जिलाधिकारी आशुतोष निरंजन ने किसानों से अपील किया है कि रबी फसलों की कटाई के बाद खेतो की गहरी जुताई करें और यह जुताई मिट्टी पलटने वाले हल (आर.एम.बी.प्लाऊ) से करें, जिससे खेत के ऊपर की मिट्टी नीचे तथा नीचे की मिट्टी पलटकर ऊपर आ जाये। इससे खेत की उपजाऊ मिट्टी तपकर खरपतवार के बीजों तथा कीटाणु/रोगाणुओं से मुक्त हो सके ।
उन्होने कहा कि गर्मी की गहरी जुताई की संख्या खरपतवारों की सघनता पर निर्भर करती है। सामान्यतः मानसून से पूर्व 15-20 दिन के अन्तर पर दो गहरी जुताइयाँ करना उत्तम रहता है। गहरी जुताई मृदा के अनुसार 9-10 इंच तक रखना चाहिये। इससे अधिक गहरी जुताई करने से नीचे की अनुपजाऊ मृदा ऊपर आ जाती है जो उपयुक्त नही होती है। खरपतवार अधिक होने पर 15 दिन के अंतराल पर दुबारा जुताई करें तथा खेत में रोगकारक कीटों को नष्ट करने के लिए सुबह व शाम को जुताई करें। जुताई के साथ- साथ खेत की मेड़ों को भी खरपतवारों से मुक्त कर दें ।
उन्होने कहा कि गर्मी में गहरी जुताई करने से मृदा की ऊपरी कठोर पर्त टूट जाती है तथा वर्षा जल की मृदा में प्रवेश क्षमता व पारगम्यता बढ़ जाने से खेत में वर्षा जल का संरक्षण जिससे मृदा की जलशोषण व जलधारण क्षमता बढ्ने से सिंचाई जल में बचत होती है।
उन्होने बताया कि गर्मी के दिनों में खेतों की गहरी जुताई करने से विभिन्न प्रकार के लाभ प्रक्षेत्र का पानी बहकर खेतों से बाहर अन्य जलस्रोतों में नहीं मिलता है, जिससे जलस्रोत कृषि रसायनों से प्रदूषित नहीं होते हैं और भूमि के जलस्तर में सुधार होता है एवं मृदा की संरचना में सुधार होता है जिससे मृदा वायु संचार में सुधार होने से मृदा सूक्ष्म जीवों की संख्या बढ़ जाती है तथा कार्बनिक पदार्थों का अपघटन तीव्र गति से होता है। इस प्रकार वायुमन्डलीय नत्रजन तथा वायु मण्डल में उपस्थित गन्धक आदि तत्व वर्षा जल के साथ मृदा में अवशोषित होकर मृदा की उपजाऊ शक्ति को बढ़ाते हैं।
उन्होने कहा कि फसल अवशेषों, खरपतवारों तथा मृदा सतह के नीचे बहुत से कीट गर्मी मे आश्रय लेते हैं। गर्मी की गहरी जुताई से सूर्य की तेज किरणें मृदा में प्रवेश करके इन मृदा जनित कीटों, उनके अंडों, सूँडी, प्यूपा को नष्ट कर देती हैं या खुले में आने से पक्षियों द्वारा खाकर नष्ट कर दिये जाते हैं । हानिकारक जीवाणु, उनके स्पोर, फफूंद तथा अन्य हानिकारक सूक्ष्म जीव गर्मी की तेज धूप में तपकर नष्ट हो जाते हैं। गहरी जुताई से खरपतवार तथा उनकी गाँठे उखड़कर ऊपर आ जाती हैं और तेज धूप में सूखकर मर जाते हैं। मृदा में दबे हुये खरपतवारों के बीज ऊपर आ जाते हैं तथा पक्षियों द्वारा खा लिये जाते हैं ।
उन्होने बताया कि खेत में ढलान के आर-पार जुताई करने से ढलान की निरन्तरता में रुकावट आती है जिससे वर्षा जल से मृदा कटाव नहीं होता। साथ ही जुताई के पश्चात मृदा ढेलों के रूप में होने से वायु द्वारा मृदा कटाव भी नहीं होता है।
जिलाधिकारी ने कहा कि किसान भाइयों इस समय कोविड-19 (कोरोना वायरस) महामारी का प्रकोप चल रहा है, अतः बाहर निकलते समय सावधानी बरतनी आवश्यक है, ताकि हम खुद भी सुरक्षित रहे और महामारी के फैलाव पर भी नियंत्रण कर सकें। घर से बाहर अत्यंत अवश्यक होने पर ही निकलें तथा निकलते समय अपने मुंह मे मास्क, सूती रूमाल, गमछा या अन्य कपडे की तीन परत की मास्क घर पर ही बनायें और उसे लगायें। मास्क को बाहर से आने के उपरांत साबुन या डिटर्जेंट से धुलें तथा अपने आस पास सफाई का विशेष ध्यान रखे। घरों में सैनीटाईजर का प्रयोग करे एवं दो मीटर की सामाजिक दूरी बनाये रखे। ऐसा स्वयं भी करें व सभी को बताएं ।
उन्होने बताया कि किसान अपनी कृषिगत समस्याओं के समाधान हेतु अपने नजदीकी राजकीय कृषि बीज भंडार एवं कृषि रक्षा इकाई पर उपस्थित प्राविधिक सहायक, कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिकों तथा जिला कृषि अधिकारी एवं उप निदेशक कृषि से संपर्क कर अपनी कृषिगत समस्याओं का समाधान प्राप्त कर सकते हैं।