूर्वानुमान नही है ब्राह्मणों को।


दिन भर उल्टे सीधे काम करके, लूट पाट करके घर चलाने वाले, गुटखा- पान, शराब, माँस आदि खाने वाले, स्वाध्याय, संध्या, उपासना, पूजा पाठ, संस्कृत शिक्षा आदि से दूर रहने वाले लोग भी खुद को ब्राह्मण मानते हैं।


यही तथाकथित ब्राह्मण ही सबसे ज्यादा इस जाति का विनाश कर रहे हैं, और ब्राह्मण के नाम पर वो लोग राजनीति कर रहे हैं।


ब्राह्मणों के उपेक्षित होने का मुख्य कारण यही है कि वो स्वयं को ही भूल गए हैं।


मेरा मानना है कि पहले ब्राह्मण को ब्राह्मण की परिभाषा पर खरा उतरना होगा तब दुनिया के किसी भी व्यक्ति में वो साहस नही है कि वो आपका विरोध कर सके।


जब आप पुनः जगत के कल्याण की कामना करेंगे, समाज में अच्छे ज्ञान देंगे, समाज में भाईचारा फैलायेंगे। तब हर व्यक्ति आपका सम्मान करेगा। आवश्यकता है कि आप भृगु, गर्ग, कात्यायन,


अंगिरा, वशिष्ठ, परशुराम, अत्रि, दुर्वासा, दधीचि, अगस्त, संदीपनी, भारद्वाज, सुदामा, पतंजलि, वागभट्ट, शंकराचार्य, चाणक्य,


दयानंद, के बताए मार्ग पर चलने का प्रयास शुरू कीजिए,


पाखण्ड और धर्म के नाम पर होने वाली लूट का विरोध कीजिए।।


ब्राह्मणों से निवेदन है कि क्षत्रियों, वैश्यों, शूद्रों को यथोचित सम्मान और उचित मार्गदर्शन दें, आपका सम्मान स्वाभाविक होगा।


सभी वर्ण के लोगों ने विद्वानों को हमेशा सम्मान दिया है। आप विद्वान तो बनिये।


नोट- मैं भी ब्राह्मण की कसौटी पर पूरा नहीं हूं,लेकिन हाँ धीरे धीरे स्वयं को ब्राह्मण बनाने में लगा हूँ। कमी रह जाएगी तो हरी कृपा से अगली बार जन्म मिलने पर पूर्ण ब्राह्मण बनने का पूरा प्रयत्न रहेगा,


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