बस्ती,उत्तर प्रदेश
क्या बस्ती रेलवे स्टेशन गोरखपुर और गोंडा से बड़ा है?क्या इसके संसाधन सबसे ज्यादे हैं, क्या यहा का स्टाफ कुछ ज्यादे ही सतर्क व बेहतर है,क्या यहाँ अधिक कुशल प्रशासक हैं यह बात समझ के परे है उनलोगों के जो थोड़ा बहुत विचार भी करते है।आखिर उरई और सहारनपुर को बस्ती से ही प्रवासी क्यो भेजे जीरहे हैं,
आखिर ििइसे दुर्भाग्य के अतिरिक्त और क्या नाम दिया जाए।जहाँ कस स्व्भाव ही अभाव है वहाँ दिल खोलकर प्रवासियों की खेप दर खेल का क्या निहितार्थ लगाया जय?
कोई नेता,प्रसादक पार्टी सब हाथ बाद कर कह खड़े है।अनुशासन की डोर जो बधि है।
कोरोना संक्रमितों का नाम बस्ती के लेजर में बढ़ता जा रहा है और अगल बगल जे जिला यह कहते मिल रहे कि आपके यहां तो शताधिक कोरोना संक्रमित होगये।कुछ जिले जिन्हें कुछ ज्यादे राज्याश्रय प्राप्त है वहा बताते है कि सम्वेदन शून्यता इतनी बढ़ गयी है कि अपनो को अपना कहने से कतरा रहे है ।
आखिर बस्ती जिला है या कोरोना का हब बनाया जा रहा है।