संस्कृत भाषओं की जननी है

#आरोहनम_मार्तण्डस्य_और_पतनम_मार्तण्डस्य


हमे बचपन से ये रटवाया गया, विश्वास दिलवाया गया कि इन दो शब्दो A.M. और P.M. का मतलब होता है।


A.M. : एंटी मेरिडियन (ante meridian)
P.M. : पोस्ट मेरिडियन (post meridian)


एंटी यानि पहले, लेकिन किसके ?
और पोस्ट यानि बाद में, लेकिन फिर वही सवाल, किसके ?
ये कभी साफ नही किया गया क्योंकि ये चुराय गये शब्द का लघुतम रूप था


""किसके = जहां कारक खुद गौण है""


हमारे प्राचीन संस्कृत भाषा ने इस संशय को अपनी आंधियो में उड़ा दिया और अब, सबकुछ साफ साफ दृष्टिगत है


कैसे ?
देखिये ....


A.M. = आरोहनम मार्तण्डस्य


P.M. = पतनम मार्तण्डस्य


सूर्य, जो कि हर आकाशीय गणना का मूल है, उसीको गौण कर दिया, कैसे गौण किया ये सोचनीय है और बेतुका भी। भ्रम इसलिये पैदा होता है कि अंग्रेजी के ये शब्द संस्कृत के उस 'मतलब' को नही इंगित करते जो कि वास्तविक में है।


आरोहणम्_मार्तडस्य्: यानि सूर्य का आरोहण *(चढ़ाव)*
और
पतनम्_मार्तडस्य् यानि सूर्य का ढलाव


दिन के बारह बजे के पहले सूर्य चढ़ता रहता है आरोहनम मार्तण्डस्य (AM), बारह के बाद सूर्य का अवसान, पतन होता है 'पतनम मार्तण्डस्य' (PM)।
इसलिए कहा जाता है की संस्कृत कई भाषा की जननी है।


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