डॉ मुखर्जी का बलिदान याद कर रहा अब हिंदुस्थान

 


 


डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी बलिदान दिवस: पुण्यतिथि नमन


 


23 जून की तारीख भारतीय इतिहास का वह चमचमाता हुआ पन्ना है जब भारत माँ के एक वीर सपूत - डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने देश की अखण्डता के लिए अपने प्राण त्यागे थे। जिस कारण से डॉ . मुखर्जी को याद किया जाता है, वह है जम्मू कश्मीर के भारत में पूर्ण विलय की माँग को लेकर उनके द्वारा किया गया सत्याग्रह एवं बलिदान। 1947 में भारत की स्वतन्त्रता के बाद गृहमन्त्री सरदार पटेल के प्रयास से सभी देसी रियासतों का भारत में पूर्ण विलय हो गया; पर प्रधानमन्त्री जवाहरलाल नेहरू के व्यक्तिगत हस्तक्षेप के कारण जम्मू कश्मीर का विलय पूर्ण नहीं हो पाया। उन्होंने वहाँ के शासक राजा हरिसिंह को हटाकर शेख अब्दुल्ला को सत्ता सौंप दी। शेख जम्मू कश्मीर को स्वतन्त्र बनाये रखने या पाकिस्तान में मिलाने के षड्यन्त्र में लगा था।


 


 


शेख ने जम्मू कश्मीर में आने वाले हर भारतीय को अनुमति पत्र लेना अनिवार्य कर दिया। 1953 में प्रजा परिषद तथा भारतीय जनसंघ ने इसके विरोध में सत्याग्रह किया। नेहरू तथा शेख ने पूरी ताकत से इस आन्दोलन को कुचलना चाहा; पर वे विफल रहे। पूरे देश में यह नारा गूँज उठा – एक देश में दो प्रधान, दो विधान, दो निशान: नहीं चलेंगे।


 


 


डॉ. मुखर्जी जनसंघ के अध्यक्ष थे। वे सत्याग्रह करते हुए बिना अनुमति जम्मू कश्मीर में गये। इस पर शेख अब्दुल्ला ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। 20 जून 1953 को उनकी तबियत खराब होने पर उन्हें कुछ ऐसी दवाएँ दी गयीं, जिससे उनका स्वास्थ्य और बिगड़ गया। 22 जून को उन्हें अस्पताल में भरती किया गया। उनके साथ जो लोग थे, उन्हें भी साथ नहीं जाने दिया गया। रात में ही अस्पताल में ढाई बजे रहस्यमयी परिस्थिति में उनका देहान्त हुआ।


 


 


मृत्यु के बाद भी शासन ने उन्हें उचित सम्मान नहीं दिया। उनके शव को वायुसेना के विमान से दिल्ली ले जाने की योजना बनी; पर दिल्ली का वातावरण गरम देखकर शासन ने विमान को अम्बाला और जालन्धर होते हुए कोलकाता भेज दिया। कोलकाता में दमदम हवाई अड्डे से रात्रि 9.30 बजे चलकर पन्द्रह कि.मी दूर उनके घर तक पहुँचने में सुबह के पाँच बज गये। 24 जून को दिन में ग्यारह बजे शुरू हुई शवयात्रा तीन बजे शमशान पहुँची। हजारों  लोगों ने उनके अन्तिम दर्शन किये।


 


 


आश्चर्य की बात तो यह है कि डॉ. मुखर्जी तथा उनके साथी शिक्षित तथा अनुभवी लोग थे; पर पूछने पर भी उन्हें दवाओं के बारे में नहीं बताया गया। उनकी मृत्यु जिन सन्देहास्पद स्थितियों में हुई तथा बाद में उसकी जाँच न करते हुए मामले पर लीपापोती की गयी, उससे इस आशंका की पुष्टि होती है कि यह नेहरू और शेख अब्दुल्ला द्वारा करायी गयी चिकित्सकीय हत्या थी।


 


 


डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने अपने बलिदान से जम्मू-कश्मीर को बचा लिया। अन्यथा शेख अब्दुल्ला उसे पाकिस्तान में मिला देता।


