सावधान !!! अगर आदिशक्ति ने शोशल डिस्टेंसिग (कोरोना) रक्तबीज बध नही किया होता तो आज मानवता ही नही रहती धरती पर



रक्तबीज बधे देवि------कोरोना वायरस यानी कि Coronavirus disease (COVID-19) बहुत सूक्ष्म लेकिन प्रभावी वायरस है. कोरोना वायरस मानव के बाल की तुलना में 900 गुना छोटा है. आकार में इस छोटे वायरस ने पूरी दुनिया को डरा-सहमा दिया है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसको महामारी घोषित कर दिया है. WHO के मुताबिक, संक्रमण के फलस्वरूप बुखार, जुकाम, सांस लेने में तकलीफ होने लगती है. खांसने और छीकने से यह तेजी से फैलता है.




 



यदि हम सनातन धर्मग्रंथों के संबंध में चर्चा करें, तो हमारे धर्म शास्त्रों में भी ऐसे महामारी रूपी दानवों से निबटने और उस पर विजय प्राप्त करने का उल्लेख मिलता है. कोरोना वायरस एक दूसरे से स्पर्श या पीड़ित के संपर्क में आने से फैलता जाता है. इसी तरह की महामारी रूपी दानव की चर्चा हमारे धर्मग्रंथों में की गयी है, जिसका नाम था-रक्तबीज!




 



रक्तबीज एक ऐसा दानव था, जिसे वरदान प्राप्त था कि जब-जब उसके रक्त का बूंद धरती के संपर्क में आयेगा, तब-तब हर बूंद से एक नया रक्तबीज जन्म ले लेगा. यह नया रक्तबीज भी बल, शरीर और रूप से मुख्य रक्तबीज के समान ही होगा. ठीक उसी प्रकार आज कोरोना जैसी महामारी का संक्रमण अत्यंत ही तीव्रता से संपूर्ण विश्व में फैल रहा है. जिसतरह एक रक्तबीज से हजारों रक्तबीज उत्पन्न हो गये, बिल्कुल उसी तरह चीन के वुहान से निकला यह कोरोना वायरस नाम का रक्तबीज संपूर्ण विश्व को संक्रमित करने लगा और धीरे-धीरे इससे पीड़ितों की संख्या रक्तबीज की तरह बढ़ने लगी.




 



रक्तबीज नाम के दानव को अस्त्रों, शस्त्रों से मारने की कोशिश जब-जब कोशिश की जाती, उसके लहू की बूंदों से अनेकों रक्तबीज पुनः जीवित हो जाते. रक्तबीज दैत्यराज शुंभ और निशुंभ का मुख्य सेनानायक था. उनकी सेना मां मातारानी के विरुद्ध प्रतिनिधित्व कर रही थी. ठीक उसी प्रकार कोरोना वायरस से संक्रमित कोई व्यक्ति खांसता या छींकता है, तो उसके थूक के बेहद बारीक कण हवा में फैल जाते हैं. इनमें वायरस होते हैं, जो किसी दूसरे व्यक्ति को संक्रमित करते हैं. सोशल डिस्टेंसिंग के तरीके अपनानेवाले लोगों ने कोरोना वायरस के खतरे को काफी कम किया है.




 



शिव के तेज से प्रकट माहेश्वरी देवी विष्णु के तेज से प्रकट वैष्णवी, ब्रह्मा के तेज से ब्राह्मणी भगवती के साथ मिलकर दैत्यों से युद्ध कर रही थी. जब भी कोई देवी रक्तबीज पर प्रहार करती, उसके रक्त के बूंदों से अनेकों रक्तबीज पुनः जीवित हो उठते. उसके बाद देवी चंडिका ने मां काली को अपने क्रोध से अवतरित किया. मां काली विकराल क्रोध वाली थी. उनका स्वरूप ऐसा था कि काल भी उन्हें देख कर डर जाये.




 



मां भगवती अनेक स्वरूपों से रक्तबीज पर विजय प्राप्त की. देवी भगवती ने माता काली से कहा कि तुम इस असुर के शरीर से गिरनेवाले रक्त के हर बूंद का पान कर जाओ, जिससे कोई अन्य रक्तबीज उत्पन्न ना हो सके. जब रक्तबीज का रक्त धरती कर स्पर्श नहीं कर पायेगा, धरती से संपर्क नहीं हो पायेगा, तो नया रक्तबीज पैदा नहीं होगा. ऐसा सुन कर मां काली ने रक्तबीज की गर्दन काट कर उसे खप्पर मे रख लिया, ताकि रक्त की बूंद नीचे ना गिरे और मां काली रक्तबीज के रक्त का पान करती गयीं. इस तरह रक्तबीज का अंत हुआ.




 



आज हमारे समाज को इसी प्रकार के सहयोग समपर्ण निष्ठा की जरूरत है. प्रबुद्ध वर्ग इस विकट परिस्थितियों में लगे हुए हैं. हमसबों को एकजुट होकर सरकार, प्रशासन और डॉक्टर, जिन्हें हमारे समाज में भगवान की मान्यता दी गयी है, कि बातों को ध्यान से मनन कर सहयोग करने की जरूरत है. कोरोना नामक दानव से बचाव के लिए जो भी रक्षात्मक युक्तियां बतायी जा रही हैं, उनका हम पुरजोर पालन करें. एक-दूसरे के प्रति सहयोगात्मक रवैया अपनाएं. वस्तुस्थिति की गंभीरता को समझे एवं समझाने का प्रयत्न करें.




 


ठीक इसी प्रकार ध्यान रहे कि खांसते और छींकते वक्त टिश्यू का इस्तेमाल करें. बिना हाथ धोये अपने चेहरे को ना छुएं. संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से बचें. इस वायरस को फैलने से रोकना बेहद महत्वपूर्ण हैं. कोरोना वायरस नामक दानव से बचने के लिए एक दूसरे व्यक्ति के संपर्क में ना आएं. एक जगह पर अधिक लोग इकट्ठा ना हों. जब एक दूसरे के ना तो संपर्क में आयेंगे और ना ही स्पर्श करेंगे, तो निश्चित रूप से कोरोना वायरस पर विजय पा जायेंगे. लॉक डाउन का पालन करें. खुद को भी एकांतवास में रखें और परिजनों को भी एकांत में रहने की सीख दें. ऐसा करने से पूरे भारत से कोरोना नामक रक्तबीज पर विजय प्राप्त कर सकेंगे.


रक्तबीजो का उत्तराधिकारी भष्मासुर ही अब तब्लीग़ी बन कोरोना फैला रहा है।सावधान रहें सोशल डिस्टेंडिंग से बचे।अगला रक्तबीज कही अगले को निशाना बनाये  ,उसे समूल नष्ट ही करे।



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