आर. के. सिन्हा
एक तरफ तो पूरा विश्व कोरोना से दिन-रात लड़ाई लड़ रहा है तो दूसरी ओर अमेरिका और चीन शीतयुद्ध का रूख अख्तियार कर रहे हैं। सबसे पहले डोनाल्ड ट्रम्प ने चीन के साथ पक्षपात और चीन की तरफदारी का आरोप लगाकर विश्व स्वास्थ्य संगठन को आर्थिक सहायता देना बंद कर दिया। विश्व स्वास्थ्य संगठन को जितना आर्थिक मदद साल भर में चाहिए, उसका एक तिहाई तो अमेरिका ही देता है। ऐसी स्थिति में विश्व स्वास्थ्य संगठन के सामने बड़ा आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया है। लेकिन, राष्ट्रपति ट्रम्प तो इतने भर से नहीं रूके। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस से मृतकों की संख्या में अमेरिका नम्बर एक नहीं है। असली नम्बर एक तो चीन ही है । उसने मौतों की संख्या को छिपाया है। तीसरी बात डोनाल्ड ट्रम्प ने कही कि अमेरिका तो बुहान के चीनी लैब बुहान इंस्टीच्यूट ऑफ वायरोलॉजी में अपना जांच दल भेजेगा, जो इस बात की पुष्टि करेगा कि चीन ने अपने बुहान के लैब में ही कोरोना का वायरस तैयार किया है कि नहीं । अगर यह साबित हो गया कि चीन के बुहान स्थित प्रयोगशाला में मानव निर्मित कोरोना का वायरस तैयार हुआ है, तो अमेरिका चीन को इसकी सबक भी सिखायेगा और आर्थिक दंड भी वसूलेगा। हालांकि, चीन के राष्ट्रपति ने इन सभी में से किसी आरोपों का कोई न तो खंडन किया है न ही स्वीकारा है। मौन व्रत धारण कर रखा है। तो हमारे यहां तो एक कहावत मशहूर है- “मौनम् स्वीकृति लक्ष्णम्।” कहीं यह स्वीकृति का लक्षण तो नहीं है। यह बात संदिग्ध तो लगती ही है। डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा कि जो चीन में मरने वालों की संख्या है, वह अमेरिका से कहीं अधिक है । चीन अपने मृतकों की संख्या छुपा रहा है। व्हाइट हाउस में पिछले शनिवार को आयोजित अपने प्रेस कांफेंस में डोनाल्ड ट्रम्प ने साफ कहा कि हम पहले स्थान पर कत्तई नहीं है। चीन ही पहले स्थान पर है। मृतकों की संख्या की लिहाज से वे हमसे कहीं आगे है। हम तो उनके आसपास भी नहीं है। जब उच्च विकसित स्वास्थ्य प्रणालियों से देखभाल करने वाले देश ब्रिटेन, फ्रांस, इटली, स्पेन में मृतकों की संख्या इतनी अधिक थी, तो चीन में मात्र एक प्रतिशत से भी कम कैसे हो सकती है, वास्तविक संख्या इससे कहीं अधिक है। चीन के मृतकों के आकड़ों को सच्चाई से कोसो दूर बताया है ट्रम्प ने । उन्होंने पत्रकारों से कहा- “मैं इसे जानता हूँ । आप भी इसे जानते हैं। लेकिन, आप इसकी सही रिर्पोटिंग नहीं करना चाहते है। क्यों नहीं करना चाहती है मीडिया । मीडिया को इसे बताना होगा। किसी दिन इसे मैं जरूर बताउॅगा।” ट्रम्प का इतना सख्त बयान एक खुफिया रिपोर्ट पर आधारित है जिसका हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि चीन के आकड़ों का रिपोर्ट पूरी तरह संदिग्ध है। चीन ने आकड़ों को छुपाया है। इसके पहले कुछ अमेरिकी सांसद भी चीन पर आकड़ों को छुपाने का आरोप लगा चुके हैं।
इसी बीच फ्रांस के वैज्ञानिक और नोबेल पुरस्कार विजेता प्रो0 लुक मोन्टाग्नियर ने स्पष्ट रूप से यह कहा है कि कोविड-19 माहामारी फैलाने वाले वायरस की उत्पति तो चीन के प्रयोगशाला बुहान इंस्टीच्यूट आफ वायरोलाजी में ही हुआ है। यह एक मानव निर्मित वायरस है। हालांकि उन्होंने यह बताया कि यह प्रयोगशाला एड्स की बीमारी को फैलने से रोकने वाले एचआईवी की वैक्सीन बनाने की खोज कर रही थी आज से नहीं सन् 2000 से । इसी वैक्सीन बनाने के क्रम में यह वायरस उत्पन्न हो गया, जिसको तत्काल चीन को छुपाना चाहिए था और वहीं समाप्त कर देना चाहिए था। लेकिन, लगता है कि चीन ने इसे एक जैविक हथियार के रूप में प्रयोग करने की एक गहरी साजिश के तहत इस प्रयोग को जारी रखा। फ्रांस के सी न्यूज चैनेल को दिये गये अपने इन्टरव्यू में नोबेल पुरस्कार विजेता प्रो0 लुक ने बताया कि एचआईवी के जीनोम खोज के कारण ही उन्हें नोबेल पुरस्कार मिला है। क्योंकि, कोरोना वायरस में एचआईवी के जीनोम में मौजूद हैं मलेरिया के कीटाणुओं के तत्वों के होने की भी आशंका है। उनका यह स्पष्ट दावा है कि कोविड-19 में कोरोना वायरस के जीनोम में एचआईवी और मलेरिया के तत्व हैं। यह इस बात को सिद्ध करता है कि इस वायरस का एचआईवी के जिनोम से संबंध है। एशिया टाइम्स में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार भी चीनी शहर बुहान की प्रयोगशालाओं को वर्ष 2000 से ही कोरोना वायरस में विशेषज्ञता हासिल हो गयी थी।