 


 


भारत के इस वीर सपूत के बलिदान दिवस पर उनको नमन करते समय हम माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के भी आभारी हैं जिन्होंने डॉ मुख़र्जी के बलिदान को सार्थक किया और कश्मीर से धारा 370 की विकटता को समाप्त किया। हम आभारी हैं श्री नरेन्द्र मोदी जी के जिनके अदम्य साहस और सूझबूझ से भारत कई गौरवशाली पलों का साक्षी बन रहा है। 


 


 


मोदी सरकार ने नागरिकता क्रांति पर पिछले साल 11 दिसंबर को संसद में नागरिकता संशोधन बिल पेश किया, जो अब कानून बन चुका है. नागरिकता संशोधन कानून के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के अल्पसंख्यकों को भारत में नागरिकता का अधिकार मिल गया. यानी इन देशों के हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई जो सालों से शरणार्थी की जिंदगी जीने को मजबूर थे. उन्हें भारत की नागरिकता प्राप्त करने का अधिकार मिल गया. 


 


 


देश के सबसे बड़े कानूनी विवाद, अयोध्या विवाद का हल भी मोदी सरकार ने पहले छह महीने में ही कर दिया। सालों से कोर्ट की कार्रवाई का अंत करते हुए 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले ने अयोध्या में रामजन्मभूमि को ही राम का जन्म का स्थान माना. अब तो नींव की प्रथम ईंट भी स्थापित की जा चुकी है। 


 


 


6 साल के कार्यकाल में मोदी सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक है तीन तलाक को खत्म करना. तीन तलाक कानून के तहत कोई भी मुस्लिम शख्स मौखिक, लिखित या किसी अन्य माध्यम से अपनी पत्नी को एक बार में तीन बार तलाक देता है तो वह अपराध माना जाएगा. ऐसी मुस्लिम महिलाएं जो तीन तलाक के डर के साए में जीने को मजबूर थीं अब आत्मसम्मान के साथ अपनी जिंदगी जी रही हैं.


 


 


श्री नरेंद्र मोदी के सत्ता में आते ही देश की युद्ध नीति भी कायरता से प्रचंडता की तरफ बढ़ गई। आतंकवाद के मुद्दे पर देश मुंहतोड़ जवाब देना सीख गया. 2016 में पाकिस्तान में आतंकी अड्डे पर सर्जिकल स्ट्राइक इसका पहला उदाहरण था. इसके बाद 2019 में बालाकोट में एयर स्ट्राइक करके एक बार फिर आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति का संदेश आतंकियों और उनको पालने वाले देश को दिया. पिछले साल अक्टूबर में PoK में लॉन्च पैड ध्वस्त करना भी जीरो टॉलरेंस का सबूत है. पिछले कुछ समय में जम्मू कश्मीर में आतंकवाद में आई कमी नए हिंदुस्तान की संकल्प शक्ति का प्रमाण है.


 


 


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक है देश को स्वच्छता के प्रति जागरूक करना. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पहले ही कार्यकाल में स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की. पीएम ने देश, शहर, गांव को स्वच्छ करने के लिए बहुत बड़े स्तर पर मिशन चलाया. गांव में शौचालय बनवाए गए, शहरों को स्वच्छता की कसौटी पर परखा जाने लगा. अब हर शहर, गांव के लोग स्वच्छता की आदत अपना रहे हैं.


 


 


 


आज समूचा विश्व कोरोना महासंकट से जूझ रहा है वहीं इस मुद्दे पर भी नरेंद्र मोदी की इच्छाशक्ति की तारीफ वैश्विक स्तर पर हुई। यूं तो प्रकृति की विनाशलीला कोई रोक नहीं सकता पर जिस तरह से हमारे प्रधानमंत्री सबका ध्यान रख रहे हैं वह सभी के को साहस दे रहा है। हमें पूरी उम्मीद है कि मोदी सरकार के नेतृत्व में इस महासंकट से भी जीत जाएंगे हम!


 


 


राजेंद्र नाथ तिवारी।


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