बस्ती,उत्तर प्रदेश
बह्मांड के प्रथम पत्रकार ब्रह्मर्षि श्री नारद का आज धरावतरणं दिवस है।देव,दानव, किन्नर,गन्धर्व,मानव सबको समान रूपसे प्रिय व तटस्थ ,वैश्विक सूचना तंत्र के प्रणेता नारद जी वस्तुत7 उस कालजयी विधा के वाहक थे जिसे आज का मानव द्रश्य, श्रब्य पत्रकारिता कह रहा है।वैश्विक सूचना तंत्र के सूत्रधार नारद ने समस्त सकारात्मक विधाओं का अध्ययन किया था ,यही कारण था जितने प्रिय नारद विष्णु के थे उतने ही दैत्यों व दानवों के।
उनका सूचना तंत्र निरवैर,निर्भिक ,निष्पक्ष रहता था।सबकी खबर ले और सबको खबर दे के प्रबल पक्षधर थे नारद जी।एक आदर्श पत्रकार के सभी गुण उनमें थे।
आज जैसे कोई भक्त कुछ पूजा के पूर्व श्री गणेश का आह्वान करता है,वैसे ही एक आदर्श पत्रकार सम्पादकीय श्री गणेश में कलम ले पहले श्री नारद जी का आह्वान अपना कर्तव्य व भाग्य समझता है।
आज उनकी जयंती पर यह सीख आवश्यक है कि हम पक्षीय पत्रकारिता को तिलांजलि व श्रेयस्कर पत्रकारिता का स्वीकारें।
आज जब पत्रकार संस्था खतरे में है तब देवर्षि नारद का तटस्थ विचार हंमे संजीवनी प्रदान कर सकता है।
कौटिल्य का भारत परिवार महर्षि नारद जी को याद कर इनकी सर्वस्पर्शी पत्रकारिता व निर्भीकता को नमन करता है।और श्री परमेश्वर से निवेदन की हर कलम का योद्धा अपने कर्तव्य पथ पर निरन्तर निर्भीक व निःस्वार्थ गतिमान हो और रहे भी।